Archive for January 2015
कांग्रेस का ‘राहु’ल काल आ गया है.......
विरोधी पार्टी की चाल हो सकती है.....
नई दिल्ली: राजनीति मे आरोप -प्रत्यारोप मे एक और कड़ी जुड़ती नजर आ रही है यूपीए सरकार में पर्यावरण मंत्री रहीं जयंती नटराजन ने आज पार्टी के सभी पदों और सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। जयंती ने कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी पर जमकर निशाना साधा। वही उन्होने हर निर्णय मे आला कमान को जिम्मेदार बताया ,जयंती ने कहा कि पार्टी के झूठे और दमघोंटू माहौल में वो अब और नहीं रह सकतीं। जयंती ने कहा कि राहुल गांधी के दफ्तर से उनपर कई प्रोजेक्ट रुकवाने के लिए दबाव आया था । उन्होंने ये भी कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के कहने पर ही उन्हें मंत्री पद से हटाया गया था। कई बार उन्होने पार्टी अध्यक्ष से मिलने का प्रयास किया फिर भी उन्हे मिलने नही दिया गया। जवाब में कांग्रेस ने कहा कि जयंती बीजेपी के इशारे पर ऐसे आरोप लगा रही हैं।
एक के बाद एक कांग्रेस के बड़े नेता पार्टी छोड़ रहे हैं या फिर पार्टी के खिलाफ आग उगल रहे हैं। और इसीलिए सवाल उठ रहा है कि क्या कांग्रेस का राहु काल आ गया है।वही कांग्रेस पार्टी ने इसे भाजपा की सोची समझी साजिश करार देते हुए कहा की अगर ऐसा था तो वे पिछले एक वर्ष से चुप क्यू...? थी ।चुनाव के ठीक पहले इस तरह का आरोप लगाना विरोधी पार्टी की चाल हो सकती है।
जियो हस्ते मुस्कुराते...... मुंह तो मुर्दे भी फूलाते......
थोड़ा हंस लो यार .......
@ छुट्टी का दिन था। पति महाशय सुबह-सुबह
फेसबुक खोल कर बैठ गए। उनकी एक महिला मित्र ने सैंडविच का फोटो अपलोड करके लिखा,
आओ सब नाश्ता करें।
पति महाशय ने कॉमेंट किया,
बहुत टेस्टी नाश्ता था, मजा आ गया।
पत्नी ने यह कमेंट पढ़ लिया और पति को
नाश्ता ही नहीं दिया।
4 घंटे भूखा रखने के बाद पत्नी बोली,
लंच घर पर करोगे या फेसबुक पर?
@ घर में चोरी की नीयत से घुसे चोर को
पीट-पीट कर बेहोश कर देने पर जब इंस्पेक्टर ने महिला की तारीफ की तो वह बोली-
साहब! इसमें प्रशंसा की कौन सी बात है? दरअसल चोर के आने पर
मैं समझी थी कि चिंटू के पापा क्लब से लौटे हैं।
@ बिल्लू की टांग टूट जाती है। वह डॉक्टर
के पास जाकर बोलता है: डॉक्टर साहब, मेरी टांग टूट गई है।
मैं क्या करूं? डॉक्टर: लंगड़ाकर चलो मेरे भाई।
@ संता काफी दिनों के बाद पार्क में
घूमने गया। लौटकर उसने अपनी पत्नी से कहा, जानती हो, आजकल लोग मुझे भगवान मानने लगे हैं! पत्नी- तुम्हें कैसे पता? संता- आज जब मैं पार्क में घूमने गया तो लोग मुझे देखकर बोले- हे भगवान,
तुम फिर आ गए!
@ घोंचू जी लड़की देखने गए। जब लड़की
सामने आई तो उन्होंने थोड़ी देर चुप रहने के बाद उससे पूछा: अंग्रेजी हैंडल कर
सकती हो?
लड़की ने शर्माते हुए जवाब दिया : हां,
अंग्रेजी के साथ मुझे कोई दिक्कत नहीं और अगर नमकीन साथ हो तो देसी
भी हैंडल कर सकती हूं।
@टिचर - बंटी तुमने ''मेरा कुत्ता '' इस विषयपर लिखा निबंध तुम्हारे भाईने
लिखे निबंधसे पुरी तरहसे मेल खाता है. कही तुमने उसकी कॉपी तो नही की ?
