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- नेगेटिव थिंकिंग समस्या बढाती है......पॉजीटिव थिंकिंग समस्या को पास फटकने नहीं देगी दूसरा ………
Posted by : achhiduniya
05 May 2016
पावर
और इंपोर्टेंस की चाह आखिर किसे नहीं होती। इसके लिए लोग क्या कुछ नहीं करते। बडे-बडे बिजनेसमैन, एक्जीक्यूटिव्ज अपने तरीकों से इसे हासिल करते हैं तो गृहणियां भी इस
मामले में पीछे नहीं रहतीं। जलन या ईष्र्या एक नेगेटिव फीलिंग है। इसके चलते मन
में जो प्रतिस्पर्धा की भावना जागृत होती है वह मन का सुख चैन छीन लेती है,
तब व्यक्ति अपनी छोटी-छोटी प्रॉबलम्स को भी मेग्नीफाई करके देखने
लगता है। कई मर्द और महिलाए अपनी इंपोर्टेंस बनाए रखने तथा सभी के ध्यान का केंद्र
बनी रहने के लिए बातें खूब नमक-मिर्च
लगाकर किया करती हैं।
लेकिन उनकी आदत से क्योंकि सभी अच्छी तरह वाकिफ हैं, कोई उन पर ध्यान नहीं देता। उनके मुंह खोलते ही लोग टॉपिक बदल कर और बात करने लगते हैं। कई मर्द और औरते समस्याओं को बढा-चढाकर बोलने के लिए मशहूर होते है। उसकी मुख्य समस्या अपने नर्सरी के पढने वाले बच्चो को लेकर होती है। कभी बच्चे उठाने वाले गैंग का फोबिया, कभी मामूली सर्दी जुकाम को लेकर बेहद गंभीर होकर नई-नई बीमारियों से जोडना। इस तरह के नकारात्मक नजरिये के कारण उसके चेहरे पर हर समय बारह बजे रहते हैं। हमें जो कुछ मिला है हम क्यों उसे 'टेकन फॉर ग्रान्टेड' ले लेते हैं। उसकी वैल्यू नजरअंदाज कर खुशियों से महरूम रहते हैं। नेगेटिव थिंकिंग बीमारी बढाती है। पॉजीटिव थिंकिंग एक तो बीमारी पास फटकने नहीं देगी। और बीमार हो भी जाएंतो रिकवरी के चांस ज्यादा रहते है। हमेशा रोना न रोएं।
लेकिन उनकी आदत से क्योंकि सभी अच्छी तरह वाकिफ हैं, कोई उन पर ध्यान नहीं देता। उनके मुंह खोलते ही लोग टॉपिक बदल कर और बात करने लगते हैं। कई मर्द और औरते समस्याओं को बढा-चढाकर बोलने के लिए मशहूर होते है। उसकी मुख्य समस्या अपने नर्सरी के पढने वाले बच्चो को लेकर होती है। कभी बच्चे उठाने वाले गैंग का फोबिया, कभी मामूली सर्दी जुकाम को लेकर बेहद गंभीर होकर नई-नई बीमारियों से जोडना। इस तरह के नकारात्मक नजरिये के कारण उसके चेहरे पर हर समय बारह बजे रहते हैं। हमें जो कुछ मिला है हम क्यों उसे 'टेकन फॉर ग्रान्टेड' ले लेते हैं। उसकी वैल्यू नजरअंदाज कर खुशियों से महरूम रहते हैं। नेगेटिव थिंकिंग बीमारी बढाती है। पॉजीटिव थिंकिंग एक तो बीमारी पास फटकने नहीं देगी। और बीमार हो भी जाएंतो रिकवरी के चांस ज्यादा रहते है। हमेशा रोना न रोएं।