- Back to Home »
- Crime / Sex , Religion / Social »
- तिरुपति में 54 करोड़ रुपये का रेशमी शॉल घोटाला....
Posted by : achhiduniya
10 December 2025
तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम [टीटीडी] बोर्ड के अध्यक्ष बीआर नायडू द्वारा चिंता जताए जाने के
बाद शुरू की गई आंतरिक जांच में कथित धोखाधड़ी की खुलासा हुआ। ठेकेदार ने शॉल के
लिए अनिवार्य शुद्ध शहतूत रेशम के बजाय सस्ता पॉलिएस्टर कपड़ा इस्तेमाल किया। ये
शॉल प्रमुख दानदाताओं को भेंट किए जाते हैं और और मंदिर के अनुष्ठानों जैसे कि वेद
आशीर्वादम में भी इस्तेमाल होते थे। दरअसल,आंध्र प्रदेश के प्रसिद्ध
तिरुमाला मंदिर का प्रबंधन करने वाले ट्रस्ट, तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम
(TTD) में 2015 से 2025
तक एक दशक की अवधि में 54
करोड़ रुपये के रेशमी शॉल
घोटाले का खुलासा हुआ है, जिससे भारी हंगामा मच गया
है। इसे लेकर वाईएसआरसीपी सरकार में पूर्व वित्त मंत्री रहे बुग्गना राजेंद्रनाथ
ने TTD बोर्ड के दावों को खारिज कर दिया है। उन्होंने कहा,TTD झूठ
कह रही है और ऐसा कुछ
हुआ नहीं है। भक्तों की आस्था के साथ खिलवाड़ हो रहा है। अगर ऐसा कुछ है तो 2015-2019
तक सरकार किसकी थी?
आप ही की थी ना?
यह प्रक्रिया और ये
विक्रेता सालों से चले आ रहे हैं और उनमें कोई बदलाव नहीं किया गया है। हर छोटी
बात को तूल देना और उसे बड़ा करके दिखाना केवल राजनीति करना है।
उन्होंने याद दिलाया कि
पहले लड्डू प्रसाद में इस्तेमाल होने वाले घी में मिलावट का आरोप लगाया गया था,
यहां तक कि जानवर की चर्बी
होने का गंभीर आरोप भी लगा था।
लेकिन जांच में जानवर की चर्बी नहीं पाया गया।
यह घोटाला आंतरिक सतर्कता
जांच के बाद सामने आया, जिसमें पाया गया कि एक
ठेकेदार निविदा दस्तावेजों में निर्दिष्ट शुद्ध शहतूत रेशम उत्पादों के रूप में
लगातार 100% पॉलिएस्टर शॉल की आपूर्ति कर रहा था। अनुमान है कि ये
अनियमितताएं 10 वर्षों की अवधि में हुईं, जिसके परिणामस्वरूप मंदिर
ट्रस्ट को लगभग 54 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। टीटीडी बोर्ड के अध्यक्ष बीआर
नायडू ने कहा ने कहा,लगभग 350 रुपये की शॉल की कीमत 1,300
रुपये बताई जा रही थी। कुल
आपूर्ति 50 करोड़ रुपये से अधिक की होगी। हमने भ्रष्टाचार विरोधी
ब्यूरो (एसीबी) से जांच का अनुरोध किया है। ये भी ऐसा ही है।
वही,
शॉलों के नमूने वैज्ञानिक
विश्लेषण के लिए दो प्रयोगशालाओं में भेजे गए, जिनमें से एक केंद्रीय रेशम
बोर्ड (CSB) के अंतर्गत आती है।
दोनों
परीक्षणों से पुष्टि हुई कि सामग्री पॉलिएस्टर थी, जो निविदा विनिर्देशों का
स्पष्ट उल्लंघन है। सतर्कता अधिकारियों ने यह भी पाया कि असली रेशम उत्पादों की
प्रामाणिकता सुनिश्चित करने के लिए अनिवार्य रेशम होलोग्राम आपूर्ति किए गए नमूनों
में मौजूद नहीं था। बताया जा रहा है कि इस अवधि के दौरान टीटीडी को कपड़े की
आपूर्ति का अधिकांश हिस्सा एक ही फर्म और उसकी सहयोगी कंपनियों द्वारा किया गया
था। सतर्कता रिपोर्ट पर त्वरित कार्रवाई करते हुए, TTD ट्रस्ट बोर्ड ने फर्म के
साथ सभी मौजूदा टेंडरों को रद्द कर दिया है और व्यापक आपराधिक जांच के लिए पूरे
मामले को राज्य भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) को सौंप दिया है। शॉल
घोटाला हाल के दिनों में TTD को प्रभावित करने वाले खरीद
और चोरी के विवादों की एक श्रृंखला में नवीनतम है। इससे पहले,
पवित्र लड्डू प्रसाद में
इस्तेमाल होने वाले घी में कथित मिलावट और परकामुनी (हुंडी की गिनती) चोरी मामले जैसे मामले
सार्वजनिक हो चुके हैं। बार-बार सामने आ रहे ये घोटाले दुनिया के सबसे
धनी धार्मिक संस्थानों में से एक के प्रबंधन और आंतरिक निगरानी तंत्र पर भारी दबाव
डाल रहे हैं, जिससे मंदिर की खरीद श्रृंखला के भीतर दीर्घकालिक विक्रेता
जांच और ईमानदारी पर व्यापक सवाल उठ रहे हैं।
.jpeg)
.jpeg)
.jpeg)
.jpeg)