चेहरा पहचान प्रणाली,CCTV से निगरानी 1 जुलाई से 10 अगस्त तक नो फ्लाइंग जोन घोषित अमरनाथ यात्रा मार्ग....
बीते 22 अप्रैल
को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद अमरनाथ यात्रियों की सुरक्षा को लेकर कड़े
कदम उठाए जा रहे हैं। सुरक्षा बलों ने तीर्थयात्रियों की सुरक्षा को मजबूत करने के
लिए पवित्र अमरनाथ यात्रा के लिए श्रीनगर बालटाल और पहलगाम मार्ग पर चेहरे की
पहचान करने वाली प्रणाली (एफआरएस) तैनात की है। जम्मू-कश्मीर गृह विभाग द्वारा जारी घोषणा में कहा गया
है कि 1 जुलाई से 10 अगस्त
तक यूएवी, ड्रोन, गुब्बारे
सहित किसी भी तरह के विमान की उड़ान पर प्रतिबंध रहेगा। उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के
आदेश पर चिकित्सा, आपदा प्रबंधन और सुरक्षा
बलों द्वारा निगरानी के मामलों में प्रतिबंध लागू नहीं होंगे। आदेश में कहा
गया है कि 3 जुलाई से
शुरू होने वाली
श्री अमरनाथजी यात्रा के मद्देनजर यात्रा के सुचारू और शांतिपूर्ण संचालन के लिए
सुरक्षा व्यवस्था की जा रही है। आदेश में कहा गया है कि सभी हितधारकों ने
जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश में मौजूदा सुरक्षा परिदृश्य पर चर्चा की है और
अतिरिक्त रसद प्रावधानों का प्रस्ताव दिया है। इसमें कहा गया है कि केंद्रीय गृह
मंत्रालय ने यह भी सलाह दी है कि श्री अमरनाथजी यात्रा के पूरे मार्ग को 1 जुलाई
से 10 अगस्त तक नो फ्लाइंग जोन घोषित
किया जा सकता है। इसके इलावा अमरनाथ यात्रा
के हर रूट पर हजारों सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। यात्रियों की सुरक्षा के लिए
सुरक्षाबलों की तैनाती की जा रही है।
ये सभी बड़े बदलाव पहलगाम आतंकवादी हमले के
बाद आतंक पर पूरी तारा से नकली कसने के लिए उठाए जा रहे हैं है। एफआरएस निगरानी
कैमरे के फीड से चेहरे की विशेषताओं का विश्लेषण करके और उन्हें एक केंद्रीकृत
डेटाबेस से मिलान करके सक्रिय आतंकवादियों और संदिग्ध ओवरग्राउंड वर्करों सहित
ब्लैक लिस्टेड व्यक्तियों की पहचान करता है। जब किसी चिह्नित व्यक्ति का पता चलता
है, तो एक हूटर अलर्ट ट्रिगर करता है। यह सुरक्षा कर्मियों
को तत्काल कार्रवाई करने और वास्तविक समय में खतरे को बेअसर करने में सक्षम बनाता
है।
महंगी बिजली,विमान हादसा,छात्रों की सुरक्षा PM मोदी UP-CM योगी को घेरा सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने
उत्तर
प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री व समाजवादी पार्टी के सुप्रीमो अखिलेश यादव ने प्रेस
कॉन्फ्रेंस कर भाजपा सरकार पर निशाना साधा है। अखिलेश यादव ने कहा,यूपी
में बिजली बहुत महंगी होने जा रही है। बिजली इतनी महंगी हो जाएगी कि कई लोग अपना
मोबाइल भी चार्ज नहीं कर पाएंगे। पहले आउटगोइंग चीफ मिनिस्टर और डिप्टी सीएम में
लड़ाई थी। पहले इंजन टकरा रहे थे और अब सब डिब्बे यूपी में टकरा रहे हैं। वहीं
इमरान मसूद के इंडिया गठबंधन वाले बयान पर अखिलेश यादव ने कहा,हमें
किसी के बयान से कोई लेना देना नहीं है। इंडिया गठबंधन साथ में चुनाव लड़ेगा, जिसको
जाना है चला जाए गठबंधन से। पीडीए गठबंधन इमोशनल गठबंधन है, जो
पीड़ित हैं वो पीडीए हैं। अखिलेश यादव ने आगे कहा कि इजरायल में जो लोग नौकरी के
लिए गए हैं। सीएम योगी आदित्यनाथ से अनुरोध है कि वो एयर इंडिया की फ्लाइट में खुद
जाएं और सबको वहां से वापस लेकर आएं। अहमदबाद हादसे में कहीं ऐसा तो नहीं कि किसी
नाकाबिल आदमी को नौकरी दे दी गई, जिसके कारण ये हादसा हुआ
