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- No Competition [ना प्रतियोगिता] No Comparison [ना तुलना] .....Only Do Action [सिर्फ करना]
Posted by : achhiduniya
21 September 2015
जीवन मे
अनेक बार
ऐसा समय
आता
है ।जब
इंसान
पूरी तरह
से हार
मान लेता
है,क्योकि
उसके प्रयासो
से उसे
इच्छित
सफलता
नही मिलती,जबकी
ऐसा
नही है।
कही न
कही गलती
अपनी होती
है क्योकि
हम इन
बातो
मे अपना
वक्त जाया
करते है
जो हमे
नही करना
चाहिए।
जैसे किसी
के साथ
अपनी “तुलना” करना
यानी उसके
पास है
तो मेरे
पास क्यू
नही....?मै
उससे आगे
बड़कर उसे
नीचा दिखाऊंगा।
उससे कई
गुना आगे
जाकर कामयाबी
को पाऊँगा
यानी सिर्फ
“प्रतियोगिता” मे
लग जाता
है। अपने
जीवन के
असली मकसद
को भूल
जाता है।
No Competition [ना
प्रतियोगिता
] No Comparison [ ना
तुलना] ... इन
बातो को
छोड़ कर
Only Do Action[ सिर्फ
करना ] अपने
लक्ष्य
को ध्यान
मे रख
कर प्रयास
करता रहे।
जिंदगी
में सफलता
कितनी…? कैसी...? और कब...? हो
इसका कोई
पैमाना
तो नहीं
होता।
आपको स्वयं
ही तय
करना होता
है कि
कितनी
सफलता
आपको प्राप्त
करना है
और कितना
आगे बढ़ना
है। कई
बार इसमें
व्यक्ति
स्वयं
को कम
आंकता
है,तो
कई बार
ज्यादा
पर सबसे
ज्यादा
समस्या
उनकी होती
है,जो
दुविधा
में रहते
हैं। जो
आधी सफलता
को भी
पूर्ण
सफलता
मानकर
जिंदगी
के साथ
समझौता
कर लेते
हैं। सफलता
क्या...?आधी
हो सकती
है। कुछ
लोग मानते
है कि
पूर्ण
सफलता
प्राप्त
नहीं हुई
तो
क्या हुआ
हमने सफलता
प्राप्त
करने के
लिए मेहनत
की और
प्रयास तो
किया।
वहां तक
नहीं पहुंच
पाएं तो
क्या हुआ....? दरअसल
यह अलग तरह
की मानसिकता
है जो
कई युवाओं
में भी
देखने
में आती
है।
वे
सफलता
के प्रयास
करते हैं
और मन
से करते
हैं पर
इतना ही
करते हैं
जितना
सफलता
प्राप्ति
के लिए
जरूरत
होती है।
वे अपने
आप को
आधा सफल
मानकर
ही पूर्ण
सफलता
का जश्न
भी मनाते
हैं। पर
इस बात
कर गौर
नहीं करते
कि आखिर
आधी सफलता
ही क्यों
मिली और
क्या आधी
सफलता
पूर्ण
सफलता
है या
पूर्ण
असफलता
है। पूर्ण
सफलता
के लिए@ दूसरों
की राय
को सम्मान
दें। ‘आप
गलत हैं’
कभी भी
न कहें।@ दूसरों
को चुनौती
देने का
प्रयास
न करें।@ तर्क
का अंत
नहीं होता।
बहस करने
की अपेक्षा
बहस से
बचना अधिक
उपयुक्त
है।@ किसी
को सीधे
आदेश देने
के बदले
प्रश्नोत्तर
तथा सुझाव
वाले रास्ते
का सहारा
लें।@ यदि
आप गलत
हैं तो
अपनी गलती
को स्वीकारें।
@ घटनाक्रम
को दूसरों
की दृष्टि
से देखने
का ईमानदारी
से प्रयास
करें।@ आपके
अनुसार
कार्य
करने वालों
के प्रति
धन्यवाद
करें।@ सदैव
मित्रतापूर्ण
तरीके
से पेश
आयें।@ दूसरों
को अनुभव
करने दें
कि आपकी
नजर में
उनकी बातों
का पूरा
पूरा महत्व
है।@ दूसरों
का सच्चा
मूल्यांकन
करें तथा
उन्हें
सच्ची
प्रशंसा
दें।@ दूसरों
के किये
छोटे से
छोटे काम
की भी
प्रशंसा
करें।@ दूसरों
को अपनी
बात रखने
का पूर्ण
अवसर दें।@ बिना
किसी नाराजगी
के दूसरों
में परिवर्तन
लायें।@ दूसरों
की गलती
को अप्रत्यक्ष
रूप से
बतायें।@ आपकी
निन्दा
करने वाले
के समक्ष
अपनी गलतियों
के विषय
में बातें
करें।@ दूसरों
की इच्छाओं
तथा विचारों
के प्रति
सहानुभूतिपूर्ण
रवैया
अपनायें। अगर
पूर्ण
सफलता
चाहते
है तो
उन बातों
को छोड़{ No Competition [ना
प्रतियोगिता
] No Comparison [ना
तुलना] } इन
बातो को
{.....Only Do Action [सिर्फ
करना ] }जीवन
मे ढालने
का प्रयास
तो कर
ही सकते
है ।