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- मोरबी पुल टूटना भगवान की इच्छा (एक्ट ऑफ गॉड) थी... ओरेवा कंपनी के प्रबंधक का जवाब
Posted by : achhiduniya
02 November 2022
गुजरात सरकार
की मंजूरी या गुणवत्ता परीक्षण के बिना 26 अक्टूबर को पुल को जनता के लिए खोल दिया
गया था। मोरबी के पुलिस उपाधीक्षक पीए जाला ने अदालत को बताया कि पुल की केबल में
जंग लग गई थी और मेंटेनेंस करने वाली कंपनी ने इसे नहीं बदला था। मालूम हो कि पुलिस
अधिकारी ने आगे कहा कि रखरखाव और मरम्मत के हिस्से के रूप में, केवल प्लेटफॉर्म को बदला गया था। पुल एक केबल पर था और केबल की
कोई ग्रीसिंग नहीं की गई थी। जहां से केबल
टूटी वहां से केबल में जंग लग गया था। अगर केबल
ठीक कर दी जाती तो यह घटना नहीं
होती। वहीं एक अभियोजक ने न्यायाधीश को बताया कि पुल की मरम्मत करने वाले ठेकेदार
सार्वजनिक बुनियादी ढांचे के रखरखाव के लिए योग्य नहीं थे। अभियोजक ने कहा कि
अयोग्य होने के बावजूद ठेकेदारों को 2007 में और
फिर 2022 में पुल की मरम्मत का काम दिया गया था। चूंकि केबल नहीं बदले
गए थे, इसलिए वे टूट गए क्योंकि वे केबल पर लगाए गए नए फर्श का भार
नहीं उठा सके। फर्श में इस्तेमाल होने वाली चार-परत एल्यूमीनियम शीट के कारण पुल
का वजन बढ़ गया था। पुल हादसे में 135 लोगों की मौत के आरोपियों में
से एक ने अदालत को बताया कि यह घटना ‘भगवान
की इच्छा’
(एक्ट ऑफ गॉड) थी। यह टिप्पणी 150 साल पुराने पुल
के रखरखाव के लिए जिम्मेदार ओरेवा कंपनी के प्रबंधक दीपक पारेख की है। वह रविवार
को पुल ढहने के बाद गिरफ्तार किए गए नौ लोगों में से एक है। उसने मुख्य न्यायिक
मजिस्ट्रेट एमजे खान से कहा कि यह भगवान की इच्छा थी कि ऐसी दुर्भाग्यपूर्ण घटना
हुई। ओरेवा समूह के एक अन्य प्रबंधक दीपक पारेख और पुल की मरम्मत करने वाले दो उप
ठेकेदारों को शनिवार तक पुलिस हिरासत में भेज दिया गया है। गिरफ्तार किए गए
सुरक्षा गार्ड और टिकट बुकिंग क्लर्क सहित पांच अन्य लोग न्यायिक हिरासत में हैं।
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