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- अच्छी से अच्छी उम्मीद करो, किंतु बुरी से बुरी परिस्थितियों से जूझने को तैयार रहो....
Posted by : achhiduniya
30 May 2016
“अजगर करे न चाकरी –पंक्षी करे न काम,दास मलुका कह गए सबके दाता राम” अर्थात अजगर किसी के
पास नौकरी नही करता ना ही पंक्षी कोई काम
करते है फिर भी सभी की दाता राम प्रतिपालना कर रहे है। कहा जाता है सबसे बडी भूल
कोई कोशिश न करना है। जो दिन-रात केवल योजनाएं बनाते हैं, उन
पर अमल नहीं करते वे कल्पना लोक में रहकर जीवन नष्ट कर लेते हैं। निष्क्रियता
मनुष्य के लिए अभिशाप है, इसलिए अपनी सोच, अपनी योजनाओं को कार्यान्वित करने के लिए कोशिश करना उतना ही जरूरी है,
जितना जिंदा रहने के लिए श्वास लेना। अगर हमें इच्छित लक्ष्य पाना
है तो पूरे मन से कोशिश करनी पडेगी और कोशिश का अर्थ है कठोर परिश्रम और सतत् कर्म
जो आराम चाहता है वह अपनी वास्तविक उन्नति नहीं कर सकता। बिना परिश्रम के कुछ भी
संभव नहीं है। कहा गया है कि बिना कर्म के तो शरीर का निर्वाह भी नहीं हो सकता।
अपने सार्थक प्रयास और कोशिशों की अनवरत श्रृंखला कभी समाप्त न होने दें। गांधीजी
का कथन है कि आलस्य और अज्ञान के कीड़े मनुष्य को खा जाते हैं। मनुष्य की उन्नति का
उद्गम कर्मशीलता ही है। भाग्य को वही कोसते हैं, जो कर्महीन
होते हैं। निराश और निरुत्साही व्यक्ति सफलता की इंद्रधनुषी रोशनी से सदैव वंचित
रहते हैं।
आत्मविश्वास से धैर्य उत्पन्न होता है, धैर्यपूर्वक कोशिशें करते रहें तो वह दिन दूर नहीं जब आपकी नाकाम कहलाने वाली कोशिशें 'कामयाबी' का तमगा लिए समाज में मान-सम्मान पाएंगी। आज के मशहूर फिल्मी गीतकार समीर ने एक साक्षात्कार में कहा था,'जब मैं अपने गीतों की डायरी एक संगीतकार को दिखाने पहुंचा तो उन्होंने दो टूक जवाब दिया था कि तुम कभी फिल्मी गीतकार नहीं बन सकते। समीर कहते हैं कि मैंने उनकी सीढियां उतरते हुए सोचा एक आदमी का फैसला सारी दुनिया का फैसला नहीं हो सकता और तभी से मैंने अपनी कोशिशें और तेज कर दी। नतीजा सामने है, सबसे कम उम्र के समीर आज फिल्मों के सबसे सफल गीतकार हैं। गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने अपना महान संदेश देते हुए कहा है, 'ज्ञान योग की अपेक्षा कर्मयोग श्रेष्ठ है इसलिए अपना आश्रय व अपने दीपक स्वयं बनो।
आद्यशंकराचार्य ने कहा है, 'पुरुषार्थहीन मानव जीते-जी मरा हुआ है। जो कोरी उम्मीद पर जीते हैं वे अपना भोजन भी अजिर्त नहीं कर पाते। यह कटु सत्य है कि सिर्फ कहने से कुछ भी काम नहीं चलता, काम चलता है करने से। असफलता निराशा का सूत्र कभी नहीं होनी चाहिए। वह तो नई प्रेरणा है। आध्यात्मिक सूक्ति है,'जो जिसको पूजता है, वह उसी को प्राप्त होता है'। जो मनुष्य कर्म छोड़ देता है, धर्म भी उसको छोड़ देता है। अच्छी से अच्छी उम्मीद करो, किंतु बुरी से बुरी परिस्थितियों से जूझने को तैयार रहो। यह बात गांठ बांध लेनी चाहिए कि अपने सपनों को हम स्वयं ही साकार कर सकते हैं और अपने भविष्य को हम स्वयं ही आकार दे सकते हैं। सच्चा हौसला व सुख बाहर से नहीं अंदर से ही मिलता है। इसलिए अपने प्रण को जिंदा रखिए।
आत्मविश्वास से धैर्य उत्पन्न होता है, धैर्यपूर्वक कोशिशें करते रहें तो वह दिन दूर नहीं जब आपकी नाकाम कहलाने वाली कोशिशें 'कामयाबी' का तमगा लिए समाज में मान-सम्मान पाएंगी। आज के मशहूर फिल्मी गीतकार समीर ने एक साक्षात्कार में कहा था,'जब मैं अपने गीतों की डायरी एक संगीतकार को दिखाने पहुंचा तो उन्होंने दो टूक जवाब दिया था कि तुम कभी फिल्मी गीतकार नहीं बन सकते। समीर कहते हैं कि मैंने उनकी सीढियां उतरते हुए सोचा एक आदमी का फैसला सारी दुनिया का फैसला नहीं हो सकता और तभी से मैंने अपनी कोशिशें और तेज कर दी। नतीजा सामने है, सबसे कम उम्र के समीर आज फिल्मों के सबसे सफल गीतकार हैं। गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने अपना महान संदेश देते हुए कहा है, 'ज्ञान योग की अपेक्षा कर्मयोग श्रेष्ठ है इसलिए अपना आश्रय व अपने दीपक स्वयं बनो।
आद्यशंकराचार्य ने कहा है, 'पुरुषार्थहीन मानव जीते-जी मरा हुआ है। जो कोरी उम्मीद पर जीते हैं वे अपना भोजन भी अजिर्त नहीं कर पाते। यह कटु सत्य है कि सिर्फ कहने से कुछ भी काम नहीं चलता, काम चलता है करने से। असफलता निराशा का सूत्र कभी नहीं होनी चाहिए। वह तो नई प्रेरणा है। आध्यात्मिक सूक्ति है,'जो जिसको पूजता है, वह उसी को प्राप्त होता है'। जो मनुष्य कर्म छोड़ देता है, धर्म भी उसको छोड़ देता है। अच्छी से अच्छी उम्मीद करो, किंतु बुरी से बुरी परिस्थितियों से जूझने को तैयार रहो। यह बात गांठ बांध लेनी चाहिए कि अपने सपनों को हम स्वयं ही साकार कर सकते हैं और अपने भविष्य को हम स्वयं ही आकार दे सकते हैं। सच्चा हौसला व सुख बाहर से नहीं अंदर से ही मिलता है। इसलिए अपने प्रण को जिंदा रखिए।


