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- ऐसे लेते है महान लोग अपमान का बदला......?
Posted by : achhiduniya
25 October 2017
आज कल लोग छोटी से छोटी बात पर अपने आप को अपमानित महसूस
करने लगते है और बदला लेने के लिए किसी भी हद तक जाते है। लगभग 1998 की बात है जब रतन टाटा अपनी पहली पैसेंजर
हैचबैक कार इंडिका लेकर आए थे। भारत के अलावा यूरोप अफ्रीका और दूसरे देशों में
अपनी पहुंच बनाने वाली इंडिका का लॉन्च कुछ समय बाद ही बुरी तरह फेल हो गया था।
पहले साल ही लोगों ने कार को पसंद नहीं किया। कार की बिक्री भी नहीं हो रही थी तब
कुछ लोगों ने रतन टाटा को कार डिवीजन बेचने की सलाह दी थी। रतन टाटा ने ये सलाह मान
ली और फिर कुछ कंपनियों से संपर्क किया। उस दौरान अमेरिकी कंपनी फोर्ड ने रुचि
दिखाई और फोर्ड के अधिकारी टाटा के हेड ऑफिस मुंबई पहुंचे। पहले दौर की बातचीत के
बाद रतन टाटा को फोर्ड के हेड ऑफिस डेट्रॉयट बुलाया गया। टाटा ग्रुप के चेयरमैन
रतन टाटा कंपनी के दूसरे सदस्यों के साथ बातचीत के लिए पहुंचे। करीब तीन घंटे तक
बात हुई लेकिन उस दौरान फोर्ड का रवैया रतन टाटा के साथ अपमान जनक था। लंबी बातचीत
के दौरान फोर्ड कंपनी के चेयरमैन बिल फोर्ड ने रतन टाटा से कहा था कि जब आपको
पैसेंजर कार के बारे में कुछ पता ही नहीं था तो बिजनेस शुरू क्यों कर दिया। हम इसे
खरीदकर आप पर एहसान ही करेंगे। उसी शाम रतन टाटा अपनी टीम के साथ डेट्रॉयट से
न्यूयॉर्क लौट आए।
90 मिनट की उड़ान में रतन टाटा उदास रहे और मन ही मन एक प्रण लिया। इस घटना के नौ साल बाद साल 2009 में जब फोर्ड दिवालिया होने के कगार पर पहुंच गई तब टाटा ने फोर्ड का लग्जरी ब्रैंड जगुआर-लैंडरोवर खरीदने का फैसला किया। जो रतन टाटा कभी अपनी कार डिवीजन बेचने के लिए फोर्ड के दरवाजे पहुंचे थे। वह अब फोर्ड का सब्स मशहूर ब्रांड खरीदने जा रहे थे। अपमान के करीब 11 साल बाद फोर्ड के अधिकारी टाटा के मुंबई दफ्तर पर माथा टेक रहे थे। 92 अरब रुपए की डील हुई और तब फोर्ड के चेयरमैन बिल फोर्ड ने रतन टाटा से कहा था कि जेएलआर खऱीदकर आप हम पर बहुत बड़ा एहसान कर रहे हैं। 11 साल पहले हुए अपमान और 11 साल बाद उस अपमान के बदले की ये कहानी रतन टाटा के बेहद करीबी रहे प्रवीण काडले ने एक पुरस्कार समारोह के दौरान सुनाई थी और कहा था कि आम लोग अपमान का बदला फौरन ले लेते हैं पर महान लोग उसे अपनी जीत का जरिया बना लेते हैं । मित्र आभार।
90 मिनट की उड़ान में रतन टाटा उदास रहे और मन ही मन एक प्रण लिया। इस घटना के नौ साल बाद साल 2009 में जब फोर्ड दिवालिया होने के कगार पर पहुंच गई तब टाटा ने फोर्ड का लग्जरी ब्रैंड जगुआर-लैंडरोवर खरीदने का फैसला किया। जो रतन टाटा कभी अपनी कार डिवीजन बेचने के लिए फोर्ड के दरवाजे पहुंचे थे। वह अब फोर्ड का सब्स मशहूर ब्रांड खरीदने जा रहे थे। अपमान के करीब 11 साल बाद फोर्ड के अधिकारी टाटा के मुंबई दफ्तर पर माथा टेक रहे थे। 92 अरब रुपए की डील हुई और तब फोर्ड के चेयरमैन बिल फोर्ड ने रतन टाटा से कहा था कि जेएलआर खऱीदकर आप हम पर बहुत बड़ा एहसान कर रहे हैं। 11 साल पहले हुए अपमान और 11 साल बाद उस अपमान के बदले की ये कहानी रतन टाटा के बेहद करीबी रहे प्रवीण काडले ने एक पुरस्कार समारोह के दौरान सुनाई थी और कहा था कि आम लोग अपमान का बदला फौरन ले लेते हैं पर महान लोग उसे अपनी जीत का जरिया बना लेते हैं । मित्र आभार।