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- क्या भगवान जगन्नाथ की मूर्ति के भीतर स्वयं ब्रह्म विराजमान हैं...?
Posted by : achhiduniya
03 July 2016
ब्रह्म
कृष्ण के नश्वर शरीर में विराजमान थे और जब कृष्ण की मृत्यु हुई तब पांडवों ने
उनके शरीर का दाह-संस्कार कर दिया लेकिन कृष्ण का दिल (पिंड) जलता ही रहा। पिंड को
पांडवों ने जल में प्रवाहित कर दिया। उस पिंड ने लट्ठे का रूप ले लिया। राजा
इंद्रद्युम्न, जो कि भगवान जगन्नाथ के भक्त थे,
को यह लट्ठा मिला और उन्होंने उसे जगन्नाथ की मूर्ति के भीतर
स्थापित कर दिया। उस दिन से लेकर आजतक वह लट्ठा भगवान जगन्नाथ की मूर्ति के भीतर
है। हर 12 वर्ष के अंतराल के बाद जगन्नाथ की मूर्ति बदलती है
लेकिन यह लट्ठा उसी में रहता है। इस लकड़ी के लट्ठे में एक हैरान करने वाली बात यह
भी है कि यह मूर्ति हर 12 साल में एक बार बदलती तो है लेकिन
लट्ठे को आज तक किसी ने नहीं देखा। मंदिर के पुजारी जो इस मूर्ति को बदलते हैं। उनका
कहना है कि उनकी आंखों पर पट्टी बांध दी जाती है और हाथ पर कपड़ा ढक दिया जाता है। इसलिए
वे न तो उस लट्ठे को देख पाए हैं और न उसे ही छूकर महसूस कर पाए हैं। पुजारियों के अनुसार वह लट्ठा इतना सॉफ्ट होता
है मानो कोई खरगोश उनके हाथ में फुदक रहा है। पुजारियों का ऐसा मानना है कि अगर
कोई व्यक्ति इस मूर्ति के भीतर छिपे ब्रह्म को देख लेगा तो उसकी मृत्यु हो जाएगी। इसी
वजह से जिस दिन जगन्नाथ की मूर्ति बदली जानी होती है, उड़ीसा
सरकार द्वारा पूरे शहर की बिजली बाधित कर दी जाती है। यह बात आज तक एक रहस्य ही है
कि क्या वाकई भगवान जगन्नाथ की मूर्ति में श्री कृष्ण का वास है। जगन्नाथ मंदिर से
जुड़ी यह रहस्यमय कहानी प्रचलित है,
जिसके अनुसार मंदिर में मौजूद भगवान जगन्नाथ की मूर्ति के भीतर स्वयं ब्रह्म विराजमान
हैं।