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- शरद पूर्णिमा पर आरोग्य से भरी अमृत खीर यानि कोजागिरी का महत्व....?
Posted by : achhiduniya
30 October 2020
शरद पूर्णिमा आरोग्य और अमृत तत्व की प्राप्ति का मार्ग है। शरद पूर्णिमा की रात्रि में गाय के दूध से बनी खीर को खुले पात्र में डालकर रात्रि में खुली चांदनी में रखना चाहिए। अगले दिन प्रात काल भगवान को भोग लगाकर निराहार इस खीर का सेवन करना चाहिए। खीर खाने की परंपरा के पीछे भी आयुर्वेदिक तर्क हैं। जब बालक जन्म लेता है तो उसका सर्वाहार दुग्ध ही होता है, मां का दूध उसे जीवन
शक्ति प्रदान करता है और संपूर्ण पोषण देकर उसे पुष्ट और बलवान बनाता है। धीरे-धीरे वह बड़ा होता है तो गाय का दुग्ध पीने के साथ वह बाहरी दुनिया के आहार को ग्रहण करता है,लेकिन जब ठोस भोजन दिए जाने की बात आती है तो सबसे पहले वह दूध-चावल की तरल खीर ही खाता है। क्योंकि खीर में पौष्टिक दूध तो है ही, साथ ही बाहरी दुनिया का बल प्रदान करने के लिए अक्षत यानी कि चावल भी मिश्रित है। कार्बोहाइड्रेट का पहला स्त्रोत चावल बालक को पुष्टता प्रदान करता है। इसलिए आरोग्य के विषय में