बंटी - नही सर... लेकिन वह कुत्ता एक ही
था.
@एक बार सरदारजीने अपने पुराने घरमें पडे
दिए को साफ करनेके लिए घिसा और क्या आश्चर्य उसमेंसे एक जिन्न अवतरीत हूवा.
@' सरदारजी मांगो क्या मांगना है मांगो
... लेकिन खयाल रहे की तूम सिर्फ तिन चिजे मांग सकते हो''उस
जिन्नने कहा
सरदारजीने पहली चिज मांगी - ''
मै अमिर बनना चाहता हू''
एक झटकेमे सरदारजी अमिर हो गया.
सरदारजीने दूसरी चिज मांगी
'' मुझे इस सरदारजी नाम से चिढ है मै अमेरिकन बनना चाहता हू''
एक झटकेमें सरदारजी सरदारजीसे अमेरिकन बन
गया.
अमेरिकन बने सरदारजीने अब तिसरी और आखरी
चिज मांगी, '' मै आगेभी बिना दिमाग लगाए और पैसा
कमाना चाहता हू''
अमेरीकन फिर से सरदारजी बन गया.
@एक आफ्रिकन निग्रो एक बडे प्यारे तोतेको
अपने कंधेपर बिठाकर बारमें घुस गया.
'' अरे वा यह तो बडी मजेदार चिज लाये हो
तूम ... कहा से लाये हो?'' बार टेंडर ने पुछा.
'' अफ्रिका से'' तोते ने
जवाब दिया.
@एक दिन एक टिचर अपने क्लासके पांच सालके
बच्चोंको जानवरोकें नाम पढा रही थी. उसने एक
डियर (हिरण) की तस्वीर छोटे बंटीको दिखाकर
पुछा,
'' ए कौनसा जानवर है?''
बंटी ने उस तस्वीरकी तरफ बहुत देर तक देखा,
कुछ याद करनेकी कोशीश की और कहा - '' नही टिचर
मुझे याद नही आ रहा है''
अच्छा ठिक है बंटी...मै तुम्हे थोडी हिंट
देती हू ... यह तो बतावो तुम्हारी मम्मी तुम्हारे डॅडीको क्या कहती है?''
बंटीका चेहरा एकदम खुशीसे दमक गया,
लेकिन फिर सोचकर संभ्रममे उसने कहा, '' टिचर
क्या सचमुछ वह ...सूअर है?''
इसलिए जियो हस्ते मुस्कुराते.....मुंह तो मुर्दे भी फूलाते......
मुंगेरी लाल के हसीन सपने .....
सोचोगे
बड़ा तो होगा बड़ा......
मित्रो प्रणाम ......जीवन मे आगे बड़ने के लिए सपने देखना उतना हो जरूरी है
जितना जीवन के प्रती आशावादी होना एक कहावत है कि सोती लोमड़ी सपने में मुर्गियाँ
ही गिनती रहती है, क्योंकि जागते हुए वह इसी
उधेड़बुन में लगी रहती है कि मुर्गियों को कैसे पकड़े। इसी तरह किसी काम या उलझन में
होने पर व्यक्ति को उठते-बैठते, खाते-पीते, सोते-जागते उस काम के सिवाय कुछ नहीं सूझता। वह बात उसके मन-मस्तिष्क पर
इस तरह हावी रहती है कि उसे आसानी से नींद नहीं आती। यदि आती भी है तो वह उसी के
बारे में सोचते-सोचते सोता है और एक झटके के साथ जागकर फिर से उस पर सोचना शुरू कर
देता है। ऐसे में उसके ख्वाब भी उस विषय से कैसे अछूते रह सकते हैं। वह सपने में
भी अपने आपको उन्हीं परिस्थितियों में पाता है, जिनमें कि वह
जागृत अवस्था में रहता है।
तब कई बार उसके सपने उसे उस समस्या का हल भी सुझा देते
हैं।सपने देखने के लिए भी सोचने की जरूरत की आप कैसे जीवन मे आगे जाना चाहते है ,जरूरत होती है सिर्फ उन्हें समझने की। लेकिन कहा जाता है कि सपनों के
सहारे जिंदगी नहीं जी जाती, क्योंकि वे हकीकत से दूर होते
हैं। यह बात पूरी तरह सही नहीं है. कहते हैं कि मूर्खों के
सपने मूर्खतापूर्ण होते हैं। तो फिर समझदारों के सपने भी समझदारीभरे होंगे। यानी
महत्वपूर्ण यह है कि सपने देख कौन रहा है। यदि आप अपने सपने पूरे करने के लिए सही
राह पर चल रहे हैं, तो आपके सपने भी आपको गलत राह नहीं
