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- आरक्षण नीति को लेकर जम्मू-कश्मीर में राजनैतिक गर्मागर्मी....
Posted by : achhiduniya
27 December 2024
मुख्यमंत्री उमर
अब्दुल्ला के आवास के बाहर सैकड़ों छात्र और कई राजनीतिक नेता एकत्र हुए और राज्य
सरकार से आरक्षण नीति की समीक्षा की मांग की। यह नीति इस साल के शुरू में
उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के नेतृत्व वाले प्रशासन ने लागू किया था। जम्मू-कश्मीर
में आरक्षण नीति को लेकर विरोध प्रदर्शन तेज हो गया है। विरोध प्रदर्शन में
राष्ट्रीय कांग्रेस (NC) के सदस्य और सांसद रुहुल्लाह मेहदी भी शामिल हुए। उन्होंने इस विरोध
को समर्थन दिया और सोशल मीडिया हैंडल 'X' पर एक पोस्ट में उन्होंने गुपकर रोड पर स्थित
मुख्यमंत्री के कार्यालय के बाहर आरक्षण नीति में तर्कसंगतता की मांग करते हुए
विरोध प्रदर्शन करने की अपील की थी। इसके साथ ही
पीडीपी नेता वहीद परा,
इल्तिजा मुफ्ती और अवामी एकता पार्टी के
नेता शेख खुरशी (इंजीनियर राशिद के भाई) भी इस विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए। इस
विरोध प्रदर्शन में मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के बेटे भी शामिल हुए और रुहुल्लाह
मेहदी मेहदी एवं छात्रों के साथ खड़े नजर आएं। दरअसल,इस साल की शुरुआत में विधानसभा चुनाव से पहले
उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा पेश की गई थी,
जिसमें नौकरियों और दाखिलों में सामान्य
वर्ग के लिए आरक्षण प्रतिशत कम कर दिया गया और आरक्षित श्रेणियों के लिए आरक्षण
प्रतिशत बढ़ा दिया गया। इसके अलावा अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) को 8 प्रतिशत आरक्षण दिया गया और सामाजिक और शैक्षिक
रूप से पिछड़े वर्ग आयोग (SEBC) की सिफारिशों के आधार पर ओबीसी सूची में 15
नई जातियों को जोड़ा गया।
इस नीति का संसद
में भी अनुमोदन किया गया था, जिसमें जातीय जनजाति, पड्डारी जाति, पद्दारी जनजातिस कोलिस और गड्डा ब्राह्मणों के
लिए आरक्षण को मंजूरी दी गई थी। यह आरक्षण नीति राजनीतिक नेताओं और छात्रों के बीच
गुस्से का कारण बन गई। घाटी भर में इसकी समीक्षा और पलटने की मांग उठने लगी। सांसद
रुहुल्लाह मेहदी ने नवंबर में छात्रों से वादा किया था कि वह इस विरोध में उनके
साथ शामिल होंगे। उन्होंने कहा था कि नई सरकार इस नीति पर कोई कदम नहीं उठा रही,
क्योंकि चुनावी सरकार और उपराज्यपाल के
कार्यालय के बीच अधिकारों का बंटवारा स्पष्ट नहीं है। मेहदी ने कहा,
"मुझे बताया गया है
कि सरकार और अन्य कार्यालयों के बीच कामकाजी नियमों के बंटवारे को लेकर कुछ भ्रम
है और यह विषय उनमें से एक है। मुझे यकीन दिलाया गया है कि सरकार इस नीति को जल्द
ही सुधारने का निर्णय लेगी।
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