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- सही हो या गलत बहस तो बहस ही होती है.......कैसे बचा जाए......?
Posted by : achhiduniya
08 June 2016
आज
कल छोटी-छोटी बातो मे बहस करते समय लोग हर तरीके से खुद को सही और दूसरे को गलत
साबित करने की कोशिश में लगे रहते हैं। वे चाहे गलत हों या सही फिर भी अपनी बात
दूसरों पर थोपने की कोशिश करते हैं। इन्हें लगता है, ये जितना चिल्लाएंगे सामने वाला उतना ही उनकी बात पर गौर करेगा। लेकिन
सामने वाला तो उनकी बात पर ध्यान नहीं देता लेकिन आसपास के सभी लोग उनके झगड़े में
जल्द शामिल हो जाते हैं। अगर आप भी कभी इस तरह की किसी बहस में फंस जाएं तो आपको
अपना आपा सामने वाले व्यक्ति की तरह खोने की जरूरत नहीं है।
सामने वाला आपको कितना भी उकसाये, लेकिन आपको खुद पर काबू पाना आना चाहिए। आपको उसकी हालत पर तरस खाकर चुप रहना चाहिए। एक बात हमेशा याद रखें कि बहस चाहे कितनी भी सही या ठोस क्यों न हो, बहस तो बहस ही होती है और उससे बाद में किसी न किसी व्यक्ति को जरूर स्ट्रेस होता ही है। माना कि लोगों का एक चीज पर बात करना जरूरी होता है और उस बात के बीच कभी-कभी इस तरह बहस का माहौल भी बन जाता है लेकिन कभी भी अपनी बहस को इतना गंभीर न बनाएं कि उससे आपको ही परेशानी हो। बहस के समय कभी भी आप दूसरे के साथ पर्सनल न हों। किसी को उसकी निजी जिंदगी से जुड़ी कोई बात न कहें, क्योंकि यदि आप ऐसा करते हैं तो आप सही होने पर भी गलत करार कर दिए जाते हैं। वह लोग जो आपको सही होने पर आपका साथ दे रहे होते हैं वह भी पीछे हट जाते हैं और उनकी हमदर्दी दूसरे के पक्ष में चली जाती है।
माना जाता है जो इंसान बहस के दौरान पर्सनल बातें करने लगता है, उसके पास कहने का कुछ सही और ठोस नहीं होता। इसलिए वह खुद को इस समस्या से निकालने के लिए निजी बातें करना शुरू कर देता है। बहस के दौरान एक बात पर अड़े रहने से भले ही आप न जीतें लेकिन अगर आप सामने वाले को नीचा दिखाने के लिए पर्सनल कमेंट करते हैं तो फिर आपकी हार पक्की है। जब आप किसी बहस में फंस जाते हैं तो कुछ गलत कहने की बजाय आप अपने चेहरे पर एक हल्की मुस्कान रखें। भले ही कुछ लोग आपको गलत समझें लेकिन सामने वाला व्यक्ति जो आपसे बेवजह बहस किए जा रहा है, वह आपको देखकर जरूर कमजोर पड़ जाएगा और जल्द ही हार मान लेगा। अगर आप किसी को गाली या कुछ गलत कहते हैं तो वह आपसे भी ज्यादा बड़ा और गलत कहने का माद्दा रखता है। लेकिन अगर आप उससे डील करने का यह प्यार भरा तरीका निकालेंगे तो उसे समझ नहीं आएगा कि वह आपको उसका क्या जवाब दे और वह हार मानकर चुप हो जाएगा।
बहस करने वाला व्यक्ति अपनी परेशानी में इतना डूबा होता है कि वह पहचान भी नहीं पाता कि क्या गलत है और क्या सही। जब इस तरह बहस का माहौल पैदा होता है तो उसे लगता है कि शायद यह वो सही जगह है जहां वह अपने दिल की भड़ास निकाल सकता है और इसी नजर से वह छोटी सी बहस को अपनी भड़ास के चलते बड़ा बना देता है। ऐसा करके वह खुद को दूसरों के सामने एक मूर्ख व्यक्ति साबित करता है। जब उसकी भड़ास निकल जाती है और उसे यह एहसास होता है कि वह गलत है, तब तक वह उससे भी ज्यादा बड़ी मुश्किल में फंस जाता है। इस तरह बेवजह झगड़े से आपको कभी कुछ हासिल नहीं होता, होता है तो सिर्फ तनाव उस झगड़े के बाद आप पहले से भी ज्यादा तनाव में आ जाते हैं। आपकी भले इस बहस में जीत हो या हार तब भी आपको सुकून नहीं पहुंचता। एक बात हमेशा याद रखें कि बहस चाहे कितनी भी सही या ठोस क्यों न हो, बहस तो बहस ही होती है। इससे बाद में किसी न किसी व्यक्ति को स्ट्रेस जरूर होता है।