दिखाएँगे।
कही ऐसा न हो कि आप मुंगेरी लाल कि तरह सिर्फ बेतुकी कल्पना मे जाकर
सपने देखे और उनके पूरा न होने पर बेवजह कि चिंता ,परेशानीयो
से घिरते जाए अच्छे सपने मुसीबत में पड़ने पर वे आपको उससे निकलने की राह भी
सुझाएँगे बशर्ते आप उनकी मानें, उन्हें पढ़ना जानें। कहते है कि बिल्ली को छिछड़ों के ख्वाब। अकसर यह बात
नकारात्मक सेंस में सामने वाले पर कटाक्ष में कही जाती है कि उसे किसी बात या
कार्य विशेष के अलावा कुछ नहीं सूझता।
इसमें कटाक्ष भले ही हो, लेकिन यह बात भी जानने की है कि हम जो पाना चाहते हैं, जब तक उसके सपने नहीं देखेंगे तो उसे पाएँगे कैसे। सपने होंगे तभी तो
उन्हें हकीकत में बदलने की कोशिश करेंगे। इसलिए खूब सपने सँजोओ ताकि उन्हें पूरा
कर सको। फिर भले ही दिन हो या रात। दिन के सपने को लोग भले ही दिवास्वप्न कहकर
नकार ही क्यों न दें।
तब संभवतः हम हकीकतों से सीख पाएँगे। इसलिए सपनों से सीखकर सपने पूरे करें। अरे भई,
बिना कुछ किए ख्वाब पूरे होने वाले नहीं।
![]() |
देखें सपने आसमाँ को छूने के |
जनलोकपाल के दायरे में प्रधानमत्री समेत.....
लोकपाल केवल परामर्शदात्री संस्था बन कर रह
जाएगी.....
भ्रष्टाचार को मिटाने के लिए अण्णा का
विरोध सरकारी बिल और जनलोकपाल बिल में व्याप्त असमानताओं पर है, आखिर क्या है सरकार द्वारा प्रस्तावित और जनलोकपाल विधेयक में मुख्य अंतर
सरकारी लोकपाल के पास भ्रष्टाचार के मामलों पर खुद या आम लोगों की शिकायत पर सीधे
कार्रवाई शुरू करने का अधिकार नहीं होगा। प्रस्तावित जनलोकपाल बिल के तहत लोकपाल
खुद किसी भी मामले की जाँच शुरू करने का अधिकार रखता है। सरकारी विधेयक में लोकपाल
केवल परामर्शदात्री संस्था बन कर रह जाएगी। सरकारी विधेयक में लोकपाल के पास पुलिस
शक्ति नहीं होगी।
जनलोकपाल न केवल प्राथमिकी दर्ज करा पाएगा बल्कि उसके पास पुलिस
फोर्स भी होगी। सरकारी विधेयक में लोकपाल का अधिकार क्षेत्र सांसद, मंत्री और प्रधानमंत्री तक सीमित रहेगा। जनलोकपाल के दायरे में
प्रधानमत्री समेत नेता, अधिकारी, न्यायाधीश
सभी आएँगे। लोकपाल में तीन सदस्य होंगे जो सभी सेवानिवृत्त न्यायाधीश होंगे। जनलोकपाल
में 10 सदस्य होंगे और इसका एक अध्यक्ष होगा। चार की कानूनी पृष्टभूमि होगी। बाक़ी
का चयन किसी भी क्षेत्र से होगा।
सरकार द्वारा प्रस्तावित लोकपाल को नियुक्त करने
वाली समिति में उपराष्ट्रपति। प्रधानमंत्री, दोनो सदनों के
नेता, दोनों सदनों के विपक्ष के नेता, कानून
और गृहमंत्री होंगे। प्रस्तावित जनलोकपाल बिल में न्यायिक क्षेत्र के लोग, मुख्य चुनाव आयुक्त, नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक,
भारतीय मूल के नोबेल और मैगासेसे पुरस्कार के विजेता चयन करेंगे। सरकारी
लोकपाल विधेयक में दोषी को छह से सात महीने की सजा हो सकती है और घोटाले के धन को
वापिस लेने का कोई प्रावधान नहीं है।
जनलोकपाल बिल में कम से कम पाँच साल और
अधिकतम उम्र कैद की सजा हो सकती है। साथ ही दोषियों से घोटाले के धन की भरपाई का
भी प्रावधान । [ साभार ]
लैपटॉप से निकलने वाली गर्मी... नपुसंक बना सकती है....?
