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- कैसे सीखे भाषण देने की कला....कैसे बने टीम लीडर के साथ अच्छे वक्ता..........?
Posted by : achhiduniya
16 May 2016
असरदार
और गैरअसरदार भाषण का फर्क आपकी सफलता और असफलता पर पडता है। हकीकत में असरदार
भाषण देना एक कला है। जिस प्रकार आज कल नेता लोग करते है। जनता को सुनहरे सपने
दिखाकर अपने वोट बैंक को बड़ाते है। हम में से हर कोई भाषण देता है, क्योंकि हम में से हर किसी को कभी न कभी अपनी कोई बात किसी दूसरे को समझना
जरूरी हो जाता है। भाषण देना अपनी बात को प्रभावशाली ढंग से कहने का एक तरीका भर
नही बल्कि अपने मतलब और फायदे को सिध्ध करने का सरल तरीका भी है। ऐसे में हमें
समझना चाहिए कि न केवल हर किसी को भाषण देना है बल्कि इसे सीखा जा सकता है। बशर्ते
हम कोशिश करें क्योंकि कोई भी व्यक्ति बुनियादी तकनीकों को सीख सकता है।
इस तरह कोई भी व्यक्ति असरदार भाषण भी दे सकता है। आइए जाने कुछ असरदार भाषण देने के तरीको को।भाषण का पहला आधार यह है कि भाषण देने वाले को श्रोता पूरी तन्मयता से सुनें। उसकी गंभीरता से प्रभावित हों, इस तरह की कुछ और शर्तें होती हैं जिनका पालन किया जाए तो कोई भी बेहतरीन भाषण दे सकता है। मुस्कुराकर शुरू करें बोलना:- श्रोता उस वक्ता को पसंद करते हैं जो खुश नजर आता है इसलिए शुरुआत मुस्कान से करें। यह मुस्कान श्रोताओं में भी फैल जाएगी। उनमें आपके भाषण के लिए दिलचस्पी जगाएगी। मुस्कान से जब आप श्रोताओं का दिल जीत लेते हैं तो वे भी आपके सर्मथक हो जाते हैं। किसी भी बात से घबराएं नहीं,अनुभवी वक्ता भी जब कोई नया भाषण आरंभ करते हैं तो शुरू में नर्वस महसूस करते हैं, लेकिन आप डर को अपने ऊपर हावी न होने दें। श्रोता उस वक्ता को पसंद नहीं करते जो डरा-सहमा हुआ नजर आता है। ऐसे वक्ता के प्रति वे अपनी दिलचस्पी और संयम दोनों खो बैठते हैं। वक्ता को इतनी घबराहट होती है कि उसे जाडे में भी पसीना आने लगता है। जिस तरह मंच पर जाने से पहले कलाकार रिलैक्स करते हैं वैसे ही एक्सरसाइज के जरिए वक्ता को भी रिलैक्स करना चाहिए। गहरी सांस लें, जितना संभव हो उतनी देर तक सांस को रोके रखें और फिर आहिस्ता-आहिस्ता उसे बाहर निकालें।
रिलैक्स होने का एक अन्य तरीका यह है कि भूल जाएं कि आपको बोलना है। ऐसा महसूस करें कि जैसे उस श्रोता से बोलना है जिसे आप पसंद करते हैं। पहले से तैयारी जरूरी करे। असरदार भाषण तभी संभव है, जब आपने उसे पहले से ही सोच रखा हो। अगर आप एक बिंदु से दूसरे बिंदु पर भटकते रहेंगे तो आपका भाषण जल्द ही दिशाहीन हो जाएगा। इसका सबसे अच्छा तरीका यह है कि पहले वह बता दें जो आप बताना चाहते हैं। फिर वह बता दें। फिर उन्हें वह बता दें जो आप उन्हें बता चुके हैं लेकिन यह पहले तैयारी करने से ही संभव हो सकेगा। कभी भी छिपे नहीं, सामने आएं और खुलकर अपनी बात रखे। श्रोताओं को दिखा दें कि नियंत्रण में कौन है और किसे पूरा ध्यान चाहिए? जो वक्ता बैठकर बोलने का प्रयास करता है, वह अपने नियंत्रण को खो बैठता है। जो वक्ता कुर्सी में नीचे को सरक जाता है