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गेस्ट हाउस कांड से लेकर IAS की तैयारी तीन बार यूपी की सीएम बनीं मायावती 2024 लोकसभा चुनाव अकेले लड़ेगी
Posted by : achhiduniya
16 January 2024
संयुक्त उत्तर प्रदेश के हरिद्वार लोकसभा सीट पर उपचुनाव हुआ
था और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की टिकट पर मायावती ने चुनाव लड़ा था,जबकि
कांग्रेस की तरफ से राम सिंह और जनता पार्टी से रामविलास पासवान चुनाव लड़ रहे थे।
इस चुनाव में जीत कांग्रेस की हुई थी,लेकिन दूसरे स्थान पर आकर मायावती ने सबको
चौंका दिया था। दरअसल,मायावती
दिल्ली में IAS की
तैयारी करने आई थी, लेकिन कांशीराम से मुलाकात ने उनके जीवन की दशा ही बदल दी। कांशीराम
ने मायावती के तेवर देखे तो उन्हें राजनीति में आने का न्योता दे डाला। उन्होंने
कहा की अगर एक बार पावर में आ गई तो कई IAS अधिकारी
तुम्हारे आगे पीछे घूमते रहेंगे। मायावती सबसे ज्यादा सुर्खियों में लखनऊ गेस्ट
हाउस कांड के बाद आई। 2 जून, 1995 में मुलायम से गठबंधन तोड़ने के लिए
यूपी के स्टेट गेस्ट
हाउस में बसपा की बैठक चल रही थी। तभी समाजवादी पार्टी के
विधायक और समर्थकों ने मारपीट शुरू कर दी। साथ ही बसपा के विधायकों को गाड़ियों में भरकर ले
जाने लगे। मायावती के साथ भी बदसलूकी हुई। मायावती ने खुद को एक कमरे में बंद कर लिया था।
चार घंटे बाद जब कमरा खुला तो उत्तर प्रदेश की सत्ता में जबरदस्त बदलाव लाने वाली
मायावती, मुलायम
सिंह की विरोधी हो गई। गेस्ट हाउस कांड के बाद मायावती बीजेपी के समर्थन से
मुख्यमंत्री बनीं। उत्तर प्रदेश की बागडोर संभालने के बाद उनका कद और बढ़ गया। वो
आठ साल की
अवधि में तीन बार यूपी की सीएम बनीं,लेकिन कांशीराम की तबीयत ठीक न होने से पार्टी का सारा काम मायावती देखने लगी। साल 2006 में कांशीराम के निधन के बाद 2007 में मायावती ने अपने दमपर चुनाव लड़ा और BSP को पूर्ण बहुमत की सरकार दिलाई। हालांकि साल 2009 लोकसभा चुनाव में बीजेपी से मुकाबला करने के लिए एक बार फिर
से मायावती ने सपा से हाथ मिला लिया। जिस मुलायम सिंह पर मायावती ने अपनी हत्या की
साजिश का आरोप लगाया था, उसी
मुलायम सिंह यादव के लिए वोट मांगने मैनपुरी पहुंची गई थी।
मायावती भले ही ये कहती
है कि उनको गठबंधन से कभी कोई फायदा नहीं हुआ है,लेकिन 30 साल पहले उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में मुलायम सिंह यादव
से कांशीराम ने हाथ मिलाया था। तब उत्तर प्रदेश में इनकी सरकार बनी थी। बाबरी
मस्जिद के मलबे पर हुए उस चुनाव में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी होकर भी सत्ता से
वंचित रह गई थी। मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव बने मायावती को सरकार में शामिल नहीं किया गया,लेकिन कांशीराम की
खुली छूट के कारण उन्हें तब यूपी का सुपर सीएम कहा जाने लगा। मायावती ने अपने दम
पर बहुजन समाज पार्टी (बसपा) को कामयाबी
की बुलंदियों पर पहुंचाया था,लेकिन आज वहीं BSP जर्जर स्थिति में है। मायावती ने ऐलान किया है कि वो आनेवाले
लोकसभा चुनाव में किसी भी पार्टी से गठबंधन नहीं करेगी। उनकी पार्टी 2024 का लोकसभा चुनाव अकेले ही लड़ेगी,लेकिन चुनाव के बाद सरकार
बनाने वाली पार्टी को उचित भागीदारी के साथ समर्थन देगी।