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- झूठ बोले......कौन काटे ....कौन बचाए.....?
Posted by : achhiduniya
25 June 2015
झूठ बोलना
आज के
समय में
एक ऐसी
बीमारी
है, जिससे
लोगों
को लगता
है कि
शायद उनकी
मुश्किल
आसान हो
जाएगी।
बच्चों
से लेकर
बड़े, बूढ़े
तक इससे
परहेज
नहीं करते।
हालांकि
अपने बच्चों
से उनकी
यही उम्मीद
रहती है
कि वह
हमेशा
सच बोले।
स्मरण
रहे जैसा
बोएंगे
वैसा ही
काटेंगे। किसी
की पीठ
पीछे उसकी
निंदा
चुगली
करना पाप
है लेकिन
वैष्णव
निंदा
करना महापाप
है। ऐसा
करने से
दूसरे
के पाप
धूलते
हैं और
अपने बढ़ते
हैं।
किसी
से ग्रहण
करनी है
तो उसकी
अच्छाई
ग्रहण
करें न
कि बुराई। अगर
कोई भी
बात किसी
भी स्त्री
के प्रति
अपमानजनक
तरीके
से या
अपमान
करने के
लिए बोली
हो तो
न केवल
वह पाप
है बल्कि
एक व्यक्ति
की छोटी
सोच और
मानसिकता
को दर्शाती
है क्योंकि
कोई भी
महिला
शक्ति
है, भक्ति
है, जननी
है। शास्त्र
कहते हैं
की अनजाने
में इस
पाप से
बचने के
लिए संयमित
भाषा का
प्रयोग
करें।
मौनव्रत
रखें, आत्मचिंतन, मंथन
करें, ध्यान
लगाएं।
वैसे भी
कम खाना
और कम
बोलना
सेहत के
लिए अच्छा
है।
जीवन
में जितने
भी सुख-दुख
भोगे जाते
हैं वे
व्यक्ति
के स्वयं
द्वारा
किए गए
पाप-पुण्य
पर निर्भर
होते हैं।
बातचीत
के दौरान
बोले गए
शब्द जल्द
ही अपना
प्रभाव
दिखाते
हैं। प्रेम
से बोले
गए शब्द
वातावरण
में ठंडक, शीतलता
प्रदान
करते हैं
वहीं क्रोध
में बोले
गए शब्द
खुद को
तो पाप
का भागी
बनाते
ही हैं
साथ ही
सामने
वाले के
साथ आपके
संबंध
भी खराब
हो जाते
हैं। बातचीत
के दौरान
किसी भी
व्यक्ति
के चरित्र
और व्यवहार
का पता
लगाया
जा सकता है।