आयुष्मान कार्ड वालों का इलाज करने से अस्पताल में मना किया हरियाणा आईएमए ने….
इंडियन मेडिकल
एसोसिएशन [IMA]
की हरियाणा इकाई ने हरियाणा सरकार के साथ
बातचीत विफल होने और केंद्र सरकार और हरियाणा सरकार के पास करीब 490
करोड़ रुपए बकाया होने की बात कहते हुए बीती
रात 12 बजे से
आयुष्मान कार्ड धारकों के इलाज के लिए किए गए अनुबंध को सस्पेंड कर दिया है। अस्पतालों
के पेंडिंग बिल के चलते यह निर्णय लिया गया है। जिसके तहत हरियाणा में आयुष्मान
कार्ड वालों का इलाज अस्पताल अब नहीं करेंगे। IMA का कहना है कि जब तक सरकार की ओर से पिछला बकाया
क्लियर करने को लेकर कोई ठोस फैसला नहीं लिया जाता तब तक आयुष्मान कार्ड धारकों का
इलाज प्राइवेट अस्पताल नहीं करेंगे। IMA के
फैसले के तहत अब प्रदेश के 600 से ज्यादा और गुरुग्राम के लगभग 40
छोटे-बड़े प्राइवेट अस्पतालों में
आयुष्मान
कार्ड धारकों को अब मुफ्त या रियायती इलाज नहीं मिल पाएगा। इसके लिए IMA ने दिशा निर्देश भी जारी किए। IMA
ने इसको लेकर एक प्रेस रिलीज जारी करते
हुए जानकारी देते हुए उन्होंने
कहा, बुधवार को टीम IMA हरियाणा की एक ऑनलाइन बैठक ACS स्वास्थ्य सुधीर राजपाल और आयुष्मान भारत
हरियाणा हेल्थ अथॉरिटी के पदाधिकारियों के साथ हुई। IMA की ओर से, इसमें अध्यक्ष डॉ एमपी जैन,
IPP डॉ अजय महाजन, निर्वाचित अध्यक्ष डॉ सुनीला सोनी,
सचिव डॉ धीरेंद्र के सोनी और आयुष्मान
समिति के अध्यक्ष डॉ सुरेश अरोड़ा शामिल हुए।
उन्होंने हमें बताया कि उन्हें
मंगलवार को 245 करोड़
रुपये मिले हैं,जिनमें
से 175 करोड़ इस तिमाही के
बजट के रूप में हरियाणा सरकार और 70 करोड़ केंद्र सरकार के हिस्से के हैं। उन्होंने
इसे मंगलवार से FIFO मोड पर वितरित करना शुरू कर दिया है। उन्होंने बताया की इस समय
प्राइवेट अस्पतालों का लगभग 490 करोड़ बकाया है। जब हमने इस धनराशि को अपर्याप्त
बताया तो उन्होंने कहा कि वे 22 अगस्त को हरियाणा विधानसभा के मानसून सत्र में
अनुपूरक बजट की मांग रखेंगे। साथ ही कहा गया कि वो यह नहीं बता पाए कि वो कितना
बजट मांगेंगे या प्राप्त करेंगे। प्रेस रिलीज में आगे कहा गया कि हमने MOU
की याद दिलाते हुए उन्हें देरी से भुगतान
पर अनुबंध के अनुसार ब्याज देने की मांग की,लेकिन उन्होंने फिर दोहराया कि दंडात्मक
ब्याज नहीं दिया जा सकता।
इस सब बातचीत के बाद IMA हरियाणा ने सभी अनुबंधित अस्पतालों के साथ इ
ऑनलाइन मीटिंग की। व्यापक बातचीत के बाद सभी ने निर्णय लिया कि बुधवार रात मध्यरात्रि
से आयुष्मान सेवायों को स्थगित कर दिया जाए। हरियाणा में बहुत ही लंबे समय से
आयुष्मान योजना के तहत जिन प्राइवेट अस्पतालों में लोगों का इलाज किया गया है,
उसकी राशि अभी भी बाकी है,
जो सरकार की तरफ से भुगतान नहीं किया गया
है। हरियाणा में चलाई जा रही आयुष्मान भारत योजना को लेकर लोकसभा में भी 1
अगस्त को सवाल पूछा गया। जिस पर स्कीम को
लेकर कई जानकारियां सामने आई। इसमें बताया गया कि प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (AB-PMJAY)
को पूरी तरह से सरकार फंड करती है। इसकी
लागत केंद्र और राज्य सरकारों के बीच वित्त मंत्रालय द्वारा समय-समय पर जारी
मौजूदा निर्देशों के अनुसार अनुपात में साझा की जाती है। यह 60:40
के हिसाब से शेयर की जाती है। [साभार]
“वोटों की चोरी” महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 में राहुल गांधी ने दिए सबूत....