है। जातीय जनगणना को लेकर अखिलेश यादव ने कहा कि जातीय जनगणना बहुत जरूरी है।
पंचायत चुनाव में भाजपा AI का इस्तेमाल कर रही है, जिससे
इस तरह से बूथ बढ़ाए, ताकि सपा को नुकसान हो।
अखिलेश यादव ने आगे कहा कि जहां भी
युद्ध हो रहा है, वहां जो छात्र पढ़ाई कर रहे
हैं या जो लोग वहां नौकरी कर रहे हैं, उन लोगों को सरकार वापस
बुलाए। पीएम तो वहीं आसपास गए हैं अपने साथ उन लोगों को ही लेकर आ जाएं। अहमदाबाद
हादसे को लेकर उन्होंने कहा कि इस हादसे की जिम्मेदारी सरकार की बनती है। अबतक इस
मामले में कोई भी इस्तीफा नहीं हुआ है। बता दें कि इससे पहले सोमवार को अखिलेश
यादव ने कहा था कि साल 2027 में होने वाले विधानसभा
चुनाव में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस मिलकर चुनाव लड़ेगी। अखिलेश यादव ने ये बात
लखनऊ में आयोजित समाजवादी अल्पसंख्यक सभा की बैठक में कही थी।
WhatsApp इन देशों में कहीं आंशिक तो कही पूर्ण बैन जाने क्यू....?
भारत
में वाट्सऐप के सबसे ज्यादा करीब 60 करोड़ यूजर्स इस ऐप का
इस्तेमाल करते हैं। हालांकि, कई ऐसे देश हैं, जहां
मेटा का यह ऐप पूरी या आंशिक तौर पर बैन है। UAE:-संयुक्त अरब अमीरात में
वाट्सऐप पर पूरी तरह से प्रतिबंध नहीं लगा है। यहां वाट्सऐप पर मैसेजिंग फीचर तो
काम करता है,लेकिन वॉइस और वीडियो कॉलिंग पूरी तरह से प्रतिबंधित
है। घरेलू टेलीकॉम कंपनियों के हितों का
ध्यान रखते हुए वहां की सरकार ने कॉलिंग
फीचर को प्रतिबंधित किया है।कतर:- कतर में भी UAE की
तरह ही वाट्सऐप पर पूरी तरह से प्रतिबंध नहीं लगा है। वहां की सरकार ने वाट्सऐप पर
मैसेजिंग फीचर को बैन नहीं किया है। हालांकि, वाट्सऐप
के जरिए यूजर्स वॉइस और वीडियो कॉलिंग का आनंद नहीं ले सकते हैं।चीन:-भारत के पड़ोसी देश चीन में
वाट्सऐप पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा है। चीनी सरकार विदेशी वेबसाइट्स और ऐप्स पर
गहरी नजर रखती है। यहां की वामपंथी सरकार ने राजनीतिक नियंत्रण, सुरक्षा
चिंताएं और घरेलू टेलीकॉम उद्योग की सुरक्षा को देखते हुए वाट्सऐप पर बैन लगाया
है। चीन में यूजर्स वाट्सऐप की जगह WeChat का इस्तेमाल करते हैं, जिस
पर चीन की सरकार का पूरी तरह से कंट्रोल है।
उत्तर कोरिया:- नॉर्थ कोरिया में किम जोंग
की तानाशाही वाली सरकार ने वाट्सऐप ही नहीं कई सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को बैन किया
है। उत्तर कोरिया अभी भी दस साल पुराने वाले इंटरनेट
युग में जी रहा है। वहां की सरकार ने नागरिकों को ग्लोबल इंटरनेट का एक्सेस नहीं
दिया है। इसके अलावा वहां की जनता के हर एक्टिविटी पर सरकार की नजर रहती है।
सीरिया: एक और इस्लामिक देश सीरिया में भी वाट्सऐप पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा
है। वहां की सरकार ने इंस्टैंट मैसेजिंग ऐप को जनता की जानकारी बाहर पहुंचाने से
रोकने के लिए बैन किया है। सीरिया की सरकार इंटरनेट पर पूरी तरह से नियंत्रण रखती
है, जिसकी वजह से कई वेबसाइट्स भी वहां प्रतिबंधित है।
ईरान:- इजराइल के साथ युद्ध में
कूद चुके देश इस्लामिक देश ईरान में भी वाट्सऐप पर समय-समय पर प्रतिबंध लगते रहे
हैं। हालांकि, यह वहां की सरकार की रणनीति
का एक हिस्सा है। अशांत राजनीतिक हालात और इमरजेंसी की स्थिति में ईरान वाट्सऐप पर
समय-समय पर प्रतिबंध लगाता रहता है। पिछले साल दिसंबर में ही ईरान ने वाट्सऐप पर
बैन हटाने का फैसला किया था। लेकिन वाट्सऐप के कई फीचर्स ईरान में फिलहाल काम नहीं
करते हैं।
FIR/पुलिस प्रक्रिया में बदलेंगी छत्तीसगढ़ भाषा....
