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- बच्चो को सिखाए पैसे की अहमियत.....उम्र के हिसाब से दे सही जेब खर्च........
Posted by : achhiduniya
28 June 2016
बच्चों को माता-पिता
प्रति माह जेब खर्च देते हैं। सवाल है बच्चे को जेब खर्च देने की सही उम्र क्या हो? बच्चों
को जेब खर्च देने की सही उम्र 7-8 साल होती है। इस उम्र में
बच्चों को उतने ही पैसे दें जिससे वह स्कूल में जाकर टॉफी-चॉकलेट जैसी चीजें खरीद
सके। यदि उन्हें ज्यादा पैसे दिए जाते हैं तो उनके लिए उस पूरे पैसे को संभालना
बहुत मुश्किल हो जाता है। नतीजतन वह आनन-फानन में कुछ भी एक साथ खरीद लेते हैं।
बच्चा जब 12 साल का हो जाए तो उसे पूरे महीने का जेब खर्च एक
साथ दिया जा सकता है। अपने पैसे को स्वयं खर्च करने से बच्चे में जिम्मेदारी का
एहसास आता है। बच्चों को घर के छोटे-मोटे खर्चे में हिस्सेदारी करना सिखाएं ताकि
उनमें घर में आकस्मिक जरूरत पड़ने पर अपने जेब खर्च का पैसा खर्च करने का भाव पैदा
हो सके।
ध्यान रखें कि उनकी जरूरतों को बिना सोचे-समझे पूरी करने के बजाय उन्हें अपने सीमित जेब खर्च में अपने खर्च को बेहतरीन ढंग से चलाने में पारंगत होना सिखाएं। यदि बच्चा किसी खास महंगी चीज की मांग करता है तो उसे अपनी जेब खर्च में से थोड़े –थोड़े पैसे बचाने के लिए कहें। इससे बच्चों में न केवल बचत करने की आदत विकसित होगी बल्कि वह इस बात को भी बखूबी समझ सकेगा कि पैसा कमाना इस दुनिया में सचमुच कितना मुश्किल काम है। बच्चों को घर का एक सदस्य होने के नाते उसके भीतर जिम्मेदारी का भाव जगाएं कि जिस प्रकार परिवार के समस्त कार्यो को सुचारू रूप से चलाने के लिए माता-पिता अपने-अपने कार्य को करते हैं। उसी प्रकार बच्चे का भी दायित्व है कि वह घर के कामों में माता-पिता का सहयोग करे।
परिवार में किसी सदस्य के जन्मदिन के अवसर पर या बच्चे के जन्मदिन पर उसे अतिरिक्त पॉकेट मनी दें ताकि वह जिसका जन्मदिन है उसके लिए कुछ तोहफा अपनी तरफ से खरीद सके। हर माता-पिता अपने बच्चों से अनेक तरह की अपेक्षाएं करते हैं। बच्चों से किसी भी प्रकार की अपेक्षा करने से पूर्व यह जानना-समझना जरूरी होता है कि बच्चे क्या सचमुच उनकी उस अपेक्षा को पूरा कर पाने में सर्मथ हैं। माता-पिता को चाहिए कि वह स्वयं भी मितव्ययी बनें ताकि बच्चे में भी अपने पैसे को सोच-समझकर खर्च करने की आदत बना सके।
ध्यान रखें कि उनकी जरूरतों को बिना सोचे-समझे पूरी करने के बजाय उन्हें अपने सीमित जेब खर्च में अपने खर्च को बेहतरीन ढंग से चलाने में पारंगत होना सिखाएं। यदि बच्चा किसी खास महंगी चीज की मांग करता है तो उसे अपनी जेब खर्च में से थोड़े –थोड़े पैसे बचाने के लिए कहें। इससे बच्चों में न केवल बचत करने की आदत विकसित होगी बल्कि वह इस बात को भी बखूबी समझ सकेगा कि पैसा कमाना इस दुनिया में सचमुच कितना मुश्किल काम है। बच्चों को घर का एक सदस्य होने के नाते उसके भीतर जिम्मेदारी का भाव जगाएं कि जिस प्रकार परिवार के समस्त कार्यो को सुचारू रूप से चलाने के लिए माता-पिता अपने-अपने कार्य को करते हैं। उसी प्रकार बच्चे का भी दायित्व है कि वह घर के कामों में माता-पिता का सहयोग करे।
परिवार में किसी सदस्य के जन्मदिन के अवसर पर या बच्चे के जन्मदिन पर उसे अतिरिक्त पॉकेट मनी दें ताकि वह जिसका जन्मदिन है उसके लिए कुछ तोहफा अपनी तरफ से खरीद सके। हर माता-पिता अपने बच्चों से अनेक तरह की अपेक्षाएं करते हैं। बच्चों से किसी भी प्रकार की अपेक्षा करने से पूर्व यह जानना-समझना जरूरी होता है कि बच्चे क्या सचमुच उनकी उस अपेक्षा को पूरा कर पाने में सर्मथ हैं। माता-पिता को चाहिए कि वह स्वयं भी मितव्ययी बनें ताकि बच्चे में भी अपने पैसे को सोच-समझकर खर्च करने की आदत बना सके।