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- मस्जिद में नमाज़ पढ़ने के लिए महिलाए स्वतंत्र हैं.. AIMPLB ने सुप्रीम कोर्ट में दी दलील
Posted by : achhiduniya
09 February 2023
AIMPLB
[ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड] ने सुप्रीम
कोर्ट में कहा कि मुस्लिम महिला नमाज़ अदा करने के वास्ते मस्जिद में दाखिल होने
के लिए स्वतंत्र हैं और यह उन पर निर्भर करता है कि वह मस्जिद में नमाज़ अदा करने
के अपने अधिकार का इस्तेमाल करना चाहती हैं या नहीं। AIMPLB ने शीर्ष अदालत में एक हलफनामा दायर कर यह जानकारी दी है। यह
हलफनामा मुस्लिम महिलाओं के मस्जिद में जाकर नमाज़ अदा करने से संबंधित एक याचिका
को लेकर दाखिल किया गया है। वकील एम आर शमशाद
के जरिये दायर हलफनामे में कहा गया
है कि इबादतगाहें जो वर्तमान मामले में मस्जिदें हैं पूरी तरह से निजी संस्थाएं
हैं और इन्हें मस्जिदों के मुत्तवली प्रबंधकों
द्वारा नियंत्रित किया जाता है। फरहा अनवर हुसैन शेख ने 2020 में शीर्ष अदालत में याचिका दायर कर भारत में मुस्लिम महिलाओं
के मस्जिदों में प्रवेश पर लगी कथित रोक के चलन को लेकर निर्देश देने का आग्रह
किया
था और इसे अवैध और असंवैधानिक बताया था। याचिका पर मार्च में सुनवाई हो सकती
है। हफलनामे में कहा गया है कि AIMPLB विशेषज्ञों की संस्था है और इसके पास कोई शक्ति नहीं है और यह
सिर्फ इस्लाम के सिद्धांतों पर अपनी सलाह जारी कर सकती है। हलफनामे में कहा गया है
कि धार्मिक ग्रंथों, सिद्धांतों, इस्लाम के मानने वालों के धार्मिक विश्वासों पर विचार करते हुए
यह दलील दी जाती है कि महिलाओं को मस्जिद में प्रवेश कर नमाज़ अदा करने की इजाज़त
है।
AIMPLB इस बाबत किसी विपरीत धार्मिक मत पर कोई टिप्पणी नहीं करना
चाहता। हलफनामे में कहा गया है कि इस्लाम ने महिलाओं के लिए यह जरूरी नहीं किया है
कि वे दिन में पांच वक्त की नमाज़ जमात के साथ पढ़ें या जुमे की नमाज़ जमात के साथ
अदा करें। हालांकि यह मुस्लिम पुरुषों के लिए जरूरी है। इसमें कहा गया है कि इस्लाम के सिद्धांत के मुताबिक, मुस्लिम महिलाएं चाहे घर पर नमाज़ पढ़ें या मस्जिद में नमाज़
अदा करें, उन्हें एक जैसा ही सवाब मिलेगा।

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