छत्तीसगढ़ के
डिप्टी सीएम विजय शर्मा ने कहा उर्दू और फारसी भाषाओं के शब्द आम लोगों के लिए
अपरिचित होते हैं, जिसके कारण वे न तो अपनी बात ठीक से समझा
पाते हैं और न ही पूरी प्रक्रिया को ठीक से समझ पाते हैं। यदि पुलिस का उद्देश्य
नागरिकों की सहायता और सुरक्षा करना है, तो उसकी भाषा भी ऐसी होनी चाहिए जो
नागरिकों को समझ में आए और उनका विश्वास बढ़े। डिप्टी सीएम के बयान के अनुसार,
इस पत्र में यह भी
निर्देशित किया गया है कि सभी अधीनस्थ अधिकारियों को इस बदलाव के बारे में बताया
जाए और यह सुनिश्चित किया जाए कि आदेश महज औपचारिकता न रहे बल्कि इसका वास्तविक
क्रियान्वयन राज्य की हर पुलिस चौकी, थाने और ऑफिस में दिखाई दे। छत्तीसगढ़
पुलिस अब न केवल कानून लागू करने वाली संस्था बनेगी, बल्कि जनसंचार का माध्यम भी बनेगी।
भाषा
के इस सरलीकरण से शिकायतकर्ता को अपनी बात स्पष्ट रूप से कहने,
सुनने और समझने में
मदद मिलेगी। विजय शर्मा ने कहा कि एफआईआर जैसी प्रक्रियाएं अब तक केवल वकील और
पुलिसकर्मी ही समझ पाते थे, लेकिन अब आम नागरिक भी इन चीजों को समझ
सकेंगे। छत्तीसगढ़ सरकार ने पुलिस के आधिकारिक
रिकॉर्ड में इस्तेमाल किए जाने वाले उर्दू और फारसी शब्दों की जगह हिंदी शब्दों का
इस्तेमाल करने का फैसला किया है। इन शब्दों को आम आदमी भी आसानी से समझ सकता है।
इसका उद्देश्य पुलिसिंग को अधिक सुलभ, पारदर्शी और संवादात्मक बनाना है।
जब कोई
आम नागरिक किसी शिकायत, अपराध की सूचना या अन्य कार्य के लिए
पुलिस थाने जाता है, तो वह अक्सर एफआईआर या पुलिस के अन्य
दस्तावेजों में उपयोग की जाने वाली भाषा को लेकर भ्रमित रहता है।@ बदले
जाएंगे ये शब्द:-खयानत:हड़पना,गोशवारा:नक्शा,नकबजानी:सेंध,माल मशरूका:लूटी-चोरी की गई
संपत्ति,रोजनामचा:सामान्य दैनिकी,शिनाख्त:पहचान,अदालत दीवानी:सिविल न्यायालय,फौजदारी
अदालत:दंडिक न्यायालय,जरायम:अपराध,जयदादे मशरुका:कुर्क हुई संपत्ति,जिलाबदर:निर्वासन,साकिन:पता पुलिस की भाषा के कई शब्द ऐसे थे,
जो आम आदमी नहीं समझ
पाते थे। ऐसे में सरकार ने उर्दू और फारसी के शब्दों की जगह हिंदी के आसान शब्दों
का उपयोग करने का फैसला किया है। नागरिकों की
सहायता और सुरक्षा के लिए बदल रही भाषा।
दो चरणों में जनगणना सरकार ने जारी कर दी अधिसूचना…
केन्द्रीय गृह मंत्रालय
ने जनगणना अधिनियम, 1948 के तहत जनगणना और जातीय जनगणना से संबंधित नोटिफिकेशन जारी कर दिया है। वैसे तो भारत
में जनगणना हर 10 साल बाद होती है, लेकिन कोरोना महामारी की वजह से जनगणना टल
रही थी लेकिन अब नोटिफिकेश जारी होने के बाद क्लियर हो गया है कि जनगणना का काम
जल्द शुरू हो जाएगा। भारत में जनगणना दो चरणों में होगी और इसे लेकर केंद्र सरकार ने अधिसूचना जारी
कर दी है। गृह मंत्री अमित शाह ने घोषणा की है कि भारत की जनसंख्या की
जनगणना वर्ष 2027 के दौरान की जाएगी। जनगणना की पूरी
प्रक्रिया एक मार्च 2027 तक खत्म हो जाएगी, यानी कि पूरी प्रक्रिया लगभग
21 महीनों
में पूरी होगी। इसके बाद जनगणना का प्राइमरी
डेटा मार्च 2027 में जारी होगा, जबकि डिटेल डेटा जारी
होने में दिसंबर 2027