कंप्यूटर या लैपटॉप पर काम करने से अंगुलियों में गांठ.......?
इसलिये इसे गोद में रख कर काम न करने की सलाह दी जाती है। लैपटॉप गोद मे रख कर काम करने की वजह से हमें आगे की ओर झुक कर इसका प्रयोग करना पड़ता है, जिस कारण लोअर बैक पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इससे कारण आगे चलकर आपको स्पॉन्डलाइटिस की समस्या भी हो सकती है। यदि लैपटॉप को 45 मिनट से अधिक समय तक नंगी जांघों पर रख कर काम करना स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक हो सकता है। लैपटॉप से रेडिएशन के तौर पर निकलने वाली गर्मी से जांघों की चमड़ी की ऊपरी परत शुरू में लाल और फिर बाद में काली पड़ सकती है।
यह बीमारी पहले बुजुर्गों को तेज धूप की मार से होती थी। लैपटॉप इस्तेमाल करते समय लोग उसकी स्क्रीन को बड़ी करीब से देखने लगते हैं, जिससे आंखों पर जोर पड़ता है। साथ ही सूखापन और आंखों की रोशनी कम होनी भी शुरु हो जाती है। शुरू में आप इसे पहचान नहीं पाते और नजरअंदाज कर देते हैं, लेकिन आगे चलकर इससे काफी मुश्किल हो सकती है। यदि घंटों तक लैपटॉप शरीर के किसी हिस्से पर रख कर काम करने के बाद आपकी त्वचा में खुजलाहट पैदा होती है या फिर वो बहुत गर्म हो जाती है। तो ये स्किन कैंसर का लक्षण भी हो सकता है। लगातार इस तरह से लैपटॉप का इस्तेमाल करने पर ऐसा होता है। लैपटॉप को पैरों पर रख कर कर काम करने से उसकी गर्मी से त्वचा को नुकसान पहुंचता है और त्वचा संबंधी कई सारी बीमारियां हो सकती हैं।
स्विट्जरलैंड के त्वचा विशेषज्ञों द्वारा किए गए शोध के मुताबिक लैपटॉप को अधिक देर तक गोद में रखकर काम करने से न केवल त्वचा पर बुरा असर पड़ता है, बल्कि इससे त्वचा के जलने की भी आशंका रहती है। लैपटॉप के बायीं ओर से जो गर्मी निकलती है, उसका तापमान 52 डिग्री होता है, ये पैरों की त्वचा पर प्रभाव नकारात्मक प्रभाव डालती है। इससे बचने के लिए हीटिंग पैड का इस्तेमाल किया जा सकता है।
लगातार लैपटॉप के कीबोर्ड पर अंगुलियां चलाने से अंगुलियों में दर्द, अकड़न या सुन्नपन हो जाता है। कुछ शोध बताते हैं कि रोजाना कई कई घंटे कंप्यूटर या लैपटॉप पर काम करने से आगे चलकर अंगुलियों में गांठ भी पड़ सकती हैं।
किसी बैंक में अपना खाता चलाना मुमकिन नहीं....?
तो उसे फौरन बंद करा दें क्योंकि.....