सामने वाला आपको कितना भी उकसाये, लेकिन आपको खुद पर काबू पाना आना चाहिए। आपको उसकी हालत पर तरस खाकर चुप रहना चाहिए। एक बात हमेशा याद रखें कि बहस चाहे कितनी भी सही या ठोस क्यों न हो, बहस तो बहस ही होती है और उससे बाद में किसी न किसी व्यक्ति को जरूर स्ट्रेस होता ही है। माना कि लोगों का एक चीज पर बात करना जरूरी होता है और उस बात के बीच कभी-कभी इस तरह बहस का माहौल भी बन जाता है लेकिन कभी भी अपनी बहस को इतना गंभीर न बनाएं कि उससे आपको ही परेशानी हो। बहस के समय कभी भी आप दूसरे के साथ पर्सनल न हों। किसी को उसकी निजी जिंदगी से जुड़ी कोई बात न कहें, क्योंकि यदि आप ऐसा करते हैं तो आप सही होने पर भी गलत करार कर दिए जाते हैं। वह लोग जो आपको सही होने पर आपका साथ दे रहे होते हैं वह भी पीछे हट जाते हैं और उनकी हमदर्दी दूसरे के पक्ष में चली जाती है।
माना जाता है जो इंसान बहस के दौरान पर्सनल बातें करने लगता है, उसके पास कहने का कुछ सही और ठोस नहीं होता। इसलिए वह खुद को इस समस्या से निकालने के लिए निजी बातें करना शुरू कर देता है। बहस के दौरान एक बात पर अड़े रहने से भले ही आप न जीतें लेकिन अगर आप सामने वाले को नीचा दिखाने के लिए पर्सनल कमेंट करते हैं तो फिर आपकी हार पक्की है। जब आप किसी बहस में फंस जाते हैं तो कुछ गलत कहने की बजाय आप अपने चेहरे पर एक हल्की मुस्कान रखें। भले ही कुछ लोग आपको गलत समझें लेकिन सामने वाला व्यक्ति जो आपसे बेवजह बहस किए जा रहा है, वह आपको देखकर जरूर कमजोर पड़ जाएगा और जल्द ही हार मान लेगा। अगर आप किसी को गाली या कुछ गलत कहते हैं तो वह आपसे भी ज्यादा बड़ा और गलत कहने का माद्दा रखता है। लेकिन अगर आप उससे डील करने का यह प्यार भरा तरीका निकालेंगे तो उसे समझ नहीं आएगा कि वह आपको उसका क्या जवाब दे और वह हार मानकर चुप हो जाएगा।
बहस करने वाला व्यक्ति अपनी परेशानी में इतना डूबा होता है कि वह पहचान भी नहीं पाता कि क्या गलत है और क्या सही। जब इस तरह बहस का माहौल पैदा होता है तो उसे लगता है कि शायद यह वो सही जगह है जहां वह अपने दिल की भड़ास निकाल सकता है और इसी नजर से वह छोटी सी बहस को अपनी भड़ास के चलते बड़ा बना देता है। ऐसा करके वह खुद को दूसरों के सामने एक मूर्ख व्यक्ति साबित करता है। जब उसकी भड़ास निकल जाती है और उसे यह एहसास होता है कि वह गलत है, तब तक वह उससे भी ज्यादा बड़ी मुश्किल में फंस जाता है। इस तरह बेवजह झगड़े से आपको कभी कुछ हासिल नहीं होता, होता है तो सिर्फ तनाव उस झगड़े के बाद आप पहले से भी ज्यादा तनाव में आ जाते हैं। आपकी भले इस बहस में जीत हो या हार तब भी आपको सुकून नहीं पहुंचता। एक बात हमेशा याद रखें कि बहस चाहे कितनी भी सही या ठोस क्यों न हो, बहस तो बहस ही होती है। इससे बाद में किसी न किसी व्यक्ति को स्ट्रेस जरूर होता है।