तक का वक्त लगेगा। अगली जनगणना 2035
में कराई जाएगी। इस बार जनगणना की
प्रक्रिया दो फेज में होगी, जिसका पहला
चरण एक अक्टूबर 2026 तक पूरा किया जाएगा, जबकि दूसरा और अंतिम
चरण एक मार्च 2027 तक पूरा होगा और एक मार्च 2027 को
रेफरेंस डेट माना जाएगा, यानी उस समय देश की
जनसंख्या और सामाजिक स्थिति का जो भी आंकड़ा होगा, वही रिकॉर्ड में दर्ज
किया जाएगा और फिर ये आंकड़े सार्वजनिक कर दिए जाएंगे, जिसे आप भी जान सकेंगे। पहाड़ी राज्यों जैसे
जम्मू-कश्मीर, लद्दाख और उत्तराखंड में जनगणना की प्रक्रिया अन्य
राज्यों से पहले अक्टूबर 2026 तक पूरी कर ली जाएगी।
इसका कारण है यहां का मौसम और ठंड, इन राज्यों के लिए एक अक्टूबर 2026 को रेफरेंस डेट माना जाएगा। इस बार की जनगणना में जाति और संप्रदाय से संबंधित सवाल भी शामिल किए जा सकते हैं। इस बार की जनगणना में करीब 34 लाख कर्मचारी हिस्सा लेंगे, जिनकी ट्रेनिंग होगी। डिजिटल गणना के लिए सॉफ्टवेयर में जाति, उप-जाति और OBC के लिए नए कॉलम और मेन्यू शामिल किए जाएंगे। इसके बाद लोकसभा और विधानसभा सीटों का सिलसिलेवार परिसीमन 2028 तक शुरू होगा इस दौरान महिलाओं के लिए 33 फीसदी आरक्षण भी लागू किया जा सकता है। यानी 2029 के लोकसभा चुनाव से पहले-पहले महिलाओं के लिए रिजर्वेशन की तस्वीर साफ हो सकती है।
हाउसिंस
सेंसस के प्रोसेस के दौरान घरों की लिस्ट तैयार की जाती है और आवासीय स्थिति, सुविधाओं, और संपत्ति से संबंधित
जानकारी जमा कर ली की जाती है। इस प्रकिया में
पर्यवेक्षक घर-घर जाकर सवाल पूछते हैं। इस बार की जनगणना में 30 सवाल
पूछे जा सकते हैं, जिनमें नाम, आयु, लिंग, जन्म तिथि, वैवाहिक स्थिति, शिक्षा, रोजगार, धर्म, जाति, और उप-संप्रदाय, परिवार के मुखिया के
साथ रिश्ता, आवासीय स्थिति और प्रवास से जुड़े सवाल शामिल होंगे।
इंद्रायणी नदी पुल दुर्घटना हादसा-चूक या प्रशासनिक लापरवाही....?
महाराष्ट्र के
पुणे जिले के मावल तहसील के पास इंद्रायणी नदी पर बना 30
साल पुराना सुकाव
ब्रिज रविवार दोपहर उस समय ढह गया, जब पर्यटकों की भारी भीड़ ब्रिज पर सेल्फी
ले रही थी। इस दर्दनाक हादसे में अब तक 4 लोगों की मौत हो चुकी है,
38 घायल हैं। इनमें 7
की हालत गंभीर बताई
जा रही है। पुल को नीचे से कोई मजबूत सपोर्ट नहीं मिला था, जिससे ओवरलोड होने पर वह टूट गया। प्रशासन
और पर्यटकों की दोहरी लापरवाही सामने आई है। इस कारण इतना बड़ा हादसा हो गया। इस
लापरवाही की भरपाई भी नहीं की जा सकती है। 30 साल पुराना ब्रिज काफी जर्जर हालत में था।
नए ब्रिज के लिए टेंडर तो निकला लेकिन पुराने पुल को तोड़ा नहीं गया। प्रशासन ने
पुल पर केवल एक बोर्ड लगाया था, लेकिन किसी तरह की बैरिकेडिंग या रोकथाम
के ठोस उपाय नहीं किए गए।
हादसे के समय पुल पर भारी भीड़ थी। कुछ पर्यटक बाइक लेकर
भी पुल पर पहुंच गए, जिससे पुल पर अतिरिक्त लोड बढ़ गया। पुल
पर एक बार में एक ही बाइक निकल सकती थी, लेकिन एक साथ 7-8 बाइकें आ गईं। भारी भीड़ और वजन के कारण
पुल ढह गया। पुल पर सिर्फ चेतावनी बोर्ड लगाया गया, लेकिन आवाजाही पर रोक नहीं लगाई गई। भीड़