देश में बड़ते अपराधो में एक नई जानकारी प्राप्त हुई है की,बैंक अधिकारियों की मिलीभगत से कुछ गलत लोग, ऐसे खाते को अपना खाता बना लेते हैं। इसकी एवज में एफडी करवाते हैं और फिर
लोन भी ले लेते हैं। कुछ लोग इन खातों में अपना कालाधन जमा करवा रहे हैं। इन पर अब
बैंक उच्च प्रबंधन की नजरें हैं। अगर
आपका किसी बैंक में खाता है और उसका इस्तेमाल आप नहीं कर रहे हैं, तो उसे फौरन बंद करा दें क्योंकि आपके खाते का गलत इस्तेमाल हो सकता है।
बैंक अधिकारियों के साथ मिलकर ऐसे खातों का गलत इस्तेमाल की खबरें लगातार मिल रही
हैं।अब बैंक भी ऐसे ग्राहकों से संपर्क साध रहे हैं और उनसे कहा जा रहा है कि वे
इस तरह के खातों को बंद कर दें, वरना उनका गलत इस्तेमाल होने
पर उनसे भी पूछताछ होगी। आरबीआई के एक अधिकारी का कहना है कि ऐसे बहुत से खाते हैं
और कुछ खातों में कुछ रकम भी जमा है। ऐसे में इस रकम का किस तरह से उपयोग किया जाए,
उस पर भी विचार किया जा रहा है।
इंडियन बैंक केअधिकारियों का कहना है कि जिन ग्राहकों को यह लगता है कि उनके लिए अपना खाता चलाना
मुमकिन नहीं हैं, उन्हें अपने बैंक को सूचित कर खाते को बंद
कराना चाहिए। अगर कोई जमा रकम उसमें हैं तो उसे निकाल लेना चाहिए।
माई एलपीजी' पोर्टल 1 फरवरी से उपलब्ध....
कही से भी बुक व मैनेज कर सकते हैं.......
तेल मंत्रालय की
एक साल के अंदर देश के बड़े शहरों में 'माई एलपीजी' के नाम से कियॉस्क लगाने की योजना है। तेल मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा हम दिल्ली में 10 टच स्क्रीन वाला कियॉस्क लगाने जा रहे हैं जहां कामकाजी लोग अपने एलपीजी अकाउंट
को मैनेज कर सकते हैं।
वे बुकिंग का स्टेटस, सब्सिडी ट्रांसफर
आदि के बारे में यहां जानकारी हासिल कर सकते हैं। तेल मंत्री ने बताया कि हिंदी में 'माई एलपीजी' पोर्टल 1 फरवरी से उपलब्ध होगा और 10 क्षेत्रीय भाषाओं
जैसे उड़िया, तमिल और गुजराती में भी उसके तुरंत बाद उपलब्ध
होगी। सरकारी कंपनियों के पेट्रोल पंपों और गैस एजेंसियों से यह सुनिश्चित करने के
लिए कहा गया है कि कम से कम 75-80 फीसदी एलपीजी उपभोक्ताओं
के बैंक खाते या आधार नंबर 23 फरवरी को संसद के
बजट सत्र शुरू होने से पहले लिंक हो जाए।
सब्सिडी सीधे ट्रांसफर करने के लिए 15.3 लाख एलपीजी उपभोक्ताओं में से 64 फीसदी की आईडी उनके
आधार या बैंक अकाउंट नंबर से जुड़ चुकी है। 15 नवबंर को डायरेक्ट
बेनिफिट ट्रांसफर स्कीम 'पहल' के लॉन्च होने के बाद से 2,820 करोड़ रुपए उपभोक्ताओं
के अकाउंट में ट्रांसफर किए जा चुके हैं। गौरतलब
है कि 'पहल' स्कीम सरकार की उस
स्ट्रैटिजी का हिस्सा है जिसके तहत सरकार ने एलपीजी गैस की कालाबाजारी को रोकने की
योजना बनाई है।
बैंक अकाउंट नंबरों या आधार नंबरों को एलपीजी
उपभोक्ताओं की आईडी से जोड़ने का आंकड़ा जब 80 फीसदी हो जाएगा तो
सरकार इसे उपभोक्ताओं की मर्जी पर छोड़ देगी और इस पर ज्यादा जोर नहीं देगी। 3
बच्चे भी इनकम के लिए कोई पार्टटाइम काम……
समझदारी दिखाएं और कुछ
हद…..