या माइक के पीछे इतना छुपने का प्रयास करता है कि केवल उसका सिर और हाथ ही नजर आए तो वह श्रोताओं को अपने से बहुत दूर कर देता है। खुलकर सामने आएं। श्रोता आपको जितना संभव हो, उतना देखना चाहते हैं, तभी वे महसूस करेंगे कि आप उनसे अपने दिल की बात कह रहे हैं। श्रोताओं को उलझाएं नहीं,अपने भाषण में बहुत सारे बिंदु समेटने से बचें। श्रोता उन सबको याद नहीं रख सकते और अगर बहुत सारे बिंदु होंगे तो किसी एक को भी याद नहीं रख पाएंगे। अच्छा भाषण वह होता है जिसमें केवल चार मुख्य प्वाइंट होते हैं और एक मुख्य निष्कर्ष।
श्रोताओं को तकनीकी बातें भी न समझाएं, केवल बुनियादी बातों से काम चलाएं। इससे भाषण में चमक आ जाती है लेकिन इसके लिए जबर्दस्त रिहर्सल की जरूरत होती है। भाषण लिखने के बाद उसे खडे होकर बोलें और टेप कर लें। टेप को बार-बार सुनें कि उसमें कहीं अ, उ तो नहीं मौजूद है, ऐसे शब्द तो नहीं है जिन्हें बोलने में कठिनाई हो रही हो या गैरजरूरी दोहराव तो नहीं है। साथ ही लिखित भाषा को बोलने वाली भाषा में संशोधित कर लें। इसका तरीका यह है कि आप सोचें कि आप अपने दोस्त से किस तरह बात करते हैं। जाहिर है आप उससे साहित्यिक भाषा में बात नहीं करते। अपने फाइनल ड्राफ्ट को आसानी से पढी जाने वाले प्वाइंटों में एक कार्ड पर लिख लें जिस हथेली पर छुपाए। कई बार हम सोचते हैं, हमें भाषण देने से भला क्या काम, यह तो नेताओं का काम है. लेकिन प्रोफेशनल लाइफ में हर किसी से यह उम्मीद की जाती है कि वह लीडर हो, क्योंकि सफल होने के लिए तमाम शर्तो में से एक शर्त लीडर होना भी है। अब अगर हमें लीडर होना ही है तो हमें अपनी बात कहनी आनी चाहिए।
इस तरह कोई भी व्यक्ति असरदार भाषण भी दे सकता है। आइए जाने कुछ असरदार भाषण देने के तरीको को।भाषण का पहला आधार यह है कि भाषण देने वाले को श्रोता पूरी तन्मयता से सुनें। उसकी गंभीरता से प्रभावित हों, इस तरह की कुछ और शर्तें होती हैं जिनका पालन किया जाए तो कोई भी बेहतरीन भाषण दे सकता है। मुस्कुराकर शुरू करें बोलना:- श्रोता उस वक्ता को पसंद करते हैं जो खुश नजर आता है इसलिए शुरुआत मुस्कान से करें। यह मुस्कान श्रोताओं में भी फैल जाएगी। उनमें आपके भाषण के लिए दिलचस्पी जगाएगी। मुस्कान से जब आप श्रोताओं का दिल जीत लेते हैं तो वे भी आपके सर्मथक हो जाते हैं। किसी भी बात से घबराएं नहीं,अनुभवी वक्ता भी जब कोई नया भाषण आरंभ करते हैं तो शुरू में नर्वस महसूस करते हैं, लेकिन आप डर को अपने ऊपर हावी न होने दें। श्रोता उस वक्ता को पसंद नहीं करते जो डरा-सहमा हुआ नजर आता है। ऐसे वक्ता के प्रति वे अपनी दिलचस्पी और संयम दोनों खो बैठते हैं। वक्ता को इतनी घबराहट होती है कि उसे जाडे में भी पसीना आने लगता है। जिस तरह मंच पर जाने से पहले कलाकार रिलैक्स करते हैं वैसे ही एक्सरसाइज के जरिए वक्ता को भी रिलैक्स करना चाहिए। गहरी सांस लें, जितना संभव हो उतनी देर तक सांस को रोके रखें और फिर आहिस्ता-आहिस्ता उसे बाहर निकालें।
