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- अपनी मंजिल के रास्ते खुद बनाए......
Posted by : achhiduniya
15 June 2016
दुनिया
भर के कामयाब व्यवसायी एक बात जानते हैं बड़ी सफलता खुद की मेहनत, खुद के अनुभव और खुद के स्रोतों से नहीं मिलती है। वो लोग दूसरे लोगों की
मेहनत और पैसे को इस्तेमाल करते हैं। अन्य लोगों के कौशल, श्रम
और पैसे को जोड़ कर कुछ नया गढते हैं। वो पुराना वक्त था जब कहा जाता था कि पहले
काम सीखो, फिर नाम कमाओ, फिर दाम कमाओ।
ये माना जाता था कि उम्र की 50वीं पायदान पर जा कर ही लोग
शिखर पर पहुंचेंगे। सन 80 के दशक में ही ये लहर उठने लगी थी
जब कंप्यूटर युग की शुरूआत हुई। बिल गेट्स और स्टीव जॉब्स जैसे युवाओं ने पुरानी
धारणाओं को ललकारा और एक नई इंडस्ट्री को जन्म दिया। इंटरनेट के आने के बाद जैसे
सब कुछ उफान पर आ गया। अक्सर जब कामयाबी की बात होती है तो बुजुर्ग कहते हैं,
'कड़ी मेहनत करते रहो, सफलता मिलेगी' यहां दो बातें महत्वपूर्ण हैं। पहली बात, जो लोग ये
सलाह दे रहे हैं उनमें से अधिकतर लोग खुद कामयाब नहीं हैं। इसलिए उनकी सलाह अक्सर
सही नहीं होती। और दूसरी बात, जमाना बदल गया है।
पहले जिनके पास विशेष जानकारियां होती थीं वो विशेषज्ञ माने जाते थे। जानकारियों और अनुभवों का ये खजाना एकत्रित करते-करते जिंदगी बीत जाती थी। आज एक बच्चा भी गूगल पर सर्च कर के तमाम जानकारियां तुरंत इकट्ठी कर सकता है। बुजुर्ग कहते हैं इसके कारण आज के युवा कामचोर हो गए हैं। उनको सब कुछ पका-पकाया मिल गया है। बात सच है,लेकिन जहां अधिकांश युवा नए जमाने की तकनीकों पर आश्रित होते जा रहे हैं, कुछ युवा सफल बुजुर्गों से सीख रहे हैं। अब फेसबुक को ही देख ले। मार्क जुकेरबर्ग वहां बैठकर लेख नहीं लिखते। लोग खुद 'कॉन्टेंट' बना रहे हैं। वहां आप जा कर अपने अनुभव लिखते हैं, फोटो डालते हैं। यूं समझिए करोडों लोग हर दिन 30-40 मिनट फेसबुक के लिए काम करते हैं। जिसके लिए फेसबुक कुछ भी अदा नहीं करता। हां, पूरा नफा उनका। हमारे देश में भी युवा इस काम में लगे हैं। किताब लेखक लिखते हैं, प्रकाशक प्रकाशित करते हैं, कुरियर कंपनी आपके घर पहुंचाती है,लेकिन बिकती है फ्लिपकार्ट पर सब्जियां किसान उगाते हैं, उनको आपके घर तक पहुंचाने का काम कोई लॉजिस्टिक कंपनी करती है, लेकिन बडी कमाई वो युवा कर रहे हैं जो इन सब को आपस में जोड़ कर नया व्यवसाय खड़ा कर रहे हैं। आज के युवाओं के लिए ये आसान हो गया है। वो इंटरनेट की तकनीक का उपयोग कर के लोगों को जोड़ रहे हैं, अपना काम करवा रहे हैं और कमा रहे हैं। बेशक इस काम में भी मेहनत है,लेकिन ये मेहनत दूसरों की मेहनत और अनुभव का फायदा उठाने के लिए है।
पहले जिनके पास विशेष जानकारियां होती थीं वो विशेषज्ञ माने जाते थे। जानकारियों और अनुभवों का ये खजाना एकत्रित करते-करते जिंदगी बीत जाती थी। आज एक बच्चा भी गूगल पर सर्च कर के तमाम जानकारियां तुरंत इकट्ठी कर सकता है। बुजुर्ग कहते हैं इसके कारण आज के युवा कामचोर हो गए हैं। उनको सब कुछ पका-पकाया मिल गया है। बात सच है,लेकिन जहां अधिकांश युवा नए जमाने की तकनीकों पर आश्रित होते जा रहे हैं, कुछ युवा सफल बुजुर्गों से सीख रहे हैं। अब फेसबुक को ही देख ले। मार्क जुकेरबर्ग वहां बैठकर लेख नहीं लिखते। लोग खुद 'कॉन्टेंट' बना रहे हैं। वहां आप जा कर अपने अनुभव लिखते हैं, फोटो डालते हैं। यूं समझिए करोडों लोग हर दिन 30-40 मिनट फेसबुक के लिए काम करते हैं। जिसके लिए फेसबुक कुछ भी अदा नहीं करता। हां, पूरा नफा उनका। हमारे देश में भी युवा इस काम में लगे हैं। किताब लेखक लिखते हैं, प्रकाशक प्रकाशित करते हैं, कुरियर कंपनी आपके घर पहुंचाती है,लेकिन बिकती है फ्लिपकार्ट पर सब्जियां किसान उगाते हैं, उनको आपके घर तक पहुंचाने का काम कोई लॉजिस्टिक कंपनी करती है, लेकिन बडी कमाई वो युवा कर रहे हैं जो इन सब को आपस में जोड़ कर नया व्यवसाय खड़ा कर रहे हैं। आज के युवाओं के लिए ये आसान हो गया है। वो इंटरनेट की तकनीक का उपयोग कर के लोगों को जोड़ रहे हैं, अपना काम करवा रहे हैं और कमा रहे हैं। बेशक इस काम में भी मेहनत है,लेकिन ये मेहनत दूसरों की मेहनत और अनुभव का फायदा उठाने के लिए है।