महंगाई
के इस जमाने में पेरेंट्स के लिए अपने बच्चों की स्टडी का खर्च अफोर्ड करना काफी
मुश्किल हो गया है। एजुकेशन काफी प्रोफेशनल स्वरूप अख्तियार कर चुका है और खासकर
निजी क्षेत्र के कॉलेजों, यूनिवर्सिटी
में उच्च शिक्षा बेहद महंगी होती है। भारतीय मां-बाप के पास अपने बच्चों की परवरिश
से लेकर एजुकेशन, शादी
आदि की तमाम जिम्मेदारियां होती हैं और वे किसी भी तरह से इसे पूरा करते ही हैं।
लेकिन आजकल के भारी खर्च को देखते हुए अगर बच्चे भी कुछ समझदारी दिखाएं और कुछ हद तक आत्मनिर्भर बनने का प्रयास करें, तो
पेरेंट्स को काफी राहत मिल सकती है। पार्टटाइम
जॉब या ट्यूशन पढ़ाई
के साथ अपना खर्च निकालने का सबसे परंपरागत और लोकप्रिय सदाबहार काम है-ट्यूशन
पढ़ाना। ट्यूशन पढ़ाना स्टूडेंट के लिए सबसे बेहतर पार्टटाइम जॉब होता है। इसकी वजह यह है कि इसमें किसी तरह की पूंजी नहीं लगती है, समय कम लगता है और स्टूडेंट के अपने सब्जेक्ट का भी रिवीजन होता रहता है। आप अपने से जूनियर क्लास के स्टूडेंट्स को होम ट्यूशन दे सकते हैं। इसके अलावा, किसी कोचिंग क्लास में जाकर पढ़ाना भी एक अच्छा विकल्प हो सकता है। कोचिंग क्लास में पढ़ाने पर आपको ज्यादा पैसा मिल सकता है। भारत में अब पार्टटाइम जॉब के भी कई विकल्प मौजूद हैं, जिसे आप अपना सकते हैं। यह किसी ऑफिस में काम से लेकर किसी कॉफी रिटेल शॉप या रेस्टोरेंट में सेल्समैन तक का हो सकता है। एजुकेशन अब काफी महंगा हो गया है और आपको कोई अच्छा प्रोफेशनल कोर्स करने में 5 से 10 लाख रुपये तक की जरूरत होती है। इतना पैसा जुटाने में आपके पेरेंट्स को काफी मुश्किल आती है।
इसका एक अच्छा विकल्प यह है कि आप अपनी स्टडी के लिए एजुकेशन लोन ले लें। पढ़ाई पूरी करने के बाद नौकरी मिलने पर आप अपना एजुकेशन लोन चुका सकते हैं। एजुकेशन लोन की री-पेमेंट आपको हर महीने ईएमआई के रूप में चुकानी होती है, इसलिए ज्यादा बोझ नहीं पड़ता। इनकम के लिए कोई पार्टटाइम काम हासिल कर लिया, यह अच्छी बात है। यदि आप अपने पेरेंट्स के साथ रहते हैं, तो अब आपको भी घरेलू खर्चों में कुछ योगदान करना चाहिए। आपकी थोड़ी-सी भागीदारी आपके पेरेंट्स के लिए लिए बड़ी राहत बन सकती है। यदि पेरेंट्स रिटायर हो चुके हैं या होने वाले हैं तो आपका यह कदम उनके कंधे का सहारा साबित हो सकता है। अपनी स्टडी के लिए आप भी कुछ पैसों की बचत कर सकते हैं, ताकि अभिभावकों का बोझ हल्का हो। हायर एजुकेशन से कुछ साल पहले अच्छी योजना के साथ आप अपनी पॉकेट मनी या अपने पार्टटाइम जॉब से मिलने वाले पैसे को बचाना शुरू करें।
पार्टटाइम जॉब के भी कई विकल्प मौजूद हैं, जिसे आप अपना सकते हैं। यह किसी ऑफिस में काम से लेकर किसी कॉफी रिटेल शॉप में सेल्समैन तक का हो सकता है। मॉल कल्चर के विस्तार से अब तमाम फूड चेन और कॉफी चेन में पार्टटाइम जॉब की अच्छी संभावना बन गई है। आप यदि अपने पेरेंट्स के साथ रहते हैं,तो अब आपको भी घरेलू खर्चों में कुछ योगदान करना चाहिए। आपकी थोड़ी-सी भागीदारी आपके पेरेंट्स के लिए बड़ी राहत बन सकती है। आत्मनिर्भर बनने के लिए आपके पास सबसे अच्छा विकल्प ट्यूशन पढ़ाने का होता है। ट्यूशन पढ़ाना स्टूडेंट के लिए सबसे बेहतर पार्टटाइम जॉब होता है। इसके अलावा, किसी कोचिंग क्लास में जाकर पढ़ाना भी एक अच्छा विकल्प हो सकता है।
प्रोफेशनल कोर्स पर होने वाले लाखों रुपये के खर्च के लिए आप एजुकेशन लोन ले सकते हैं। आप पढ़ाई पूरी करने के बाद नौकरी मिलने पर अपना एजुकेशन लोन चुका सकते हैं। यह आपको हर महीने ईएमआई के रूप में चुकानी होती है, इसलिए ज्यादा बोझ नहीं पड़ता।
दो माह में क्लेम न देने पर कंपनी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई...
.चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे.....
लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी के क्लेम के लिए महीनों चक्कर लगाने वालों
के लिए खुशखबरी है। अब लाइफ इंश्योरेंस का क्लेम केवल 60 दिनों में मिल जायेगा। ऐसे में क्लेम लेने के लिये लोगों को इंश्योरेंस
दफ्तर के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे।बताया जा रहा है कि मौजूदा नियमों के तहत क्लेम
छह महीने के भीतर निपटाना होता है,लेकिन अब नियमों में
संशोधन किया जा रहा है,जिससे केवल 60 दिनों
में ही इंश्योरेंस क्लेम निपट जाएंगे।
बीमा नियामक इरडा ने बीमा कंपनियों को इस
बाबत एक प्रस्ताव भेजा है।हालांकि इरडा चेयरमैन टीएस विजयन ने इस पर कोई टिप्पणी
करने से इनकार कर दिया। इरडा के प्रस्ताव में कहा गया है कि दो माह में क्लेम न
देने पर कंपनी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सकती है।
इस बाबत
मैक्स लाइफ इंश्योरेंस के वरिष्ठ निदेशक वी. विश्वानंद ने कहा कि सभी क्लेम 60 दिन में नहीं निपटा सकते। जाहिर है कि नियमों में बदलाव से आम लोगों को
खासी राहत मिलेगी, उन्हें अब बीमा कंपनियों के दफ्तर के
चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे।
प्राकृतिक प्रेमियों के लिए एक रोमांचक पिकनिक स्पॉट.....
आत्म-साक्षात्कार के
लिए इस........
प्राकृतिक सुंदरता, प्राचीन
चट्टानों, जल निकायों, पहाड़ियों और शांत वातावरण के बीच इस वैली का दृश्य अद्भुद
आकर्षण वाला होता है।आईटी सिटी के नाम से जाना जाने वाला
शहर बैंगलोर एक सौंदर्य साम्राज्य होने के साथ साथ आकर्षण का केंद्र भी है। दोद्दा
आलादा मारा बैंगलोर से 28 किलोमीटर दूर 400 साल पुराने बरगद के पेड़ों वाला यह स्थल
प्राकृतिक प्रेमियों के लिए एक रोमांचक पिकनिक स्पॉट है। इसे अंग्रेज़ी में
'बिग बनयान ट्री' पार्क भी कहते हैं। शहर की
हलचल से दूर सुख और शांत वातावरण वाला ये स्थल पर्यटकों को खूब पसंद आता है। यहाँ
रोमांचक ऊंचाइयों-नीचाइयों के साथ साथ ऑक्सीज़न की भरमार मात्रा भी है। यहाँ लोग
पेड़ों की ठंडी छाओं में बैठ कर यहाँ के खूबसूरत दृश्यों का नज़ारा करते हैं। ये हर मौसम में पर्यटकों का पसंदीदा स्थान रहा
है।
जहाँ लोग आसानी से अपनी छुट्टियों का आनंद उठा सकते हैं। पिरामिड वैली पिरामिड वैली भारत के सबसे बड़े पिरामिड वैली
में से एक है। पिरामिड वैली बंगलौर से 30 किमी के आस-पास पड़ता है।
आत्म-साक्षात्कार के लिए इस वैली का निर्माण हुआ। नृत्यग्राम
डांस विलेज नृत्यग्राम भारतीय शास्त्रीय नृत्य गुरुकुल कलाश्रम है इस गाँव को
नृत्य गाँव कहा जाता है। ओडिसी, मोहिनीअट्टम, कथक, भरतनाट्यम, कुचिपुड़ी,
कथकली और मणिपुरी आदि नृत्य प्रसिद्ध हैं। चुन्ची फॉल्स यह बैंगलोर
के कनकपुरा जिले में स्थित है जो एक दिन का पिकनिक स्थल है।
