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- मशीन की सहायता से क्लोनिंग ड्युपलीकेट एटीएम कार्ड …………
Posted by : achhiduniya
12 July 2015
अब जब सारी बैंक कोर बैंकिंग सिस्टम में आ चुकी है, ऐसी जानकारी पूछने की जरूरत क्यों पडती है? यह सवाल भी कस्टर्मस को खुद से करना पडेगा। अलर्ट रहे क्लोनिंग भी होती है। अक्सर अपराध से जुडे टेक्नालॉजी के एक्सपर्ट चीप का यूज कर एटीएम कार्ड के नंबर स्कैन करा लेते है फिर मशीन की सहायता से क्लोनिंग (ड्युपलीकेट एटीएम) बनाया और उसका यूज किया जाता है। बेहद जरूरी है कि कस्टर्मस एटीएम कार्ड का यूज करते समय चौकन्ने रहे। साथ ही केवल अपने कार्ड का पीन नंबर किसी से शेयर नहीं किया तो हमारी रकम सेफ है यह न मान बैठे।
ऐसे मामले उजागर हुए हैं जिनमें कस्टर्मस को फोन कर एटीएम व सीवीवी नंबर पूछा गया। जैसे ही नंबर बताया तो चंद मिनटों में उनके नंबर का यूज कर लाखों की शॉपिंग ठगों ने कर ली। एक शख्स को बैंक के मुंबई ऑफिस से फोन आता है। उन्हें बताता है कि उनके एटीएम कार्ड का नंबर चेंज होने जा रहा है, पुराना बताइए और नया नंबर ले लीजिए। वे मना करते हैं लेकिन बाद में उसे एटीएम का नंबर बता देते हैं। शख्स फोन रखता है और तुरंत उनकी बैंक की लोकल ब्रांच से फोन आता है कि उनके अकाउंट से किसी ने रुपए निकाल लिए है जल्दी नंबर लॉक करवाइ जब वे पुलिस के पास पहुंचते हैं तो पुलिस उन्हें बैंक जाने को कहती है।
बैंक जाकर अकाउंट लॉक कराते हैं तब पता चलता है कि उनके अकाउंट से किसी ने 50,000 रुपए की शॉपिंग कर ली है। जब कस्टमर को ऐसा कॉल आए तो जरूरी है कि ब्रांच को इसकी जानकारी दी जाए। अननोन शख्स से एटीएम, बैंक अकाउंट से जुडी कोई भी इंफोरमेशन शेयर न करें, क्योंकि बैंक कभी भी इस तरह की इंफोरमेशन मांग ही नहीं सकती। अशरफ पटेल ने अपने एटीएम कार्ड से बहुत बार शॉपिंग की है वे अब तक एटीएम को वरदान मानते रहे, लेकिन जब से एटीएम का नंबर शेयर करने के बाद उनके अकाउंट से मोटी रकम निकल गई तो वे एटीएम कार्ड के यूज से कतराने लगे हैं. हुआ यूं कि उन्हें गुडगांव ऑफिस से फोन आया। बताया गया कि एटीएम कार्ड के मिसयूज को लेकर इंफॉर्मेशन कलेक्ट की जा रही है।
उन्होंने अपना एटीएम नंबर बता दिया। कुछ देर बात पता चला कि उनके अकाउंट से किसी वेबसाइट से अननोन पर्सन ने लाखों रुपयों की खरीद कर ली है। असल में कस्टर्मस द्वारा उनके एटीएम नंबर शेयर करने से ऑनलाइन बैंकिंग में वे ठगे नहीं जा रहे है। बल्कि उसी एटीएम कार्ड के पीछे लिखा थ्री डिजिट वाला सीवीवी (कार्ड वेरिफिकेशन वैल्यू) नंबर यदि शेयर होता है तो अननोन पर्सन ऑनलाइन पर्चेसिंग कर सकते है। इसीलिए यह नंबर किसी को भी न बताएं।