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- सुखी दांपत्य जीवन के लिए कुंडली गुण मिलान जरूरी प्रक्रिया या...खून की जाँच.......?
Posted by : achhiduniya
16 June 2015
मिया बीबी राजी तो क्या करेगा काजी यह इस बात को दर्शाता है कि अगर लड़का और
लड़की अपनी सहमती से विवाह के बंधन मे बधना चाहते है तो उन्हे कौन रोक सकता है। वही कानून के मुताबिक लड़की की कम से कम उम्र 18 व लड़के की उम्र 21 होनी चाहिए। अब
यह प्रश्न उठता है की अगर लड़का और लड़की या उनके घर के सदस्य तैयार
है तो फिर कुंडली मिलाने की क्या आवशकता है।
क्या कुंडली मिलान एक जरूरी प्रक्रिया
है या पंडितो द्वारा फैलाया जाने वाला भ्रम मात्र है।पहले के युगो के इतिहास पर अगर
एक नजर डाली जाए तो किसी कन्या के विवाह के साथ कोई शर्त जुडी हो तो विवाह से पूर्व कुंडली गुण मेलापक की आवश्यकता नहीं होती, जैसे कन्या के विवाह के लिए वर का चुनाव
करते समय यह शर्त लगा दी जाए कि जो व्यक्ति मत्स्यबेध, चक्रबेध या धनुषभंग करेगा, उसके साथ कन्या का विवाह कर दिया जाएगा। इस
स्थिति में मेलापक का विचार नहीं किया जाता था।
मानव श्रष्टी के
अधीन पाँच तत्वो से बना है जिसमे जल,अग्नि,प्रकाश,वायु, आकाश, समाइत है।इसी
श्रष्टी के नव ग्रह होते है जिनहे क्रमश:-राहू ,केतू ,शनी,मंगल,बुध,गुरु,शुक्र,सूर्य [रवी],चंद्र ग्रह होते है जिनका किसी भी व्यक्ति के
धर्म,जाती,कुल से कुछ लेना देना नही
होता वे तो सिर्फ अपने प्रभाव से मानव को प्रभावित करते है जिससे उसके भाग्य मे
सुख-दुख,उन्नती,प्रगती बड़ती और घटती
रहती है।लेकिन एक बात यह भी है की मनुष्य अपने अच्छे कर्मो के प्रभाव से इनके होने
वाले दुष्प्रभाव को कम जरूर कर सकता है।
अब बात करते है कुंडली गुण मिलान की विवाह के पूर्व गुण मिलान का विचार प्रत्येक
यजमान
यानी लड़के-लड़की के माता-पिता द्वारा किया जाता है। इसके लिए जन्माक्षर या उसके अभाव
में प्रचलित नाम के प्रथमाक्षर को देखकर यह ज्ञात करते हैं कि उक्त अक्षर किस
नक्षत्र के किस चरण में है।
उसके अनुसार गण-नाड़ी आदि आठ वर्ग द्वारा उनके अंकों
के आधार पर कुल अंक का योग करते हैं। इन्हें ही गुण मिलान या मेलापाक मिलान कहते
हैं। आठों वर्ग के कुल 36 गुण होते हैं। इसमें वर्ण का एक, वश्य के दो, तारा के तीन, योनि के चार, ग्रहमैत्री के पांच, गण के छह, राशि कूट के सात एवं नाड़ी के आठ गुण होते
हैं। यदि बिना किसी दोष के 18 गुण या ऊपर मिलें तो विवाह मिलान होता है। 25 गुण से ऊपर होने पर कई दोष निष्प्रभाव हो
जाते हैं।
जिन वर्ग के अंक नहीं मिलते हैं प्रायः वही दोष होता है। इसकी तैयार
सारणी गुण मिलान तालिका प्रायः सभी पंचांग या ज्योतिष ग्रंथ में होती है, जिसकी सहायता से गुण मिलान कर सकते हैं।कई बार कुंडली गुण
मिलान के बाद भी दांपत्य जीवन मे कई उतार चड़ाव आते है जिससे बात अलगाव,तलाक तक पहुँच जाती है। कुछ डॉक्टर्स कहते है कि कुंडली
मिलन से ज्यादा जरूरी है लड़के और लड़की के खून की जाँच करना जिससे थेलेसिमिया रोग यानी
खून के कमी से होने वाले रोग से बचा जा सके।
आज की मॉडन सोसाइटी मे लीव एंड रिलेशन
की तर्ज पर यानी लड़का और लड़की बिना विवाह के ही एक दूसरे के साथ जीवन यापन करने लगे
है,तब यह सोचना आवश्यक हो जाता है की विवाह के पूर्व दांपत्य जीवन के लिए कुंडली गुण मिलान एक जरूरी प्रक्रिया है या..खून
की जाँच......?