बैंगलोर से इसकी दूरी
55 किलोमीटर है। यह खूबसूरत फूलों वाले पेड़ पौधों से घिरा हुआ है.बन्नेरुघट्टा जैव उद्यान बैंगलोर से 22 किलोमीटर की दूरी पर स्थित ये खूबसूरत
पार्क घने जंगल और प्राकृतिक सुंदरता से घिरा हुआ है इस पार्क में 10 घने जंगल
हैं। यहाँ अनेक प्रकार के जीव-जन्तु पाये जाते हैं। ये पार्क पिछले कई वर्षों से
घने जंगलों,पशु-पक्षियों के कारण पर्यटकों के बीच प्रसिद्ध
रहा है।जंगली बिल्लियाँ, तेंदुएं, बाघ,
चीते, हाथी, मगरमछ आदि
यहाँ आप देख सकते हैं। यहाँ पर एक तित्तली पार्क, साँप पार्क,
संग्राहलय और एक छोटा सा थिएटर भी लुफ्त उठा सकते हैं। वंडर ला वंडर
ला बैंगलोर से 28 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है यह छुट्टियों में पिकनिक मनाने का
एक प्रसिद्ध स्थल है। यह पार्क बच्चों के साथ साथ पूरे परिवार के लिए एक सुखद मय
स्पॉट है। यहाँ झूले, गेम, बोटिंग आदि
का आनंद उठा सकते हैं। इस पार्क में मार्च के आखिरी तारीख तक विशेष ऑफरों की भरमार
है जहाँ आप अपने परिवार के साथ एक अच्छा समय बिता सकते हैं।
सावनदुर्ग हिल्स
सावनदुर्ग भारत में स्थित एक पहाड़ी है जो बैंगलोर से 33 किलोमीटर की दूरी पर स्थित
है। यह पहाड़ी एक मंदिर के लिए प्रसिद्ध है और यह दुनिया में पहली सबसे विशाल एकल
पत्थर पहाड़ी होने के लिए जानी जाती है। यह पहाड़ी समुद्र के स्तर से 1226 मीटर
ऊंची है और यह दक्षिणी पठार का एक हिस्सा है। रामनगर बैंगलोर से दक्षिण पश्चिम में
लगभग 50 किलोमीटर की दूरी पर रामनगर जिसे सिल्क सिटी भी कहा जाता है स्थित है। यह
स्थान रामनगर जिले का मुख्यालय भी है। कर्नाटक के अन्य भागों की तरह यहाँ भी गंग,
चोल, होय्सलास और मैसूर के राजाओं ने कई सालों
तक राज्य किया। सन 1970 के दौरान ‘शोले' फिल्म की शूटिंग
यहाँ हुई जिसके कारण इस स्थान को लोग जानने लगे। मुथ्यलामादुवु यह पिकनिक स्पॉट
बैंगलोर से 40 किलोमीटर की दूरी पर है। यहाँ एक बेहद खूबसूरत करामाती झरना और एक
कलाकृति वाला मंदिर है। यह पर्ल घाटी के रूप में जाना जाता है। बैंगलोर के निकट
स्थित ये स्थल बेहद लोकप्रिय है। यहाँ एक खूबसूरत मोतियों सा गिरता झरना इस स्थल
के आकर्षण को बड़ा देता है। यहाँ की पर्वत श्रृंखलाएँ प्रसिद्ध हैं।
अक्सर यहाँ लोग
ट्रैकिंग करने आते हैं। कैसे जाएँ- बैंगलोर से यहाँ के लिए बस और टेक्सी उपलब्ध हैं।
शिव गंगा हिल बैंगलोर से 56 किलोमीटर की दूरी पर स्थित 4600 फीट की ऊंचाई वाली ये
पहाड़ी काफी दिलचस्प लगती है। यह भी दक्षिण काशी के रूप में जाना जाता है। इस पहाड़ी
में ट्रैकिंग का अपना ही एक अलग मज़ा है।
अक्सर पर्यटक यहाँ ट्रैकिंग करने के लिए
आते हैं। शिव गंगा पहाड़ियों का रोमांचक आकर्षण पर्यटकों को अपनी ओर खींचता है।कैसे
जाएँ बैंगलोर से आसानी से इन सब जगहों के लिए टेक्सी, बस और
ऑटो की सुविधा है।