नियंत्रित करने के लिए कोई सुरक्षात्मक इंतजाम नहीं किए गए। चेतावनी के बावजूद
भारी संख्या में लोग सेल्फी और फोटोज़ के लिए ब्रिज पर चढ़ गए। कुछ लोग प्रतिबंध
के बावजूद बाइक लेकर ब्रिज पर पहुंच गए। सेल्फी के चक्कर में चार लोगों की मौतें
हो गईं।
स्थानीय लोगों और प्रत्यक्षदर्शियों ने
बताया कि हादसे से पहले सेल्फी लेने वालों की संख्या काफी बढ़ गई थी। रेस्क्यू टीम
के सदस्यों ने बताया कि पुल के अचानक गिरते ही लोग पानी में गिर पड़े। कुछ लोग
बहाव में बह गए जिन्हें तुरंत निकाला गया। सरकार सख्ती से नियमों पर अमल करवाएं। प्रशासन की ओर से 7
दिन पहले ही टूरिस्ट
स्थलों पर चेतावनी जारी की गई थी। सेल्फी के चक्कर में जान जोखिम में ना डालें।
फिर भी लोग नियमों का पालन नहीं कर रहे थे। आपदा प्रबंधन मंत्री गिरीश महाजन ने
कहा था कि लोगों से अपील है कि पर्यटन स्थलों पर नियमों का पालन करें। सेल्फी की
लालसा में अपनी और दूसरों की जान जोखिम में न डालें। सरकार और प्रशासन पूरी
सतर्कता बरत रहा है।
राम मंदिर के आसपास ऊंची इमारत निर्माण पर रोक जाने क्यू...?
बीते 22 जनवरी 2024
को पीएम मोदी के
नेतृत्व में राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की गई थी। इसके बाद से मंदिर
निर्माण के विस्तार सहित अन्य योजनाओं पर काम चल रहा है। राम मंदिर के आसपास के
मकानों की ऊंचाई को लेकर एक अधिकारी ने शुक्रवार को बताया कि अयोध्या विकास
प्राधिकरण ने मास्टर प्लान-2031 के तहत राम मंदिर के आसपास प्रतिबंधित
क्षेत्र घोषित कर दिया है। इसके तहत राम मंदिर के आसपास ऊंची इमारतों के निर्माण
पर रोक लगा दी गई है। अयोध्या विकास प्रधिकरण ने अयोध्या में विभिन्न स्थानों पर
नोटिस बोर्ड लगाने भी शुरू कर दिए हैं। एडीए के नोटिस बोर्ड में नए नियमों को
स्पष्ट रूप से बताया गया है। इसके अलावा
अनाधिकृत निर्माण के खिलाफ चेतावनी भी
जारी की गई है। इन प्रतिबंधों का मतलब है कि राम मंदिर के पास कोई नई ऊंची इमारत
बनाने की अनुमति नहीं दी जाएगी। दरअसल, अयोध्या विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष
अश्विनी पांडेय ने इस बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि नए दिशा-निर्देश
मंदिर से निकटता के आधार पर इमारतों की ऊंचाई की सीमा निर्धारित करते हैं।
उन्होंने कहा कि राम मंदिर से 2 किलोमीटर की पहली परिधि में इमारत की
ऊंचाई केवल 7 मीटर और 4 किलोमीटर की दूसरी परिधि में 15
मीटर की ऊंचाई तक
मकान के निर्माण की अनुमति होगी।
उन्होंने कहा कि इन उपायों का उद्देश्य यह
सुनिश्चित करना है कि राम मंदिर का दृश्य निर्बाध रहे और आसपास का विकास पवित्र
स्थल के आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व के अनुरूप हो। अयोध्या विकास प्राधिकरण (ADA)
ने मास्टर प्लान-2031
के तहत यह कदम उठाया
है। इसके तहत अयोध्या में मौजूद राम मंदिर के आसपास कम ऊंचाई के मकान ही बनाए जा
सकेंगे। एडीए ने राम मंदिर की सौंदर्य और आध्यात्मिक पवित्रता को बनाए रखने के
प्रयास के तहत यह आदेश जारी किया है।
UP का “ऑपरेशन मिट्टी” जाने क्या है...?
प्रयागरज के
गंगा पार इलाके में अवैध रूप से JCB से मिट्टी का खनन करके मफिया इसे लगातार
बेच रहे थे। अवैध मिट्टी खनन की शिकायत पुष्कर वर्मा क़ो मिली तो उन्होंने पहले
अपने स्तर से गोपनीय जांच कराई। जांच में खनन की बात सही निकली। खनन करने वालो क़ो
रंगे हाथ पकड़ने के लिए आईपीएस पुष्कर वर्मा ने थाने की फ़ोर्स के अलावा दूसरे थाने
की फ़ोर्स लेकर 30 पुलिसकर्मियों की टीम बनाई। इस ऑपरेशन के पहले दिन आधी रात मे ADCP
पुष्कर वर्मा ने
पूरी टीम के साथ सराय मामरेज में दबिश देकर 11 लोगों क़ो
मिट्टी का अवैध खनन
करते हुए रंगे हाथ पकड़ा। इस दौरान पुलिस ने JCB,
ट्रैक्टर और कई बाइक
भी जब्त किया हैं। इस
ऑपरेशन से खनन माफियाओं में हड़कंप मचा है। टीम के साथ ADCP
पुष्कर वर्मा ने आधी
रात के बाद सराय मामरेज में रेड की और खनन वाले एरिया क़ो घेर कर 11
लोगों क़ो गिरफ्तार
कर लिया। मौके से 5 जेसीबी, 8 ट्रैक्टर, 3 बाइक भी ज़ब्त कर लिया। पकडे़ गए लोगों से
पुलिस ने पूछताछ की जिसमें खनन करने वाले कई खनन माफियाओं के नाम सामने आये हैं।
हालांकि इस रेड के बाद कई खनन माफिया घर छोड़ कर भाग निकले। पुष्कर वर्मा ने बताया की पकड़े गए लोगों
से पूछताछ में खनन की कई जानकारिया मिली हैं। इसकी जांच की जा रही है। जल्द ही और
भी गिरफ्तारियां होंगी। पुष्कर वर्मा ने बताया कि इस ऑपरेशन क़ो काफ़ी गोपनीय रखा
गया था।
क्या कांग्रेस भवन शराब घोटाले के पैसों से बना….
कांग्रेस नेता
की संपत्तियों को जब्त करने के लिए आदेश धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत
जारी किया गया है। केंद्रीय जांच एजेंसी ने एक बयान में कहा कि जब्त की गई
संपत्तियों में कवासी लखमा के नाम पर रायपुर में एक आवासीय घर और उनके बेटे हरीश
कवासी के नाम पर सुकमा में एक घर शामिल है। इन संपत्तियों की कीमत 6.15
करोड़ रुपये है। यह
पहली बार है जब संघीय जांच एजेंसी ने धन शोधन विरोधी कानून के तहत किसी राजनीतिक
दल की संपत्ति जब्त की है। ईडी ने छत्तीसगढ़ शराब घोटाले से जुड़े मामले में कांग्रेस नेता कवासी
लखमा की कई संपत्तियां जब्त की हैं। खास बात यह है कि ईडी ने कांग्रेस का सुकमा
जिला मुख्यालय भी
जब्त कर लिया है। यह भवन छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के नाम
पर है। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि क्या कांग्रेस भवन घोटाले के पैसों से बना था।
ईडी ने कवासी लखमा के बेटी की भी कई संपत्तियां जब्त की हैं। कांग्रेस की पिछली
सरकार के दौरान कथित तौर पर 2100 करोड़ रुपये का शराब घोटाला हुआ था। इससे
जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में संपत्तियां जब्त की गई हैं। ईडी ने कहा,कवासी लखमा को शराब घोटाले से हर महीने 2
करोड़ रुपये मिल रहे
थे और इस तरह से उन्होंने 36 महीनों में 72 करोड़ रुपये अवैध तरीके से कमाए। जांच में
महत्वपूर्ण साक्ष्य जब्त किए गए, जिससे पता चला कि इन संपत्तियों के
निर्माण में कवासी लखमा द्वारा नकदी का उपयोग किया गया। इसने आरोप लगाया कि
कांग्रेस भवन के निर्माण में 68 लाख रुपये की नकदी का उपयोग किया गया,
हरीश लखमा के घर के
निर्माण में 1.40 करोड़ रुपये का उपयोग किया गया और रायपुर
में अपने (कवासी लखमा) घर के निर्माण में 2.24
करोड़ रुपये का उपयोग
किया गया।
ईडी ने आरोप लगाया है कि अवैध शराब व्यापार से कमाए गए पैसे का उपयोग
सुकमा में कांग्रेस कार्यालय के निर्माण के लिए किया गया था। रायपुर में कांग्रेस
के एक प्रवक्ता ने कहा कि ईडी की कार्रवाई भाजपा की राजनीतिक साजिश का हिस्सा है।
कांग्रेस पार्टी सुकमा में कार्यालय के निर्माण के लिए इस्तेमाल किए गए एक-एक पैसे
का रिकॉर्ड पेश करेगी। 72 वर्षीय कवासी लखमा कोंटा विधानसभा सीट से
छह बार विधायक रह चुके हैं और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली
कांग्रेस सरकार में आबकारी मंत्री रह चुके हैं। हरीश लखमा सुकमा में पंचायत
अध्यक्ष हैं। एजेंसी ने दिसंबर 2024 में रायपुर, सुकमा और धमतरी जिलों में लखमा के ठिकानों
पर छापेमारी की थी। वरिष्ठ लखमा को ईडी ने जनवरी में गिरफ्तार किया था। वह फिलहाल
न्यायिक हिरासत में जेल में बंद हैं।
बीजेपी छोड़ किसी भी दल के साथ गठबंधन को तैयार शरद पवार
विधानसभा
चुनाव में महायुति ने शानदार प्रदर्शन किया था और बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर
उभरी थी। ऐसे में बीजेपी का ही मुख्यमंत्री भी राज्य में है। इस गठबंधन में सब ठीक
नजर आ रहा है। अब तक किसी ने भी गठबंधन से अलग होकर चुनाव लड़ने की बात नहीं कही
है। गठबंधन से अलग होने पर एकनाथ शिंदे और अजित पवार को ही ज्यादा नुकसान होगा।
इसी वजह से पूरी संभावना नजर आ रही है कि महायुति के दल साथ निकाय चुनाव लड़ेंगे।
वहीं, महाविकास अघाड़ी के दल अलग-अलग चुनावी मैदान में उतर सकते हैं। शरद
पवार ने कहा है कि वह बीजेपी के अलावा किसी भी दल के साथ गठबंधन के लिए तैयार हैं।
ऐसे में वह एनसीपी अजीत गुट के साथ भी गठबंधन कर सकते हैं। ऐसा होने पर महायुति
में भी दरार पड़ सकती है। हालांकि, इसकी संभवानाएं कम ही नजर
आती हैं। शरद
पवार के पास दूसरा विकल्प अन्य छोटे क्षेत्रीय दलों के साथ गठबंधन करने का है।
मुंबई में एनसीपी की पकड़ ज्यादा मजबूत नहीं है। ऐसे में वह अकेले चुनाव नहीं लड़ना
चाहेंगे। शरद पवार ने मुंबई में पत्रकारों से कहा है कि वह बीजेपी छोड़ किसी भी दल
के साथ गठबंधन करने के लिए तैयार हैं। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह है कि अगर वह
अजित पवार या एकनाथ शिंदे की पार्टी के साथ गठबंधन करते हैं को महाविकास अघाड़ी और
महायुति गठबंधन का क्या होगा और दोनों गठबंधन में शामिल दल क्या फैसला करेंगे।
महाराष्ट्र में महानगर पालिका, जिला परिषद, पंचायत समिति और नगरपालिका चुनाव जल्द ही
होने वाले हैं। मुंबई में आमतौर पर शिवसेना और कांग्रेस के बीच मुकाबला होता था।
इस बार शिवसेना दो हिस्सों में बंटी हुई है। ऐसे में उद्धव ठाकरे मनसे के साथ
मिलकर स्थानीय चुनाव लड़ सकते हैं। ठाकरे पवार के एक होने की खबरें लंबे समय से चल
रही हैं। चुनाव से पहले अगर उद्धव और राज ठाकरे साथ आते हैं तो उद्धव गुट को
मजबूती मिलेगी। हालांकि, महाविकास अघाड़ी में इससे दरार पड़ सकती
है।
निष्क्रिय पैन कार्ड का इस्तमेमाल पड़ सकता है भारी...
आयकर विभाग का
कहना है कि अगर कोई व्यक्ति निष्क्रिय पैन का इस्तेमाल करता है- खास तौर पर उच्च
मूल्य के लेनदेन में तो उस पर हर मामले में अलग से जुर्माना लगाया जा सकता है।
इसमें बैंक खाता खोलना या उसका संचालन करना, शेयर या म्यूचुअल फंड में निवेश करना,
संपत्ति खरीदना,
लोन के लिए आवेदन
करना और आयकर रिटर्न दाखिल करना जैसे लेनदेन शामिल हैं। अगर आपने अपने पैन को आधार से लिंक नहीं
किया है, तो उसे निष्क्रिय घोषित कर दिया जाता है। ऐसे पैन अब ज़्यादातर टैक्स
और वित्तीय उद्देश्यों के लिए अमान्य हो गए हैं। ऐसे में अगर कोई व्यक्ति इस
निष्क्रिय पैन से वित्तीय इस्तेमाल करते हैं, तो इसे कानून का उल्लंघन माना
जाएगा। अगर
किसी व्यक्ति के पास दो पैन है तो यह गलत है। करदाता को एक पैन सरेंडर कर देना
चाहिए। अगर वह गलती करते पकड़ा जाता है तो उसे उस कृत्य के पीछे का कारण बताने का
मौका देने के बाद जुर्माना तय किया जाएगा। अगर कारण वास्तविक है और गलती से गलती
हुई है, तो उस पर कोई जुर्माना नहीं लगाया जाएगा। इसलिए अगर किसी करदाता के
पास दो पैन हैं, तो उसे मौजूदा पैन डेटा में बदलाव या सुधार/पैन कार्ड का पुनर्मुद्रण
भरकर और जमा करके
अतिरिक्त पैन के सरेंडर के लिए ऑनलाइन आवेदन करना चाहिए। निष्क्रिय पैन का इस्तमेमाल वित्तीय लेन-देन में कर
रहे हैं, उन पर अब आयकर अधिनियम की धारा 272बी के तहत सख्त कार्रवाई हो सकती है। इस
धारा के तहत ऐसे प्रत्येक लेन-देन पर ₹10,000 तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। सरकार
ने इस दिशा में कदम उठाना शुरू कर दिया है।
खाद्य मुद्रास्फीति में आई कमी
भारतीय
रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने कुछ दिनो पहले चालू वित्त वर्ष 2025-26 के लिए अपने महंगाई दर के अनुमान को चार प्रतिशत से
घटाकर 3.7 प्रतिशत कर दिया है।
केंद्रीय बैंक का मानना है कि जिंसों की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में कमी के साथ
मुख्य मुद्रास्फीति नरम बनी रहेगी। चार प्रतिशत से कम औसत खुदरा मुद्रास्फीति का
यह अनुमान हाल के वर्षों में सबसे कम है। अप्रैल में अपनी मौद्रिक नीति घोषणा में आरबीआई ने
वित्त वर्ष 2025-26 में खुदरा मुद्रास्फीति के
औसतन चार प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था। आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा
कि सामान्य मानसून के मद्देनजर वित्त वर्ष 2025-26 के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई)
आधारित
मुद्रास्फीति के अब 3.7 प्रतिशत पर रहने का अनुमान
है। राष्ट्रीय सांख्यिकी
कार्यालय ने एक बयान में कहा कि मई 2025 के महीने के दौरान हेडलाइन
मुद्रास्फीति और खाद्य मुद्रास्फीति में उल्लेखनीय गिरावट मुख्य रूप से दालों और
उत्पादों, सब्जियों, फलों, अनाज
और उत्पादों, घरेलू सामान और सेवाओं, चीनी
और मिष्ठान्न और अंडे की मुद्रास्फीति में गिरावट और अनुकूल आधार प्रभाव के कारण
है। मई 2025 में खाद्य मुद्रास्फीति
अक्टूबर 2021 के बाद से सबसे कम है। आंकड़ो
के मुताबिक, मई 2025 में
ग्रामीण हेडलाइन मुद्रास्फीति 2.59% रही। अप्रैल में यह 2.92% थी, जबकि शहरी हेडलाइन
मुद्रास्फीति 3.36% से घटकर 3.07% हो गई।
शहरी क्षेत्रों में आवास मुद्रास्फीति 3.16% थी, और शिक्षा और स्वास्थ्य
मुद्रास्फीति दर क्रमशः 4.12% और 4.34% थी। इसी तरह, मई, 2025 के महीने के लिए साल-दर-साल आवास मुद्रास्फीति दर 3.16% (अनंतिम) है। अप्रैल, 2025 के महीने के लिए इसी मुद्रास्फीति दर 3.06% थी। मई में खुदरा मुद्रास्फीति
छह साल के निचले स्तर 2. 82 प्रतिशत पर आ गई है।
गुरुवार को जारी सरकारी आंकड़ों में यह बात सामने आई है। महंगाई में राहत सब्जियों, फलों
और प्रोटीन युक्त वस्तुओं सहित खाद्य पदार्थों की कम कीमतों के चलते आई है। पीटीआई
की खबर के मुताबिक, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक
(सीपीआई) आधारित खुदरा मुद्रास्फीति अप्रैल में 3. 16 प्रतिशत और मई 2024 में
4. 8 प्रतिशत थी। राष्ट्रीय
सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के आंकड़ों के अनुसार, मई
में खाद्य मुद्रास्फीति 0. 99 प्रतिशत थी, जो
एक साल पहले इसी महीने में 8. 69 प्रतिशत से काफी कम है।