कांग्रेस सांसद
व लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी
ने कहा कि हमारे संविधान की नींव इस तथ्य पर आधारित है कि एक व्यक्ति का एक वोट
होता है।
उन्होंने कहा, जब
हम चुनावों को देखते हैं, तो मूल बात यह है कि एक व्यक्ति, एक वोट के विचार को कैसे सुरक्षित किया
जाए।
क्या सही लोगों को वोट देने की अनुमति है? क्या फर्जी लोगों को जोड़ा जा
रहा है? मतदाता
सूची सही है या नहीं? राहुल गांधी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में सबूत पेश करते
हुए कहा कि हजारों मतदाताओं के फर्जी पते
दिए गए। उन्होंने कहा, ये ज्यादातर तीन तरह के होते हैं या तो ऐसा पता जो होता ही नहीं,आप उसे ढूंढने
जाते हैं, तो
वह वहां होता ही नहीं, या पता 0 होता है, मकान नंबर 0, गली नंबर
0 या फिर पता सत्यापित नहीं हो पाता। ऐसे 40,000 मतदाता
हैं। बूथ नंबर 366 पर 46 मतदाता सभी अलग-अलग परिवारों से हैं और एक ही बेडरूम
वाले घर में रहते हैं और जब हम वहां जाते हैं, तो वे वहां होते ही नहीं,तो यह एक ही बेडरूम वाला घर
है, 46 मतदाता
वहां रहते हैं, उनके होने का कोई संकेत नहीं। राहुल गांधी ने कहा, यहां
एक डुप्लीकेट मतदाता है। इस तरह के 11,965 मतदाता हैं। यह गुरकीरत सिंह डांग नाम के सज्जन हैं।
गुरकीरत सिंह डांग निर्वाचन क्षेत्र के चार अलग-अलग मतदान केंद्रों पर एक बार, दो
बार, तीन
बार, चार
बार दिखाई देते हैं।
एक ही नाम, एक ही पता, अलग-अलग मतदान केंद्रों के लिए एक ही व्यक्ति। यह
सिर्फ एक व्यक्ति नहीं है यह एक विधानसभा क्षेत्र के हजारों लोग हैं। राहुल
गांधी ने 2024 के लोकसभा चुनावों में भी धांधली का आरोप लगाया। उन्होंने
कर्नाटक के एक लोकसभा क्षेत्र के आंकड़ों के विश्लेषण के आधार पर कहा कि चुनाव
आयोग भाजपा के साथ मिलकर चुनावों में धांधली कर
रहा है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने एक टीम बनाई और छह महीने में वोट चोरी के ठोस
सबूत इकट्ठा किए। उन्होंने कहा कि अगर चुनाव आयोग हमें पिछले 10-15 वर्षों
का मशीन-पठनीय डेटा और सीसीटीवी फुटेज नहीं देता है, तो
वे अपराध में भागीदार हैं। पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा,न्यायपालिका
को इस मामले में संज्ञान लेने की जरूरत है क्योंकि जिस लोकतंत्र से हम इतना प्यार
करते हैं, वह
मौजूद नहीं है। उन्होंने दावा किया कि इस निर्वाचन क्षेत्र में 1,00,250 वोटों
की वोट चोरी हुई है,
जिसमें एक विधानसभा क्षेत्र में 11,965 नकली मतदाता, 40,009 मतदाता
फर्जी और अमान्य पते वाले, 10,452 मतदाता बल्क या एकल पते वाले, 4,132 मतदाता
अमान्य तस्वीरों वाले और 33,692 मतदाता नए मतदाताओं के फॉर्म 6 का
दुरुपयोग कर रहे हैं। राहुल गांधी ने कहा कि ऐसा पूरे देश में हो रहा है। यह भारतीय
संविधान और भारतीय ध्वज के विरुद्ध अपराध है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस चुनाव आयोग
को याद दिलाना चाहेगी कि आपका काम भारतीय लोकतंत्र को नष्ट करना नहीं है। आपका काम
इसे बचाने का है। उन्होंने कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी मामूली बहुमत वाले
प्रधानमंत्री हैं और सत्ता में बने रहने के लिए उन्हें केवल25 सीटें
चुराने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि भाजपा ने लोकसभा चुनाव में 33,000 से
भी कम वोटों से 25 सीटें जीतीं।
दिल्ली में कांग्रेस मुख्यालय में एक
प्रेस कॉन्फ्रेंस में राहुल गांधी ने कहा कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 में
वोटों की चोरी की गई। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में 5 महीनों
में 5 साल
से ज्यादा मतदाताओं के वोटर लिस्ट में जोड़ने से हमारा संदेह बढ़ा और फिर शाम 5 बजे
के बाद मतदान में भारी उछाल आया। विधानसभा चुनाव में हमारा गठबंधन साफ हो गया, जबकि
लोकसभा में हमारा गठबंधन पूरी तरह से हावी था, जो बहुत ही संदिग्ध है। हमने पाया कि लोकसभा और
विधानसभा के बीच एक करोड़ नए मतदाता जोड़े गए।
NRC दरअसल SIR के जरिए ही हो रहा है ममता बनर्जी ने कही बात....
पश्चिम बंगाल की
मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी ने कहा कि बिहार में SIR प्रक्रिया के दौरान कहा गया था कि 2004
के बाद जन्मे लोगों को अपने माता-पिता का
जन्म प्रमाण पत्र दिखाना होगा, लेकिन क्या यह संभव है कि सभी के पास यह प्रमाण
पत्र हो? ममता
बनर्जी ने गुरुवार को चुनाव आयोग और केंद्र की भाजपा सरकार पर जमकर निशाना साधते हुए,बीरभूम में आदिवासी
दिवस कार्यक्रम के अवसर पर बनर्जी ने कहा कि NRC दरअसल SIR के जरिए
ही हो रहा है। उन्होंने कहा,बिना जानकारी के कोई भी फॉर्म नहीं भरेगा। उनके पास कुछ और ही
योजना है। मुझे नहीं पता कि मुझे यह कहना चाहिए या नहीं, लेकिन नाम हटाने की फिर से
साजिश चल रही है। ममता बनर्जी ने कहा
कि जब वह सत्ता में आईं थीं, तब केवल 60 प्रतिशत लोगों के पास ही जन्म प्रमाण पत्र थे। इसलिए मुख्यमंत्री
ने सवाल उठाया कि क्या 2004 के बाद जन्मे लोगों के पास अपने माता-पिता का
प्रमाण पत्र होना संभव है। उन्होंने कहा,हम भी घर-घर जाकर डिलीवरी करते हैं,
हमारे पास सिर्फ स्कूल के प्रमाण पत्र हैं। क्या उनके पास
प्रमाण पत्र हैं? क्या वकालत करने वालों के पास हैं? वे तो सोने का चम्मच लेकर पैदा हुए हैं,
वे मेहनत करने वालों को कैसे समझ सकते हैं। ममता बनर्जी ने
सरकारी अधिकारियों को निलंबित करने की सिफारिश पर फिर सवाल उठाए। उन्होंने उस कानून
का जिक्र किया जिसके तहत चुनाव शुरू होने से पहले यह फैसला लिया गया था।
सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से मांगा ब्योरा वोटर लिस्ट से बाहर 65 लाख मतदाताओं का....
