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- तुर्की कंपनी 40 ठेकेदारों के 80 करोड़ रुपये लेकर फरार…
Posted by : achhiduniya
28 May 2025
कानपुर मेट्रो
परियोजना के भूमिगत स्टेशनों के निर्माण में संलग्न तुर्की कंपनी गुलेरमैक सैम
इंडिया के शहर छोड़कर भागने की घटना ने स्थानीय ठेकेदारों और प्रशासन में हड़कंप
मचा दिया है। कंपनी पर 40 ठेकेदारों के करीब 80
करोड़ रुपये के
बकाया भुगतान को लंबित रखने का आरोप है। ठेकेदारों का दावा है कि पिछले दस महीनों
से भुगतान नहीं किया गया और भारत-पाकिस्तान युद्ध में तुर्की की
कथित भूमिका को लेकर देशव्यापी विरोध प्रदर्शनों के बाद कंपनी ने भुगतान में
जानबूझकर देरी की। ठेकेदारों के
अनुसार गुलेरमैक के सभी वरिष्ठ अधिकारी शहर छोड़कर फरार हो गए हैं। फोन पर
संपर्क करने पर कंपनी के अधिकारियों ने अस्पष्ट और टालमटोल भरे जवाब दिए। इस मामले
की शिकायत उत्तर प्रदेश मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (यूपीएमआरसी) के अधिकारियों से की
गई, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। इसके बाद, नौ ठेकेदारों ने जिला मजिस्ट्रेट (डीएम)
कार्यालय में लिखित शिकायत दर्ज कर त्वरित हस्तक्षेप की मांग
की। ठेकेदारों ने अपने बकाया भुगतान का विवरण
साझा किया, जिसमें मेट्रो मार्बल के 3.70 करोड़, रेडिएंट सर्विसेज के 1.20
करोड़,
श्रेयांस इन्फ्राटेक
के 1.70 करोड़, एस इंटीरियर के 74.80
लाख,
एमडी एहसान पेंटर के
39.80 लाख, विनोद गुप्ता एंटरप्राइजेज के 8.54
लाख,
नंदन प्रीफैब के 29.50
लाख और श्री बालाजी
एंटरप्राइजेज के 21.50 लाख रुपये शामिल हैं। ठेकेदारों का कहना
है कि कंपनी ने बार-बार भुगतान का आश्वासन दिया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई। यूपीएमआरसी के संयुक्त महाप्रबंधक
(जनसंपर्क) पंचानन मिश्रा ने ऑफ द रिकॉर्ड बताया कि गुलेरमैक ने कानपुर मेट्रो के
कॉरिडोर-1 के चार स्टेशनों का निर्माण कार्य पूरा किया था
और इसके लिए
यूपीएमआरसी ने कंपनी को पूरा भुगतान कर दिया है।
उन्होंने स्पष्ट किया कि ये
ठेकेदार गुलेरमैक के सब-कॉन्ट्रैक्टर्स हैं, और अनुबंध के अनुसार,
मेट्रो ने 5
प्रतिशत राशि रिजर्व
में रखी है, जो एक वर्ष बाद जारी की जाएगी। यदि गुलेरमैक ठेकेदारों को भुगतान करने
में विफल रहती है, तो यूपीएमआरसी इस राशि को ठेकेदारों को
जारी करने के लिए बाध्य होगी। यह घटना कानपुर मेट्रो परियोजना में वित्तीय अनियमितताओं और प्रबंधन
में खामियों को उजागर करती है। ठेकेदारों ने जिला प्रशासन से तत्काल हस्तक्षेप और
अपने बकाया भुगतान की वसूली के लिए कार्रवाई की मांग की है। इस मामले ने स्थानीय
ठेकेदारों और श्रमिकों में व्यापक असंतोष और आक्रोश को जन्म दिया है,
जो अपने हक के लिए
संघर्षरत हैं। प्रशासन ने इस मामले की जांच शुरू करने का आश्वासन दिया है।