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- सावधान ऐसे दोस्तो से जो नहीं चाहते कि आप सफल हो……
Posted by : achhiduniya
05 July 2016
आज
के दौर मे हर किसी को सच्चे दोस्त की जरूरत होती है यहा हम फेस बुक फ्रेंड्स की नही
हकीकत के दोस्त जो हमेशा हमारे आस-पास होते है। हमारे हर सुख-दुख मे साथ देते है। लेकिन
जब तुम्हें अपने दोस्तों के सपोर्ट की जरूरत महसूस हो या जब तुम्हें अपने दोस्तों
से कोई
सपोर्ट नहीं मिल पा रहा हो तो इस बात को याद करना कि तुम्हारे ज्यादातर दोस्त नहीं
चाहते कि तुम सफल हो। बुरा मत मानना यदि मैं कहूं कि तुम्हारे ज्यादातर दोस्त नहीं
चाहते कि तुम सफल हो। वे नहीं चाहते कि तुम नाकामियों की बंदिशें तोड़कर आजाद हो
सको। वे तुम्हें असफल होते देखना चाहते हैं। ये जरूरी नहीं कि वे दिल से ऐसा चाहते
हों,
लेकिन उनके अवचेतन मन में ये चाह दबी हो सकती है। ध्यान दो, मैंने ये बात तुम्हारे ज्यादातर दोस्तों के बारे में कही है, सारे दोस्तों के बारे में नहीं। तुम जानते हो, ऐसे
लोग वे हैं जो हमेशा ही अपने काम से या अपनी नौकरी से नाराज रहते हैं और पूरे समय
शिकायतें करते रहते हैं। मैं ऐसे ही दोस्तों के बारे में बात कर रहा हूं।
क्या पता तुम्हारे सारे ही दोस्त ऐसे हों, कुछ नहीं भी हो सकते, ये तुम्हें बेहतर पता होगा। फर्ज करो कि तुम अपनी राह पर चलते हुए मेहनत करते हुए एक दिन वह सब पा लेते हो जिसकी तुमने कभी ख्वाहिश की थी। ऐसे में तुम्हारे दोस्तों के मन को कहीं-न-कहीं चोट जरूर पहुंचेगी क्योंकि उनके सपने, उनकी ख्वाहिशें, उनकी उम्मीदें भी वही सब था। वे भी उसी जगह पहुंचना चाहते थे जहां तुम पहुंच सके। तुम्हारा सफल होना उन सबको गलत साबित कर देगा, उनकी शिकायतों को नाकाम कर देगा। तुम्हारे सफल होने पर वे जान जाएंगे कि कहीं कुछ था जिसे वे नजरअंदाज कर बैठे, समझ नहीं पाए। यही वजह है कि तुम्हारे दोस्त तुम्हें फेल होते देखना चाहते हैं। वे इसे जानते हों या नहीं जानते हों, वे इसे जाहिर करें या चुप रहें, ये बात उनके चेतन मन में हो या अवचेतन मन में हो यह सब मायने नहीं रखता। यह महत्वपूर्ण नहीं है।
वे यही चाहेंगे कि तुम उनकी शख्सियत का, उनके ही ग्रुप का एक हिस्सा बने रहो। जब वे तुमसे बेहतर स्थिति में होते हैं तब तक सब ठीक चल रहा होता है। जब तक तुम्हारे नंबर उनके जितने ही आ रहे होते हैं जब तक ठीक चल रहा होता है। जब तक तुम और वे एक साथ फेल हो रहे होते हैं तब तक सब ठीक चल रहा होता है। हर व्यक्ति चाहे-अनचाहे अपनी जीवनशैली का गुलाम बन जाता है और उसे सुरक्षित रखना चाहता है। जब वह दूसरों को लीक से अलग हटकर चलते या ज्यादा फ्रीडम पाते देखता है तो विचलित हो जाता है। हर व्यक्ति ऐसा करता है। मैं भी कोई अपवाद नहीं हूं। अगली दफा जब तुम्हें अपने दोस्तों के सपोर्ट की जरूरत महसूस हो या जब तुम्हें अपने दोस्तों से कोई सपोर्ट नहीं मिल पा रहा हो तो इस बात को याद करना कि तुम्हारे ज्यादातर दोस्त नहीं चाहते कि तुम सफल हो।
ये बात तुम्हें चाहे मजाकिया लगे या बेहूदा या विसंगतिपूर्ण लगे लेकिन इसमें बहुत हद तक सच्चाई है। हालांकि जो दोस्त काबिल होते हुए भी वक्त-जरूरत पर तुम्हारा साथ न दे वह सच्चा दोस्त कहलाने का हकदार नहीं होता। उसे तुम स्वार्थी भी कह सकते हो पर क्या हम सब स्वार्थी नहीं हैं? हम अपने दोस्तों से हमेशा ही यह उम्मीद करते हैं कि वे हर घड़ी हमारे प्रति सर्मपित रहें पर क्या हम ऐसा करते हैं? करते भी हैं तो किस सीमा तक करते हैं? हर चीज की एक लिमिट होती है। मैं अपनी बात कहूं तो ये बहुत अजीब पर्सपेक्टिव है। मेरे कुछ दोस्त हैं जो मुझे कामयाब होते देखना चाहते हैं लेकिन उनकी शर्तों, उम्मीदों और सामाजिक दायरे के भीतर। मैं उनकी लाइफस्टाइल को फॉलो करूं तो वह सब शायद कभी हासिल न कर सकूं जो मैं पाना चाहता हूं।
अंग्रेजी में एक बात कही जाती है कि it"s lonely at the top - शिखर पर व्यक्ति अकेला रह जाता है। सफल व्यक्ति के साथ भी यही बात है। न केवल शिखर पर बल्कि तयशुदा रास्ते के सिवाय हर जगह व्यक्ति खुद को अकेला ही पाता है। क्या तुम उस अकेलेपन के लिए तैयार नहीं होना चाहोगे......? एक बार सोचो और निकल पड़ो आगे...आगे....अच्छी दुनिया आएगी पीछे...पीछे ....
