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- घर की कलर थैरेपी से करे अपने और घर के सदस्यो का तनाव दूर........
Posted by : achhiduniya
14 June 2016
आज
आपको इंसान और विज्ञान के बीच के संबंधो का राज बताते है। यह कोई अंधविश्वास नहीं
है बल्कि आजमाया हुआ कलर थैरेपी का विज्ञान है। वास्तव में गृह सज्जा में रंगों की
अपनी अलग भूमिका होती है क्योंकि इन्हीं रंगों के माध्यम से हम अपनी कल्पना को
साकार रूप देते हैं। शायद इसीलिए घर को सजाने-संवारने की कला को कलर थैरेपी कहा
जाता है। भले घर ईंट पत्थर से बनते हों, भले वो मौन रहते हों, लेकिन सच्चाई यही है कि घर हमारी जिंदगी को, हमारे
मूड को बहुत गहरे तक प्रभावित करते हैं। इसलिए अगर आपका मूड लगातार कई महीनों से
खराब है, कहीं पर भी और किसी चीज में भी आपका मन नहीं लग रहा
हो तो इसका एक उपाय यह है कि आप अपने घर को, अपने पसंदीदा
रंग से पेंट कराइए फिर देखिए आपका मूड कैसे सुधरता है।
आर्किटेक्चर पद्धति में इसे कलर थैरेपी इसलिए कहा जाता है क्योंकि रंगों के संयोजन से घर का बाहरी और आंतरिक हिस्सा खिल उठता है। रंगों का चयन करने से पहले सर्वप्रथम जगह, जरूरत, व्यक्तिगत और बच्चों की पसंद तथा मौसम के अलावा बजट का ख्याल रखना भी जरूरी होता है।
यह आवश्यक भी है क्योंकि हम बार-बार दीवारों के रंग को बदल नहीं सकते। इसलिए रंगों का चयन कमरे की आवश्यकतानुसार ही करें। अगर कमरे का आकार बड़ा है तो उसे कोजी लुक देने के लिए दीवार के एक हिस्से का रंग गहरा किया जा सकता है। छोटे आकार के कमरों को स्पेशियस लुक देने के लिए हल्के रंग, पेस्टल शेड्स का इस्तेमाल करना चाहिए। आम तौर पर गहरे रंग स्फूर्ति, उत्तेजना, जोश के प्रतीक माने जाते हैं जबकि हल्के रंग शांत, धैर्य और कोमल भावना को प्रदर्शित करते हैं। रंगों का मनोविज्ञान यह दर्शाता है कि घर में ऐसे रंगों का ही प्रयोग करना चाहिए जो हमारे व्यक्तित्व के अनुकूल हों। रंगों से हमारे व्यवहार, रुचि और नजरिए का भी पता चलता है. कलर थैरेपी के माध्यम से एक साधारण घर या कमरे को आकर्षक और भव्य रूप प्रदान किया जा सकता है। इसके लिए आवश्यक है रंगों की समझ और उसका उचित स्थान पर बखूबी इस्तेमाल करने की कला का होना। दीवारों के रंग के साथ मिलते-जुलते कुशन कवर, परदे, पिलो कवर, कालीन और शो पीस के जरिए भी आप घर के वातावरण को खुशनुमा बना सकते हैं।
लाला:- रंग स्फूर्ति और उत्तेजना को दर्शाता है। फेंगशुई के मुताबिक लाल रंग को प्रेम का प्रतीक माना जाता है। इसलिए बेडरूम में रखी गई लाल रंग की एक्सेसरीज कमरे में जीवंतता का एहसास कराती हैं। लेकिन इस रंग का प्रयोग बच्चे के कमरे में करने से बचना चाहिए। स्फूर्तिदायक, आशावादी, सामाजिक और जीवंतता का एहसास कराने वाले इस रंग को डाइनिंग रूम में भी किसी न किसी रूप में