रिलैक्स होने का एक अन्य तरीका यह है कि भूल जाएं कि आपको बोलना है। ऐसा महसूस करें कि जैसे उस श्रोता से बोलना है जिसे आप पसंद करते हैं। पहले से तैयारी जरूरी करे। असरदार भाषण तभी संभव है, जब आपने उसे पहले से ही सोच रखा हो। अगर आप एक बिंदु से दूसरे बिंदु पर भटकते रहेंगे तो आपका भाषण जल्द ही दिशाहीन हो जाएगा। इसका सबसे अच्छा तरीका यह है कि पहले वह बता दें जो आप बताना चाहते हैं। फिर वह बता दें। फिर उन्हें वह बता दें जो आप उन्हें बता चुके हैं लेकिन यह पहले तैयारी करने से ही संभव हो सकेगा। कभी भी छिपे नहीं, सामने आएं और खुलकर अपनी बात रखे। श्रोताओं को दिखा दें कि नियंत्रण में कौन है और किसे पूरा ध्यान चाहिए? जो वक्ता बैठकर बोलने का प्रयास करता है, वह अपने नियंत्रण को खो बैठता है। जो वक्ता कुर्सी में नीचे को सरक जाता है या माइक के पीछे इतना छुपने का प्रयास करता है कि केवल उसका सिर और हाथ ही नजर आए तो वह श्रोताओं को अपने से बहुत दूर कर देता है। खुलकर सामने आएं। श्रोता आपको जितना संभव हो, उतना देखना चाहते हैं, तभी वे महसूस करेंगे कि आप उनसे अपने दिल की बात कह रहे हैं। श्रोताओं को उलझाएं नहीं,अपने भाषण में बहुत सारे बिंदु समेटने से बचें। श्रोता उन सबको याद नहीं रख सकते और अगर बहुत सारे बिंदु होंगे तो किसी एक को भी याद नहीं रख पाएंगे। अच्छा भाषण वह होता है जिसमें केवल चार मुख्य प्वाइंट होते हैं और एक मुख्य निष्कर्ष।
श्रोताओं को तकनीकी बातें भी न समझाएं, केवल बुनियादी बातों से काम चलाएं। इससे भाषण में चमक आ जाती है लेकिन इसके लिए जबर्दस्त रिहर्सल की जरूरत होती है। भाषण लिखने के बाद उसे खडे होकर बोलें और टेप कर लें। टेप को बार-बार सुनें कि उसमें कहीं अ, उ तो नहीं मौजूद है, ऐसे शब्द तो नहीं है जिन्हें बोलने में कठिनाई हो रही हो या गैरजरूरी दोहराव तो नहीं है। साथ ही लिखित भाषा को बोलने वाली भाषा में संशोधित कर लें। इसका तरीका यह है कि आप सोचें कि आप अपने दोस्त से किस तरह बात करते हैं। जाहिर है आप उससे साहित्यिक भाषा में बात नहीं करते। अपने फाइनल ड्राफ्ट को आसानी से पढी जाने वाले प्वाइंटों में एक कार्ड पर लिख लें जिस हथेली पर छुपाए। कई बार हम सोचते हैं, हमें भाषण देने से भला क्या काम, यह तो नेताओं का काम है. लेकिन प्रोफेशनल लाइफ में हर किसी से यह उम्मीद की जाती है कि वह लीडर हो, क्योंकि सफल होने के लिए तमाम शर्तो में से एक शर्त लीडर होना भी है। अब अगर हमें लीडर होना ही है तो हमें अपनी बात कहनी आनी चाहिए।
संभाषण के लिए सबसे जरूरी है शब्दो का चयन, पर एक ही शब्दों के अनेक समानार्थी शब्द रूपी फूलो का गठन सुन्दर माला के रूप मे किये जाने की कला ही सफल भाषण है।
ReplyDeleteअति सुंदर विचार सधन्यवाद...
Deleteबहुत अच्छे तरीके से आपने बताया
ReplyDeleteशुक्रिया मित्र ।
DeleteBhut khub
ReplyDeleteBhut khub
ReplyDeleteशुक्रिया मित्र
ReplyDeleteબહુ સરસ.
ReplyDeleteઆભાર મિત્ર
ReplyDeleteBahut acchha guide kiya hai aapne - dhanyvad
ReplyDeleteध्न्यवाद आपका जो आपने इसे पढ़ा और हमे और अच्छा लिखने के लिए प्रोत्साहित किया।
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