क्या पता तुम्हारे सारे ही दोस्त ऐसे हों, कुछ नहीं भी हो सकते, ये तुम्हें बेहतर पता होगा। फर्ज करो कि तुम अपनी राह पर चलते हुए मेहनत करते हुए एक दिन वह सब पा लेते हो जिसकी तुमने कभी ख्वाहिश की थी। ऐसे में तुम्हारे दोस्तों के मन को कहीं-न-कहीं चोट जरूर पहुंचेगी क्योंकि उनके सपने, उनकी ख्वाहिशें, उनकी उम्मीदें भी वही सब था। वे भी उसी जगह पहुंचना चाहते थे जहां तुम पहुंच सके। तुम्हारा सफल होना उन सबको गलत साबित कर देगा, उनकी शिकायतों को नाकाम कर देगा। तुम्हारे सफल होने पर वे जान जाएंगे कि कहीं कुछ था जिसे वे नजरअंदाज कर बैठे, समझ नहीं पाए। यही वजह है कि तुम्हारे दोस्त तुम्हें फेल होते देखना चाहते हैं। वे इसे जानते हों या नहीं जानते हों, वे इसे जाहिर करें या चुप रहें, ये बात उनके चेतन मन में हो या अवचेतन मन में हो यह सब मायने नहीं रखता। यह महत्वपूर्ण नहीं है।
वे यही चाहेंगे कि तुम उनकी शख्सियत का, उनके ही ग्रुप का एक हिस्सा बने रहो। जब वे तुमसे बेहतर स्थिति में होते हैं तब तक सब ठीक चल रहा होता है। जब तक तुम्हारे नंबर उनके जितने ही आ रहे होते हैं जब तक ठीक चल रहा होता है। जब तक तुम और वे एक साथ फेल हो रहे होते हैं तब तक सब ठीक चल रहा होता है। हर व्यक्ति चाहे-अनचाहे अपनी जीवनशैली का गुलाम बन जाता है और उसे सुरक्षित रखना चाहता है। जब वह दूसरों को लीक से अलग हटकर चलते या ज्यादा फ्रीडम पाते देखता है तो विचलित हो जाता है। हर व्यक्ति ऐसा करता है। मैं भी कोई अपवाद नहीं हूं। अगली दफा जब तुम्हें अपने दोस्तों के सपोर्ट की जरूरत महसूस हो या जब तुम्हें अपने दोस्तों से कोई सपोर्ट नहीं मिल पा रहा हो तो इस बात को याद करना कि तुम्हारे ज्यादातर दोस्त नहीं चाहते कि तुम सफल हो।
ये बात तुम्हें चाहे मजाकिया लगे या बेहूदा या विसंगतिपूर्ण लगे लेकिन इसमें बहुत हद तक सच्चाई है। हालांकि जो दोस्त काबिल होते हुए भी वक्त-जरूरत पर तुम्हारा साथ न दे वह सच्चा दोस्त कहलाने का हकदार नहीं होता। उसे तुम स्वार्थी भी कह सकते हो पर क्या हम सब स्वार्थी नहीं हैं? हम अपने दोस्तों से हमेशा ही यह उम्मीद करते हैं कि वे हर घड़ी हमारे प्रति सर्मपित रहें पर क्या हम ऐसा करते हैं? करते भी हैं तो किस सीमा तक करते हैं? हर चीज की एक लिमिट होती है। मैं अपनी बात कहूं तो ये बहुत अजीब पर्सपेक्टिव है। मेरे कुछ दोस्त हैं जो मुझे कामयाब होते देखना चाहते हैं लेकिन उनकी शर्तों, उम्मीदों और सामाजिक दायरे के भीतर। मैं उनकी लाइफस्टाइल को फॉलो करूं तो वह सब शायद कभी हासिल न कर सकूं जो मैं पाना चाहता हूं।
अंग्रेजी में एक बात कही जाती है कि it"s lonely at the top - शिखर पर व्यक्ति अकेला रह जाता है। सफल व्यक्ति के साथ भी यही बात है। न केवल शिखर पर बल्कि तयशुदा रास्ते के सिवाय हर जगह व्यक्ति खुद को अकेला ही पाता है। क्या तुम उस अकेलेपन के लिए तैयार नहीं होना चाहोगे......? एक बार सोचो और निकल पड़ो आगे...आगे....अच्छी दुनिया आएगी पीछे...पीछे ....