प्रयोग किया जा सकता है। आतिथ्य सत्कार के साथ भूख बढ़ाने में भी यह रंग सहायक माना जाता है। पीला:- प्रफुल्लता का प्रतीक माना जाने वाला यह रंग मानसिक और भावनात्मक थकान का प्रेरक माना जाता है। इसलिए इसका इस्तेमाल अधिकतर कमरे के बाहरी हिस्सों जैसे बालकनी, लॉबी, सीढियों के पास किया जाना चाहिए। इसके अलावा इसका प्रयोग उत्तर दिशा की तरफ खुलने वाले कमरे के लिए भी करना चाहिए यानी जिन कमरों में सूर्य की रोशनी नहीं पहुंचती, वहां इसका इस्तेमाल किया जाना चाहिए। नारंगी:- स्थिरता और विश्वास का प्रतीक माना जाने वाला यह रंग ताजगी भी प्रदान करता है।
नारंगी रंग का प्रयोग मुख्यत: डाइनिंग रूम में किया जाता है ताकि अतिथि का आदर-सत्कार प्रेम और स्फूर्त भाव से किया जा सके। दीवारों पर ऑरेंज शेड हल्के रंगत में दीवारों पर खूब फबते हैं। गहरे ऑरेंज कलर की एक्सेसरीज कमरे को शाही लुक प्रदान करती है। बच्चों के कमरे में हल्के और गहरे ऑरेंज का कलर कांबिनेशन बेहतर रहता है। हरा:- ग्रीन यानी हरा रंग प्रकृति को दर्शाता है। आज के आधुनिक परिवेश में जहां हरियाली का अभाव खलता है, वहां घर में इंडोर प्लांट्स के जरिए इस रिक्तता की पूर्ति की जा सकती है। साथ ही ऐसे सदाबहार रंग से किचन का वातावरण भी हरा-भरा बनाया जा सकता है। यह रंग बेडरूम और लिविंग रूम के लिए भी उपयुक्त है, लेकिन गहरा रंग दीवारों पर नहीं बल्कि एक्सेसरीज के रूप में उपयुक्त माना जाता है।
गुलाबी:- शायद ही ऐसा कोई होगा जिसे पिंक या गुलाबी रंग न पसंद हो। प्यार, मुहब्बत और विश्वास को प्रदर्शित करने वाला गुलाबी रंग आंखों को भी सुकून पहुंचाता है। बेडरूम की दीवारों पर लाइट पिंक शेड प्यार का वातावरण उत्पन्न करता है। दीवारों और एक्सेसरीज के रूप में इस रंग के इस्तेमाल से कमरे को खुशनुमा और आकर्षक बनाया जा सकता है। नीला:- इस रंग को शांति और सुकून का पर्याय माना जाता है।
आर्किटेक्चर पद्धति में इसे कलर थैरेपी इसलिए कहा जाता है क्योंकि रंगों के संयोजन से घर का बाहरी और आंतरिक हिस्सा खिल उठता है। रंगों का चयन करने से पहले सर्वप्रथम जगह, जरूरत, व्यक्तिगत और बच्चों की पसंद तथा मौसम के अलावा बजट का ख्याल रखना भी जरूरी होता है।
यह आवश्यक भी है क्योंकि हम बार-बार दीवारों के रंग को बदल नहीं सकते। इसलिए रंगों का चयन कमरे की आवश्यकतानुसार ही करें। अगर कमरे का आकार बड़ा है तो उसे कोजी लुक देने के लिए दीवार के एक हिस्से का रंग गहरा किया जा सकता है। छोटे आकार के कमरों को स्पेशियस लुक देने के लिए हल्के रंग, पेस्टल शेड्स का इस्तेमाल करना चाहिए। आम तौर पर गहरे रंग स्फूर्ति, उत्तेजना, जोश के प्रतीक माने जाते हैं जबकि हल्के रंग शांत, धैर्य और कोमल भावना को प्रदर्शित करते हैं। रंगों का मनोविज्ञान यह दर्शाता है कि घर में ऐसे रंगों का ही प्रयोग करना चाहिए जो हमारे व्यक्तित्व के अनुकूल हों। रंगों से हमारे व्यवहार, रुचि और नजरिए का भी पता चलता है. कलर थैरेपी के माध्यम से एक साधारण घर या कमरे को आकर्षक और भव्य रूप प्रदान किया जा सकता है। इसके लिए आवश्यक है रंगों की समझ और उसका उचित स्थान पर बखूबी इस्तेमाल करने की कला का होना। दीवारों के रंग के साथ मिलते-जुलते कुशन कवर, परदे, पिलो कवर, कालीन और शो पीस के जरिए भी आप घर के वातावरण को खुशनुमा बना सकते हैं।
लाला:- रंग स्फूर्ति और उत्तेजना को दर्शाता है। फेंगशुई के मुताबिक लाल रंग को प्रेम का प्रतीक माना जाता है। इसलिए बेडरूम में रखी गई लाल रंग की एक्सेसरीज कमरे में जीवंतता का एहसास कराती हैं। लेकिन इस रंग का प्रयोग बच्चे के कमरे में करने से बचना चाहिए। स्फूर्तिदायक, आशावादी, सामाजिक और जीवंतता का एहसास कराने वाले इस रंग को डाइनिंग रूम में भी किसी न किसी रूप में प्रयोग किया जा सकता है। आतिथ्य सत्कार के साथ भूख बढ़ाने में भी यह रंग सहायक माना जाता है। पीला:- प्रफुल्लता का प्रतीक माना जाने वाला यह रंग मानसिक और भावनात्मक थकान का प्रेरक माना जाता है। इसलिए इसका इस्तेमाल अधिकतर कमरे के बाहरी हिस्सों जैसे बालकनी, लॉबी, सीढियों के पास किया जाना चाहिए। इसके अलावा इसका प्रयोग उत्तर दिशा की तरफ खुलने वाले कमरे के लिए भी करना चाहिए यानी जिन कमरों में सूर्य की रोशनी नहीं पहुंचती, वहां इसका इस्तेमाल किया जाना चाहिए। नारंगी:- स्थिरता और विश्वास का प्रतीक माना जाने वाला यह रंग ताजगी भी प्रदान करता है।
नारंगी रंग का प्रयोग मुख्यत: डाइनिंग रूम में किया जाता है ताकि अतिथि का आदर-सत्कार प्रेम और स्फूर्त भाव से किया जा सके। दीवारों पर ऑरेंज शेड हल्के रंगत में दीवारों पर खूब फबते हैं। गहरे ऑरेंज कलर की एक्सेसरीज कमरे को शाही लुक प्रदान करती है। बच्चों के कमरे में हल्के और गहरे ऑरेंज का कलर कांबिनेशन बेहतर रहता है। हरा:- ग्रीन यानी हरा रंग प्रकृति को दर्शाता है। आज के आधुनिक परिवेश में जहां हरियाली का अभाव खलता है, वहां घर में इंडोर प्लांट्स के जरिए इस रिक्तता की पूर्ति की जा सकती है। साथ ही ऐसे सदाबहार रंग से किचन का वातावरण भी हरा-भरा बनाया जा सकता है। यह रंग बेडरूम और लिविंग रूम के लिए भी उपयुक्त है, लेकिन गहरा रंग दीवारों पर नहीं बल्कि एक्सेसरीज के रूप में उपयुक्त माना जाता है।
गुलाबी:- शायद ही ऐसा कोई होगा जिसे पिंक या गुलाबी रंग न पसंद हो। प्यार, मुहब्बत और विश्वास को प्रदर्शित करने वाला गुलाबी रंग आंखों को भी सुकून पहुंचाता है। बेडरूम की दीवारों पर लाइट पिंक शेड प्यार का वातावरण उत्पन्न करता है। दीवारों और एक्सेसरीज के रूप में इस रंग के इस्तेमाल से कमरे को खुशनुमा और आकर्षक बनाया जा सकता है। नीला:- इस रंग को शांति और सुकून का पर्याय माना जाता है।