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- गोमांस प्रतिबंध कानून को लेकर कार्यकर्ताओं ने किया मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से आग्रह.......
Posted by : achhiduniya
18 June 2016
कार्यकर्ताओं
ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से आग्रह किया है कि उनकी सरकार बंबई हाईकोर्ट
न्यायालय के उस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे, जिसमें महाराष्ट्र पशु संरक्षण (संशोधन) कानून की उन दो धाराओं को खत्म कर
दिया गया है जिसके तहत राज्य के बाहर वध के मामले में गोमांस को रखना अपराध था।
कार्यकर्ता सिद्ध विद्या ने ई-मेल में लिखा है, ''कृपया इस
सच्चाई को बड़ी गंभीरता से लें कि कथित दो धाराओं को कानून की किताब से हटाने से
पूरा कानून ही निष्प्रभावी हो गया है. धारा 5 (डी) को संविधि
से हटाने से अपराधियों को कवर प्रदान होगा। वे महाराष्ट्र में गोवंश का वध करेंगे
और यह बहाना बनाकर अपना बचाव करेंगे कि इसका वध राज्य से बाहर किया गया था। इसी
प्रकार की मांग पशु अधिकारों के लिए काम कर रहे कार्यकर्ताओं राजेंद्र जोशी एवं
चेतन शर्मा ने भी मुख्यमंत्री से की है।
पिछले महीने हाईकोर्ट ने राज्य में बैल, सांड व बछडों के वध पर प्रतिबंध को बरकरार रखते हुए महाराष्ट्र पशु संरक्षण (संशोधन) कानून की दो धाराओं 5 (डी) एवं 9 (बी) को खत्म कर दिया था, जिसमें महाराष्ट्र से बाहर वध होने पर भी गोमांस को रखना अपराध था। अदालत के आदेश के तुरंत बाद फडणवीस ने कहा था कि जरूरत पड़ने पर हाईकोर्ट के इस कानून की असंवैधानिक धाराओं' को खत्म करने के फैसले को राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे सकती है। पशु अधिकार के लिए काम कर रहे कार्यकर्ता सिद्ध विद्या ने मुख्यमंत्री को ई-मेल कर आग्रह किया कि वह इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएं।
पिछले महीने हाईकोर्ट ने राज्य में बैल, सांड व बछडों के वध पर प्रतिबंध को बरकरार रखते हुए महाराष्ट्र पशु संरक्षण (संशोधन) कानून की दो धाराओं 5 (डी) एवं 9 (बी) को खत्म कर दिया था, जिसमें महाराष्ट्र से बाहर वध होने पर भी गोमांस को रखना अपराध था। अदालत के आदेश के तुरंत बाद फडणवीस ने कहा था कि जरूरत पड़ने पर हाईकोर्ट के इस कानून की असंवैधानिक धाराओं' को खत्म करने के फैसले को राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे सकती है। पशु अधिकार के लिए काम कर रहे कार्यकर्ता सिद्ध विद्या ने मुख्यमंत्री को ई-मेल कर आग्रह किया कि वह इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएं।