घोटाला-किसान निधि से मंत्रियों ने खरीदी महंगी लग्जरी गड़िया CAG रिपोर्ट ने खोली-पोल
कैग रिपोर्ट में
वर्ष 2017 से 2022
के बीच किसानों को आवश्यक खाद उपलब्ध न
होने की बात भी उजागर हुई। उन्हें वही खाद दी गई जो उपलब्ध थी,
न कि जो उनकी फसलों के लिए जरूरी थी। उर्वरक
नियंत्रण आदेश के तहत नमूना जांच -सैंपलिंग का भी सही तरीके से पालन नहीं हुआ। राज्य
में 18 प्रयोगशालाओं
की आवश्यकता थी,लेकिन सिर्फ छे ही चालू हैं। निरीक्षकों और स्टाफ की कमी के कारण
जांच प्रक्रिया समय पर पूरी नहीं हो पाई। साथ ही सरकार ने खाद की मांग का अनुमान
लगाते समय सब्जियों और उद्यानिकी फसलों को शामिल नहीं किया,
जिससे मार्कफेड द्वारा सही मात्रा में खाद
की खरीद नहीं हो सकी। दरअसल,मध्य प्रदेश विधानसभा में हाल ही में
पेश की गई कैग -CAG
रिपोर्ट ने सरकार की योजनाओं और बजट प्रबंधन
पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। रिपोर्ट के अनुसार, जिस पैसे का उद्देश्य किसानों के सहकारी विकास को
बढ़ावा देना था, उसका
इस्तेमाल अफसरों ने लग्जरी गाड़ी की खरीदी में किया। कैग रिपोर्ट में बताया गया कि
किसान कल्याण के लिए आवंटित ₹5.31 करोड़ में से लगभग ₹4.79 करोड़ की राशि अधिकारियों ने लग्जरी गाड़ियों की
खरीद पर खर्च कर दी। ये फंड मूल रूप से किसानों के हित में योजनाएं लागू करने के
लिए जारी किया गया।
रिपोर्ट में सामने आया है कि बीते पांच साल में किसानों के
सहकारी विकास फंड (FDF) से जारी की गई ₹5.31 करोड़ की राशि का लगभग 90% हिस्सा, यानी ₹4.79 करोड़ सिर्फ राज्य और जिला स्तर पर वाहन,
ड्राइवरों की सैलरी और गाड़ियों के रखरखाव
पर खर्च कर दिया गया। यह राशि किसानों के हित में उपयोग की जानी थी। जैसे कि
प्रशिक्षण कार्यक्रम, प्राकृतिक आपदा के समय सब्सिडी,खाद वितरण और आधुनिक कृषि उपकरणों की उपलब्धता
मगर इन अहम कार्यों पर
महज ₹5.10 लाख रुपये यानी कुल फंड का सिर्फ 1% से भी कम खर्च किया गया।
चुनाव आयोग पर वोट चोरी में शामिल होने के गंभीर आरोप पर चुनाव आयोग ने राहुल गांधी को किया तलब मांगा जवाब....
कांग्रेस सांसद
राहुल गांधी के आरोप है,इलेक्शन कमीशन वोट चोरी में शामिल है। मैं 100%
प्रूफ के साथ बोल रहा हूं। हमें मध्य
प्रदेश से संदेह था। लोकसभा चुनाव में संदेह था, जो कि महाराष्ट्र में और बढ़ा। हमें स्टेट लेवल
पर लगा यहां वोट चोरी हुई है। एक करोड़ वोटर जुड़े थे। इसके आगे वो कहते हैं,
फिर हम डिटेल में गए कि कहीं चुनाव आयोग
तो मदद नहीं कर रहा है तो गहराई में जाना है। इस पर हमने अपना ही इन्वेस्टिगेशन
करवाया उसमें 6 महीने
लगे। जो हमें मिला है वो एटम बम है। जो भी ये काम कर रहे हैं,चुनाव आयोग में
जो भी ये काम कर रहे हैं,
ऊपर से लेकर नीचे तक आप एक बात याद रखिए
हम आपको छोड़ेंगे नहीं। राहुल गांधी यहीं नहीं रुके। चुनाव आयोग को लेकर उन्होंने
कहा कि कुछ भी हो जाए हम आपको छोड़ेंगे नहीं। आप हिंदुस्तान के खिलाफ काम कर रहे
हो। आप याद रखिए आप कहीं भी हो, रिटायर्ड हों, कुछ भी हों हम आपको ढूंढकर निकालेंगे। इसके बाद
अब चुनाव आयोग का बयान आया है, जिसमें राहुल गांधी को जवाब दिया है। चुनाव आयोग ने कहा,
हमने राहुल गांधी को 12 जून 2025 को एक मेल भेजा, मगर वो नहीं आए। इसके बाद 12
जून को फिर एक पत्र भेजा लेकिन उन्होंने
इसका कोई जवाब नहीं दिया।
राहुल गांधी ने कभी भी किसी भी मुद्दे पर चुनाव आयोग को कोई पत्र नहीं
भेजा। यह
बहुत अजीब है कि वो बेतुके आरोप लगा रहे हैं और अब चुनाव आयोग और उसके कर्मचारियों
को धमकाना भी शुरू कर दिया है। ये निंदनीय है। चुनाव आयोग ऐसे
गैर-ज़िम्मेदाराना बयानों को नजरअंदाज करता है और अपने सभी कर्मचारियों से
निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से काम करते रहने का अनुरोध करता है।
2016 से 2025 100 करोड़ रुपये की ठगी, फर्जी कॉल सेंटर पर छापेमारी..
दिल्ली में बीते जुलाई महीने में फर्जी कॉल सेंटर पर एक्शन लिया
गया था। पुलिस ने दिल्ली में अवैध रूप से चलाए जा रहे एक फर्जी कॉल सेंटर का
भंडाफोड़ किया था। इन लोगों पर बैंक कर्मचारी बनकर लोगों से कथित तौर पर धोखाधड़ी
करने का आरोप था। 11 लोगों को गिरफ्तार किया गया था। फिर एक बार दिल्ली में ईडी ने फर्जी कॉल सेंटर पर एक्शन लेते हुए खानपुर में फर्जी कॉल सेंटर के
तीन ठिकानों पर छापेमारी की गई। यह रेड 31
जुलाई 2025 की रात लगभग 10:30 बजे शुरू हुई थी और 1 अगस्त की सुबह भी जारी थी। इन ठिकानों से एक कॉल सेंटर चल रहा था,
जहां अमेरिका समेत विदेशों में रहने वाले
नागरिकों को गुमराह कर फर्जी या पायरेटेड सॉफ्टवेयर को असली सॉफ्टवेयर (जैसे Microsoft
Windows) के नाम पर बेचा जाता
था। ईडी की जांच में अब तक सामने आया है कि विदेश से करीब 100
करोड़ का फ्रॉड किया गया। साल 2016-17
से 2024-25 के बीच 100 करोड़ रुपये की ठगी हुई है। मामले की कार्यवाही
अभी भी जारी है।
क्या है रेसिप्रोकल टैरिफ....?
टैरिफ एक तरह का टैक्स है जो तब
लगाया जाता है जब कोई व्यापारी कोई सामान दूसरे देश से मंगवाता है। टैरिफ से
सरकार की कमाई भी बढ़ती और देश की अपनी कंपनियों को बाहर से आने वाली सस्ती चीज़ों
के मार से बचाव भी हो जाता है। रेसिप्रोकल का मतलब होता है आप जैसा करोगे, वैसा
ही हम भी करेंगे यानी जितना टैरिफ एक देश किसी दूसरे देश के सामानों पर लगाता है, तो
दूसरा देश भी उसी तरह का टैक्स उस देश में बनी चीजों पर लगाता है। इसे सरकारें
व्यापार नीति और रेवेन्यू कलेक्शन के एक साधन के रूप में इस्तेमाल करती हैं। एक
उदाहरण के तौर पर समझे अगर
भारत अमेरिका के सामानों पर 20 प्रतिशत टैरिफ लगाता है, तो
अमेरिका भी भारत के सामानों पर 20 प्रतिशत टैरिफ लगाएगा। इसका उद्देश्य व्यापार के
असंतुलन को कम करना और घरेलू मार्केट को संरक्षण देना है।
नवजात की मृत्यु के बाद भी वेंटिलेटर पर रखा प्राइवेट हॉस्पिटल ने....
रांची के अरगोड़ा स्थित निजी
अस्पताल में नवजात की मृत्यु के बाद भी वेंटिलेटर पर रखने के परिजनों के आरोप को
जिला प्रशासन द्वारा गंभीरता से लिया गया है। रांची डीसी कर्यालय द्वारा जारी किए
गए प्रेस रिलीज में बताया गया है कि विभिन्न मीडिया समाचार माध्यमों से प्राप्त
जानकारी के अनुसार नवजात को कथित रूप से उसकी मृत्यु के बाद भी वेंटिलेटर पर रखा
गया था। इस मामले को संज्ञान में लेते हुए विस्तृत जांच के आदेश दिए गए है। रांची
डीसी के आदेश पर एक जांच समिति का गठन किया गया है। जिसमें कार्यपालक दंडाधिकारी, जिला समाज कल्याण पदाधिकारी तथा विशेषज्ञ चिकित्सकों की टीम
शामिल है। रांची डीसी मंजूनाथ भजंत्री के आदेश में
बताया गया है कि यह जांच समिति विभिन्न बिंदुओं पर जांच करेगी। उन्हें स्पष्ट किया गया है कि अगर जांच के बाद अस्पताल प्रबंधन या संबंधित किसी भी व्यक्ति की लापरवाही या दोष सिद्ध होता है, तो उनके विरुद्ध नियमसंगत कठोर कार्रवाई की जाएगी। गौरतलब है कि दो दिन पूर्व राजधानी रांची के अरगोड़ा चौक स्थित एक निजी अस्पताल में एक नवजात बच्चे की मौत हो गई थी। बच्चे के पिता मुकेश सिंह के द्वारा अस्पताल प्रबंधन पर यह आरोप लगाते हुए थाना में एफआईआर दर्ज करवाया गया है कि उनके बच्चे की मौत हो जाने के बाद भी उसे वेंटिलेटर पर रखा गया था। मामला गंभीर होने की वजह से इसकी जांच भी करवाई जा रही है। गुरुवार की देर शाम बच्चे का पोस्टमार्टम भी करवाया गया।
मालेगांव विस्फोट मामले में RSS प्रमुख मोहन भागवत को गिरफ्तार करने के लिए कहा गया था...ATS के पूर्व पुलिस अधिकारी का खुलासा
महाराष्ट्र -आतंकवाद निरोधक दस्ते [ATS] के एक पूर्व पुलिस अधिकारी महिबूब मुजावर ने एक
खुलासा करते हुए उन्होंने
कहा कि उन्हें आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत को गिरफ्तार करने के लिए कहा गया था। इससे
पहले रिटायर्ड पूर्व पुलिस अधिकारी ने आरोप लगाया कि इसके पीछे का उद्देश्य भगवा
आतंकवाद को सिद्ध करना था। उन्होंने यह आरोप पूर्व भाजपा सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर
सहित सभी सात आरोपियों को बरी करने के निचली अदालत के फैसले पर प्रतिक्रिया व्यक्त
करते हुए लगाया। महिबूब मुजावर ने यह बातें सोलापुर में कहीं। उन्होंने आगे कहा कि
मुझ पर गलत जांच करने का दबाव भी बनाया गया था, जिसका मैंने विरोध किया था। उन्होंने
कहा कि
मेरे खिलाफ कई झूठे केस भी दायर किए गए, लेकिन मैं खुशकिस्मत था कि मैं सभी
मामलों से बरी हो गया था। मुजावर ने एक सीनियर अधिकारी का नाम लेते हुए कहा कि इस
फैसले ने एक फर्जी अधिकारी द्वारा की गई फर्जी जांच को उजागर कर दिया है। रिटायर्ड
पुलिस अधिकारी ने कहा कि वह 29 सितंबर 2008 को मालेगांव में हुए विस्फोट की
जांच करने वाली एटीएस टीम का हिस्सा थे, जिसमें छह लोग मारे गए थे और 101 अन्य
घायल हो गए थे। उन्होंने दावा किया कि उन्हें मोहन भागवत को गिरफ्तार करने
के लिए कहा गया था। जस्टिस लोहाटी ने गुरुवार को 2008 मालेगांव ब्लास्ट केस में फैसला
सुनाया था।
फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने कहा कि आरोपियों के खिलाफ पुख्ता सबूत और
गवाह नहीं मिले हैं. सिर्फ नैरेटिव के आधार पर हम किसी को भी दोषी नहीं करार दे
सकते। केस की सुनवाई करते हुए जस्टिस लोहाटी ने कहा कि अभियोजन पक्ष विश्वसनीय
गवाह नहीं पेश कर पाया है। उन्होंने कहा कि आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता। इस वजह
से सभी सातों आरोपियों को बरी किया जाता है। 2008 के मालेगांव विस्फोट मामले में
एनआईए की स्पेशल कोर्ट ने गुरुवार को सभी सात आरोपियों को बरी कर दिया था।
राहगीरों/भिखारियों के शुक्राणुओं से करवाती थी बच्चे पैदा डॉक्टर अथलुरी नम्रता
हैदराबाद के
सिकंदराबाद में स्थित सृष्टि टेस्ट ट्यूब बेबी सेंटर के खिलाफ पुलिस की बड़ी कार्रवाई सामने आई है। पुलिस ने इस सेंटर की संचालक और मुख्य आरोपी
डॉक्टर अथलुरी नम्रता (64), सरकारी डॉक्टर नरगुला सदानंदम (41)और दलालों सहित आठ लोगों को गिरफ्तार कर लिया। हाल ही में हुई रेड में हैदराबाद टास्क फोर्स को
टेस्ट ट्यूब बेबी सेंटर पर कई अनियमितताएं मिली हैं। सेंटर पर अवैध सरोगेसी और बच्चों की खरीद-ब्रिकी
का पता चला है। ये लोग सरोगेसी की आड़ में ऐसे लोगों को बच्चे मुहैया
कराता था,जिन्हें
किसी कारण बच्चे पैदा नहीं हुआ करते थे। यह गिरोह इन लोगों से लाखों रुपए की वसूली के बाद
उन्हें किसी गरीब की बच्चा खरीदकर
दे दिया
करता था। जांच में सामने आया
है कि ये गिरोह भिखारियों को शुक्राणु दान के बदले हजारों रुपए दिया करता था। यह गिरोह ऐसे कपल्स को टारगेट बनाता था,
जिन्हें किसी कारणवश बच्चा पैदा करने में
परेशानियां होती थी। उन्हें स्पर्म और
एग देकर सरोगेसी के जरिए अपना बच्चा पैदा करने की बात कहीं जाती थी। इसके बदले उनसे फीस के बदले लाखों रुपए भी लिए
जाते थे। ऐसे ही एक मामले
में डॉक्टर अथलुरी नम्रता ने राजस्थान के एक कपल से 35 लाख रुपए लेकर सरोगेसी के जरिए बच्चा पैदा करने
की बात बताई थी।
कुछ महीनों बाद उन्हें एक नवजात बच्चा दे दिया
गया। बच्चा लगातार बीमार रहने लगा। इस दौरान उन्हें एक डॉक्टर ने बच्चा का डीएनए
टेस्ट कराने की सलाह दी, जब बच्चे की डीएनए रिपोर्ट सामने आई तो वह हैरान
रह गए। उन्होंने पाया कि स्पर्म और एग देने के बाद
बावजूद ये बच्चा उनका नहीं था। ये
बच्चा एक मजदूर कपल का था, जिन्होंने पैसों के लिए अपना बच्चा बेचा था। कपल को पता चल गया कि उनके
साथ धोखाधड़ी हुई है। इसके बाद कपल ने
सिंकदराबाद के गोपालपुरम थाने में आरोपी डॉक्टर अथलुरी नम्रता और उनके सेंटर के
खिलाफ शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने मामले में
कार्रवाई करते हुए डॉक्टर नम्रता सहित 8 लोगों को अरेस्ट किया है।
जांच में सामने आया कि ये लोग अवैध तरीके से
ट्यूब बेबी सेंटर चला रहे थे। सेंटर
का लाइसेंस 2021 में
रद्द कर दिया था। डॉक्टर नम्रता के
खिलाफ पूर्व में भी प्रदेश के कई दिनों में 10 मामले में दर्ज हैं। पुलिस सूत्रों के अनुसार, इस गिरोह के लोग अहमदाबाद के एक प्रजनन केंद्र से
जुड़े माने जा रहे हैं। इस क्लिनिक ने कथित
तौर पर राहगीरों और भिखारियों को भर्ती कर शुक्राणु दान के बदले 4,000
रुपये तक दिए।
कबूतरों को दाना डालने पर होगी FIR…बॉम्बे हाईकोर्ट का आदेश
जस्टिस जी.एस.कुलकर्णी
और जस्टिस आरिफ डॉक्टर की पीठ ने पशु प्रेमियों के एक समूह की तरफ से दायर की गई
याचिका पर फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने कहा कि यह मुद्दा जनस्वास्थ्य से जुड़ा है और
सभी उम्र के लोगों के स्वास्थ्य के लिए गंभीर व संभावित खतरा है। कोर्ट ने इस
महीने की शुरुआत में बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) को महानगर में किसी भी
पुराने कबूतरखाने (कबूतरों को दाना डालने के स्थान) को गिराने से रोक दिया था,
लेकिन कहा था कि वह इन पक्षियों के लिए
दाना डालने की अनुमति नहीं दे सकती है। बॉम्बे हाईकोर्ट ने सार्वजनिक स्थानों पर
कबूतरों को दाना डालने पर रोक लगा दी है। अदालत ने इस फैसले को लेकर कहा कि ऐसा
करने से सार्वजनिक परेशानी और जन स्वास्थ्य के लिए खतरा बना रहता है। इसके साथ ही
कोर्ट ने नगर निगम को आदेश दिया कि जो लोग सार्वजनिक जगहों पर दाना डालते हैं,
उनके खिलाफ केस दर्ज किया जाए। कोर्ट ने
कहा कि कबूतरों के झुंड को दाना डालना सार्वजनिक परेशानी उत्पन्न करने वाला काम है।
इससे लोगों के स्वास्थ्य को भी खतरा है। ऐसा करने से लोगों को कई अन्य तरह की
बीमारियों का सामना भी करना पड़ता है। अदालत ने फैसला सुनाते हुए कहा कि मुंबई नगर
निगम को ऐसी गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश
दिया।
राजनीति हलचल रमी खेलते मंत्री माणिकराव कोकाटे आउट धनंजय मुंडे हो सकते है इन...
बीते दिनों महाराष्ट्र विधानसभा
में मोबाइल पर ऑनलाइन रमी खेलते देखे जाने के बाद कृषि मंत्री माणिकराव कोकाटे से
कृषि विभाग से हटाए जाने की अटकलें तेज हों गई है। कोकाटे कृषि
मंत्रालय से हटाया जा रहा है तो उनके
विभाग की जिम्मेदारी किसे दी जाएगी? यह सवाल उठना लाजमी है। इस बीच,
पूर्व कृषि मंत्री धनंजय मुंडे फिर से
सक्रिय हो गए हैं। धनंजय मुंडे ने
कृषि मंत्री का पद वापस पाने के लिए पैरवी शुरू कर दी है। उन्होंने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से
मुलाकात की है। सूत्रों के अनुसार
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, उपमुख्यमंत्री अजित पवार और राष्ट्रवादी पार्टी
के सांसद व वरिष्ठ नेता सुनील तटकरे के बीच एक अहम बैठक हुई। बताया जा रहा है कि इस बैठक में कोकाटे से कृषि
विभाग हटाने पर सहमति बनी है। इस संबंध
में जल्द ही फैसला लिया जाएगा। दरअसल,आरोप
लगे थे
कि मुंडे के कृषि मंत्री रहते हुए उस विभाग में वित्तीय अनियमितताएं हुई
थीं। बॉम्बे हाईकोर्ट ने इन आरोपों को क्लीन चिट दे दी
थी। उसके बाद मुंडे एक बार फिर कृषि विभाग वापस पाने की कोशिश
कर रहे हैं। 30 जुलाई
की रात को धनंजय मुंडे ने देवेंद्र फडणवीस से मुलाकात की। दोनों नेताओं के बीच लगभग आधे घंटे तक चर्चा हुई। सीएम फडणवीस ने बताया था कि वह मुंडे के निर्वाचन
क्षेत्र में विभिन्न कार्यों के सिलसिले में आए थे। उसके बाद मुंडे और फडणवीस आज फिर मिले। आज की बैठक में अजित पवार भी मौजूद थे। इस प्रकार 30 जुलाई से अब तक फडणवीस और मुंडे कुल दो बार मिल
चुके हैं,तो अब वास्तव में क्या
होगा? इस पर
सभी की नजर है। कृषि विभाग में
अनियमितताओं को लेकर क्लीन चिट मिलने के बाद अजित पवार ने मुंडे के मंत्री पद को
लेकर बयान दिया था। मुंडे को एक मामले
में क्लीन चिट मिल चुकी है। उन पर
एक और मामले में आरोप हैं,अगर
उन्हें उस मामले में भी क्लीन चिट मिल जाती है, तो हम उन्हें फिर से मंत्री पद देने पर विचार
करेंगे।
बीजेपी नित MP सरकार पंजीकृत बेरोजगार 25 लाख पार
मध्य प्रदेश राज्य
सरकार के रोजगार पोर्टल पर अब तक कुल 25,68,321 युवा बेरोजगार के रूप में पंजीकृत हो चुके हैं। इनमें 13.91 लाख पुरुष और 11.76 लाख महिलाएं हैं। सबसे ज्यादा बेरोजगार ओबीसी वर्ग अन्य पिछड़ा
वर्ग के है। इनकी संख्या 10
लाख के पार है। जो कुल संख्या का लगभग 40% से ज्यादा है। इनमें 5.73 लाख पुरुष और 4.72 लाख महिलाएं शामिल हैं। सरकारी आंकड़ों के अनुसार,
10.46 लाख से ज्यादा ओबीसी
युवा रोजगार की तलाश में हैं। इनमें
से 5.73 लाख पुरुष और 4.72
लाख महिलाएं शामिल हैं। यह संख्या अन्य सभी सामाजिक वर्गों से अधिक है,
जो स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि सामाजिक
रूप से पिछड़े वर्गों को रोजगार के अवसर
सबसे कम मिल पा रहे हैं। जिलों की बात करें तो सागर जिला सबसे अधिक
बेरोजगारी से प्रभावित है, जहां 95,835 युवा नौकरी की तलाश में हैं। इसके बाद भोपाल-95,587, ग्वालियर-94,159,रीवा-89,326 और सीधी-86,737 का स्थान है। हैरानी की बात यह है कि भोपाल और जबलपुर जैसे
विकसित शहरों में भी बेरोजगारी की स्थिति चिंताजनक बनी हुई है। दूसरी ओर, पांढुर्णा जिले में बेरोजगारी का स्तर सबसे कम है,
जहां केवल 2,852 युवाओं ने रोजगार के लिए पंजीकरण कराया है।
इंदौर और उज्जैन जैसे औद्योगिक रूप से सक्रिय
जिले बेरोजगारी के शीर्ष 10 जिलों में शामिल नहीं हैं। यह संकेत करता है कि राज्य का औद्योगिक विकास अब
भी सीमित क्षेत्रों तक केंद्रित है और इसका लाभ व्यापक रूप से नहीं मिल पा रहा है। राज्य सरकार के अनुसार, बीते सात महीनों में बेरोजगारी दर में 0.56%
की कमी दर्ज की गई है। राज्यमंत्री गौतम टेटवाल के मुताबिक
इस अवधि में करीब 48,624
युवा या तो रोजगार पा चुके हैं या फिर
राज्य के रोजगार पोर्टल से हट चुके हैं।
ऑस्ट्रेलिया ने लगाया 16 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए यूट्यूब अकाउंट बनाने पर प्रतिबंध…
ऑस्ट्रेलिया में
पहले से ही टिकटॉक, स्नैपचैट, इंस्टाग्राम, फेसबुक और एक्स (ट्विटर) पर बैन लगा हुआ है। युवाओं
और बच्चों के बीच इंस्टाग्राम, फेसबुक और यूट्यूब जैसे प्लेटफॉर्म्स काफी पॉपुलर हैं,
लेकिन अब ऑस्ट्रेलिया ने दिसंबर से 16
साल से कम उम्र के बच्चों के लिए यूट्यूब
अकाउंट बनाने पर प्रतिबंध लगाने का बड़ा फैसला लिया है। अब ई-सेफ्टी कमिश्नर की
सिफारिशों के बाद यूट्यूब को भी इस लिस्ट में शामिल कर लिया गया है। अधिकारियों
का तर्क है कि यूट्यूब, मुख्य रूप से एक वीडियो प्लेटफ़ॉर्म होने के
बावजूद, बच्चों
को
पारंपरिक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म की तरह ही हानिकारक सामग्री और जोखिमों के
संपर्क में लाता है। यूरोन्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक, ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री Anthony
Albanese ने जोर देकर कहा कि
सरकार डिजिटल युग में बच्चों की सुरक्षा और मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता दे रही
है। हम जानते हैं कि सोशल मीडिया नुकसान पहुंचा रहा है,मेरी सरकार युवा ऑस्ट्रेलियाई लोगों की सुरक्षा
के लिए कदम उठाने को तैयार है। ई-सेफ्टी कमिश्नर के अनुसार,
10-15 साल के चार में से
तीन ऑस्ट्रेलियाई बच्चे नियमित रूप से यूट्यूब का इस्तेमाल करते हैं, जिससे यह टिकटॉक और इंस्टाग्राम
से भी ज्यादा पॉपुलर हो गया है।
चिंताजनक
बात यह है कि 37 फीसदी
बच्चों ने बताया कि उन्हें यूट्यूब पर हानिकारक ऑनलाइन सामग्री का सामना करना पड़ा। कमिश्नर
ने निष्कर्ष निकाला कि यूट्यूब को छूट प्रदान करना नाबालिगों की सुरक्षा के
लक्ष्य के अनुरूप नहीं था,जिसके कारण इसे प्रतिबंध में शामिल कर लिया गया। 16
साल से कम उम्र के बच्चे बिना अकाउंट के
भी वीडियो देख सकेंगे, लेकिन उन्हें कमेंट, कंटेंट क्रिएट करने वाले फीचर्स या पर्सनलाइज्ड
रिक्मेंडेशन का एक्सेस नहीं मिलेगा।
लोकतंत्र की नींव को कमजोर कर सकता है राजनीतिक दल-बदल…सुप्रीम कोर्ट ने चेताया
सुप्रीम कोर्ट
ने राजनीतिक दल-बदल को लेकर बड़ी टिप्पणी करते हुए कहा,अगर समय रहते इसे नहीं रोका
गया तो यह लोकतंत्र की नींव को कमजोर कर सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने संसद में दिए
गए कई नेताओं के भाषणों का हवाला भी दिया। कोर्ट ने राजेश पायलट,देवेन्द्रनाथ मुंशी जैसे सांसदों के
भाषणों का जिक्र करते हुए कहा कि विधायक/सांसद की अयोग्यता तय करने का अधिकार
स्पीकर को इसलिए दिया गया ताकि अदालतों में समय बर्बाद न हो और मामला जल्दी सुलझे।
राजनीतिक दलबदल राष्ट्रीय चर्चा का विषय रहा है,अगर इसे रोका नहीं गया तो यह
लोकतंत्र को बाधित करने की शक्ति रखता है। हमने संसद में दिए गए विभिन्न भाषणों का
हवाला दिया है। जैसे श्री राजेश पायलट, देवेंद्र नाथ मुंशी। हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि अयोग्यता
की कार्यवाही का निर्णय स्पीकर द्वारा करना अदालतों में होने वाली देरी से बचने के
लिए था। इसलिए कार्यवाही के शीघ्र निपटारे के लिए यह कार्य स्पीकर को सौंपा गया था।
यह तर्क दिया गया कि चूंकि मामला एक बड़ी पीठ के समक्ष लंबित है,
इसलिए हम इस मामले
का निर्णय नहीं कर सकते। हमने कि होतो होलोहन फैसले का भी हवाला दिया है,
जहां अनुच्छेद 136
और अनुच्छेद 226
व 227
के संबंध में
न्यायिक समीक्षा की शक्तियां बहुत सीमित हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमारे सामने ये
भी दलील दी गई कि आर्टिकल 136 और 226/227
के तहत स्पीकर के
फैसलों पर न्यायिक समीक्षा की गुंजाइश बहुत सीमित है। ये भी कहा गया कि चूंकि
मामला बड़ी बेंच के सामने लंबित है तो इस पर सुनवाई नहीं हो सकती है। इन दस BRS
विधायकों ने
कांग्रेस जॉइन कर लिया था लेकिन स्पीकर ने इनकी अयोग्ता पर लंबे समय तक कोई फैसला
नहीं लिया। जस्टिस गवई ने कहा कि स्पीकर ने सात महीने बाद नोटिस जारी किया जब इस
अदालत ने इस मामले में नोटिस भेजा। संसद का ये काम स्पीकर को सौंपने की मंशा ये थी
कि अदालतों में टालमटोल की स्थिति से बचा जा सके।
गौतम बुद्ध से जुड़े अवशेष [हड्डियों के टुकड़े,क्रिस्टल के पात्र,सोने के आभूषण] भारत लाए गए…..
उत्तर प्रदेश
के सिद्धार्थनगर जिले के पिपरहवा नामक जगह पर एक स्तूप की खुदाई के दौरान 1898
में गौतम बुद्ध से
जुड़े कुछ अवशेष मिले थे। इन अवशेषों को विलियम क्लॉक्सटन पेप्पे नाम का एक
अंग्रेज अधिकार अपने साथ ब्रिटेन लेकर चला गया था। ये अवशेष उसके निजी संग्रह में
शामिल थे,लेकिन इस साल इनकी हांगकांग में नीलामी की सूचना मिली। इस पर भारत सरकार
सक्रिय हुई और नीलामी रुकवा कर इन्हें भारत लाई। इन अवशेषों के भारत लाए जाने पर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रसन्नता जताई है। उन्होंने इसे देश की समृद्ध
सांस्कृतिक विरासत के लिए गर्व का क्षण बताया है।अंग्रेज अधिकारी विलियम क्लॉक्सटन
पेप्पे ने 1898 में उत्तर प्रदेश में आज के
सिद्धार्थनगर
जिले के पिपरहवा में स्थित स्तूप की खुदाई करवाई थी। वहां हड्डियों के टुकड़े,
क्रिस्टल के पात्र,
सोने के आभूषण और
अन्य समर्पित किया गया सामान मिला था। ये सामान बौद्ध परंपरा के मुताबिक स्तूप में
रखे गए थे। ब्राह्मी लिपि के शिलालेख से पता चला कि ये अवशेष शाक्य वंश की ओर से
भगवान बुद्ध को समर्पित किए गए थे। शाक्य परिवार गौतम बुद्ध का ही परिवार था। अंग्रेज अधिकारी ने 1899 में अधिकांश अवशेष कोलकाता के इंडियन म्यूजियम को
सौंप दिए गए थे,लेकिन उसका कुछ हिस्सा पेप्पे परिवार के पास ही रह गया। ये सामान
उसके निजी संग्रह का हिस्सा थे,लेकिन 2025
में
ये गौतम बुद्ध को समर्पित किए गए ये सामान हांगकांग में नीलामी करने वाली संस्था
सदबीज की नीलामी में सामने आए। इस पर भारत
सरकार सतर्क हुई। ये सामान भारत के कानून के अनुसार एए श्रेणी की प्राचीन धरोहर हैं। उन्हें बेचना या भारत से बाहर ले जाना गैरकानूनी
है। संस्कृति मंत्रालय ने तुरंत हस्तक्षेप करते हुए कूटनीतिक और कानूनी प्रयासों
से नीलामी को रुकवाया और अवशेषों को सुरक्षित भारत वापस लाया गया।
नए PAN 2.0 और पुराना PAN कार्ड में क्या अंतर है?
सरकार ने
बताया कि 2017 से जारी हो रहे PAN कार्ड में QR कोड होता है,लेकिन PAN
2.0 के तहत जो
कार्ड बनेंगे उनमें यह QR कोड पहले से ज्यादा एडवांस और डाइनैमिक
होगा यानी यह रियल टाइम में डेटाबेस से अपडेटेड जानकारी दिखाएगा। इस नए QR
कोड से PAN
की वैलिडिटी चेक
करना और कार्ड होल्डर की पहचान पक्की करना आसान होगा। इसे स्कैन करने पर कार्ड
होल्डर का फोटो,सिग्नेचर, नाम, माता-पिता का नाम और जन्मतिथि जैसी
जानकारियां दिखेंगी। अगर आपके पास पुराना PAN कार्ड है,तो घबराने की जरूरत नहीं,सरकार ने साफ कहा
है कि सभी मौजूदा PAN कार्ड PAN
2.0 के तहत भी
वैलिड रहेंगे। किसी को भी नया कार्ड लेने
की जरूरत नहीं है,अगर आपके पास 2017 से पहले का PAN कार्ड है जिसमें QR कोड नहीं है, तो आप जरूरत समझें तो नया QR कोड वाला PAN कार्ड बनवा भी सकते हैं। PAN 2.0 लागू होने के बाद मोबाइल नंबर, ईमेल, एड्रेस, नाम या जन्मतिथि जैसी जानकारी में करेक्शन फ्री में किया जा सकेगा। फिलहाल आधार के ज़रिए मोबाइल, ईमेल और एड्रेस अपडेट करने की सुविधा पहले से मौजूद है।