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- सृष्टि की रचना व भगवान शिव और देवी पार्वती के मिलन का पर्व महाशिवरात्रि
Posted by : achhiduniya
03 March 2019
महाशिवरात्रि हिन्दुओं का प्रसिद्ध त्योहार है, जो कि हर साल फाल्गुन महीने में मनाया जाता है। महाशिवरात्रि का पर्व शिवरात्रि के दिन शिव भक्त पूरे श्रद्धा भाव से उपवास रखते हैं। इस दिन मंदिरों में भक्तों की भारी भीड़ देखने को मिलती है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन देवी पार्वती और भगवान शिव का विवाह हुआ था। कुछ पौराणिक कथाओं के अनुसार ऐसी भी मान्यता है कि सृष्टि की रचना इसी दिन हुई थी। हर साल में 12 शिवरात्रियां आती हैं, जो कि हर माह की चौदहवीं तिथि को मनाया जाता है लेकिन फाल्गुन माह की शिवरात्रि को सबसे प्रमुख और महत्वपूर्ण माना जाता है।
भगवान शिव की उपासना में इस दिन व्रत करने की मान्यता है। महाशिवरात्रि को
भगवान शिव की पूजा व अभिषेक करने का प्रावधान है। कई लोग जल से अभिषेक करते हैं और
कुछ लोग दूध से कुछ लोग सूर्योदय के समय पवित्र स्थानों या तीर्थों में स्नान करते
हैं। शिवरात्रि की रात जागरण करने की मान्यता भी है। कहीं-कहीं पर आज के दिन
मंदिरों से भगवान शिव की बारात भी निकाली जाती है। कई स्थानों पर मंडप लगाकर
शिव-पार्वती का विवाह भी करवाया जाता है।
इस बार महाशिवरात्रि का व्रत करने वालों
को संक्रांति का भी शुभ फल प्राप्त होगा। इस दिन बुध ग्रह, कुंभ राशि में आएंगे और सूर्य से मिलेंगे। जिसकी
वजह से भी इस बार की शिवरात्रि काफी महत्तवपूर्ण है। महाशिवरात्रि का पर्व
शिवरात्रि के दिन शिव भक्त पूरे श्रद्धा भाव से उपवास रखते हैं। इसी दिन भगवन शिव
और माता पार्वती का विवाह हुआ था।
भगवान शिव की पूजा के दौरान विशेष ऐतिहात बरतना
चाहिए। पानी, दूध और शहद के साथ भगवान शिव का अभिषेक।
सिंदूर व इत्र शिवलिंग को लगाया जाता है। यह पुण्य का प्रतिनिधित्व करता है। बेल
के पत्ते जो आत्मा की शुद्धि का प्रतिनिधित्व करते हैं। फल, जो दीर्घायु और इच्छाओं की संतुष्टि को दर्शाते
हैं। दीपक जो ज्ञान की प्राप्ति के लिए अनुकूल है।
जलती धूप, धन, उपज (अनाज)।
पान के पत्ते जो सांसारिक सुखों के साथ संतोष अंकन करते हैं।