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- घोर झोल-झाल लाखों मतदाताओ को हटाना SIR की प्रक्रिया पर आपत्ति जताई…तेजस्वी यादव ने
Posted by : achhiduniya
23 July 2025
बिहार
पूर्व
डिप्टी सीएम और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने इसकी प्रक्रिया पर आपत्ति जताई। वहीं महागठबंधन
की संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी
इसकी आड़ में हमारे मतदाताओं के नाम काटने की कोशिश कर रही है। तेजस्वी ने कहा कि
चुनाव आयोग से विपक्ष के सवालों का जवाब देना चाहिए। तथ्यों, तर्कों
और आंकड़ों के साथ हमल चुनाव आयोग से कुछ सवाल पूछना चाहते हैं, क्योंकि
मतदाता सूची पुनरीक्षण अभियान की आड़ में बीजेपी और चुनाव आयोग मिलकर लोकतंत्र की
सफाई नहीं, विपक्षी मतदाताओं की सफाई कर रहे हैं। भारत निर्वाचन आयोग द्वारा कल जारी
प्रेस विज्ञप्ति ने हमारे पहले से व्यक्त किए गए आशंकाओं को और गहरा कर दिया है। तेजस्वी
यादव ने कहा कि 25 जनवरी 2025 को जब समरी रिवीजन के बाद आपने पूरी
वोटर लिस्ट अपडेट की थी, जब
ये 18 लाख
मृत मतदाता आपको नहीं मिले थे? क्यों नहीं मिले थे? किसका
दोष है ये? और अब बिना भौतिक सत्यापन किए, BLO के बिना किसी के घर जाए आप गिना रहे है कि 18 लाख
66 हज़ार
869 लोग
मर गए है। तेजस्वी ने कहा कि इसका मतलब 25 जनवरी से 24 जून तक 18 लाख 66 हजार 869 लोग मर गए? हम पूछना चाहते हैं कि इन मृतकों को पिछले वर्षों में
मतदाता सूची में क्यों बनाए रखा गया था?
क्या इससे पहले निर्वाचन आयोग सो रहा था? और
अब अचानक चुनाव से पहले इन्हें हटाना कैसे लोकतांत्रिक प्रक्रिया का हिस्सा हो
सकता है, जब
इसकी निगरानी राजनीतिक दलों की सहमति से नहीं की गई? आरजेडी
नेता ने कहा कि चुनाव आयोग कह रहा है कि 26 लाख 1000 लोग कहीं और स्थायी रूप से स्थानांतरित हो गए। चार
महीने में इतने लोग शिफ्ट कर गए? बिना physically visit किए
यह कैसे पता चला? 25 जनवरी से लेकर 24 जून तक 26 लाख मतदाता इतनी बड़ी संख्या में विधानसभा
क्षेत्रांतरण का दावा अपने आप में संशय पैदा करता है। आरजेडी नेता ने आरोप लगाते
हुए कि असल में चुनाव आयोग का यह पूरा पुनरीक्षण अभियान एक सोची-समझी साजिश का
हिस्सा है।
बिहार चुनाव में हार को देखते हुए ये बीजेपी के लोग कमजोर वर्ग, अल्पसंख्यक, दलित, पिछड़े
और विपक्षी दलों के समर्थकों के नाम सूची से हटा कर उन्हें लोकतंत्र और संविधान से
बेदखल करना चाहते हैं। इनकी मनमानी हम बिहार में चलने नहीं देंगे। उन्होंने कहा कि
क्या यह संभव है कि 26 लाख लोग एक ही वर्ष में अपने आवास बदल लें? यह
आंकड़ा दर्शाता है कि इसे मनमाने ढंग से लागू किया गया है
, विशेषकर
उन मतदाताओं पर जिनके वोटिंग पैटर्न सत्ता के विरुद्ध है। नेता प्रतिपक्ष ने कहा
कि यह किस आधार पर तय किया गया? क्या हर मतदाता को व्यक्तिगत रूप से नोटिस भेजा गया? कितनों
ने जवाब दिया, कितनों ने व्यक्तिगत रूप से पुष्टि की? इस प्रक्रिया की पारदर्शिता का पूर्ण अभाव है। तेजस्वी
ने कहा कि चुनाव आयोग के आंकड़े से लगता है कि कुल 52 लाख
मतदाताओं के नाम काटे जा रहे हैं। यह
आंकड़ा सत्ता के इशारे पर चुनावी गणित साधने का उपकरण बन रहा है। जिनके दरवाजे पर BLO नहीं
पहुंचा, उन्हें
अनुपस्थित मान लिया गया। इसी बहाने लाखों नामों पर कैंची चलाने की तैयारी है।