पीठ ने चुनाव आयोग के वकील से कहा कि वे हटाए गए
मतदाताओं का ब्योरा पेश करें, जो डेटा पहले ही राजनीतिक दलों के साथ साझा किया जा चुका है, और
इसकी एक कॉपी एनजीओ एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स को दें, जिसका
प्रतिनिधित्व अधिवक्ता प्रशांत भूषण कर रहे थे। पीठ ने भूषण से कहा कि नाम हटाने
का कारण बाद में पता चलेगा, क्योंकि चुनाव आयोग ने अभी केवल एक
मसौदा सूची प्रकाशित की है। पीठ ने भूषण से
यह भी कहा कि वह चुनाव आयोग के 24 जून के आदेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर 12 अगस्त
से सुनवाई शुरू कर रही है और एनजीओ उस दिन अपनी दलीलें दे सकता है। भूषण ने तर्क
दिया कि कुछ राजनीतिक दलों को हटाए गए मतदाताओं की सूची दी गई है, लेकिन
चुनाव आयोग ने यह स्पष्ट नहीं किया है कि सूची से बाहर किए गए मतदाता मर चुके हैं
या दूसरे राज्य में शिफ्त हो गए हैं। पीठ ने भारत निर्वाचन आयोग का प्रतिनिधित्व
कर रहे वकील से कहा,आप (ECI) शनिवार
तक जवाब दाखिल करें और भूषण को इसे देखने दें और फिर हम देख सकते हैं कि क्या
खुलासा किया गया है और क्या खुलासा नहीं किया गया है।
बिल प्राइवेट स्कूल चलाने वाले माफियाओं को संरक्षण देता है.... नेता विपक्ष
आम आदमी पार्टी व दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री व
नेता विपक्ष आतिशी ने बुधवार को दिल्ली
सरकार
पर निशाना साधते हुए उन्होंने आरोप लगाया कि दिल्ली विधानसभा में
स्कूल फी रेगुलेशन बिल स्कूल मालिकों के फायदे के लिए बनाया गया है। साथ ही उन्होंने बिल में संशोधनों की मांग भी की।
आतिशी ने कहा,बुराड़ी
विधायक ने मांग की है कि इस बिल को सेलेक्ट कमेटी में भेजा जाए, ताकि
अभिभावकों की आवाज भी दिल्ली विधानसभा तक पहुंचे। बिल में खामी है कि जो कमेटी फीस
निर्धारण कर रही है, उसकी अध्यक्षता मैनेजमेंट के सदस्य ही कर रहे हैं। दूसरा इस कमेटी में मात्र
पांच माता-पिता हैं, जिन्हें पर्ची के माध्यम से चुना जाएगा। इसलिए हमने बिल के सेक्शन 4 में
अमेंडमेंट मूव किया है कि कमेटी में पेरेंट्स मेंबर 10 हों
और वह पेरेंट्स की जनरल बॉडी इलेक्शन से चुने जाएं। उन्होंने
कहा, स्कूलों
की बढ़ती फीस पर लगाम लगाई जाए, लेकिन भाजपा ने ऐसा नहीं किया। आप विधायक दल की तरफ से यह कहा गया है कि जो 2024-2025 की
फीस थी, स्कूल
उससे ज्यादा कोई फीस नहीं ले सकता जब तक स्कूल के सारे अकाउंट्स ऑडिट न हों। इसके
अलावा स्कूल की रेगुलेशन कमेटी में स्कूल के पिछले साल के सारे खाते ऑडिट किए
जाएंगे। जो ऑडिटेड अकाउंट्स हैं उन्हें अभिभावकों को भेजे जाएंगे और उनके फीडबैक
के 15 दिन
देने होंगे, जिसके
बाद ही कमेटी फैसला लेगी। भाजपा नहीं चाहती की स्कूल के खाते ऑडिट हो। आतिशी ने
आगे कहा, बिल
में माता-पिता के शिकायत करने के हक भी छीना गया है।
बिल में लिखा है कि माता-पिता
तभी शिकायत कर सकते हैं,जब 15 प्रतिशत
अभिभावक उस शिकायत पर साइन करें। हमने यह संशोधन की मांग की है अगर 15 अभिभावक
भी शिकायत करें तो शिकायत को सुनना अनिवार्य होगा। एक और हक जो माता-पिता का छीना
गया है वह यह कोर्ट जाने का अधिकार। बिल में लिखा है कि अगर कोई कमेटी फैसला लेगी
तो उसे कोर्ट ले जाने का अधिकार नहीं होगा। हम अमेंडमेट चाहते हैं कि अगर कोई
अभिभावक कमेटी के फैसले से नाखुश हो तो उसे कोर्ट जाने का अधिकार हो। वहीं विधायक
संजीव झा ने कहा कि यह बिल प्राइवेट स्कूल चलाने वाले माफियाओं को संरक्षण देता है।
वे कोर्ट के रिव्यू खत्म कर रहे हैं।
इसलिए हमने बिल सेलेक्ट कमेटी में भेजने की मांग की है।
न्यायपालिका में भी राजनीतिक घुसपैठ,अधिवक्ता आरती साठे जज नियुक्त पर विपक्ष आक्रामक
NCP (शप) विधायक रोहित पवार ने साठे की नियुक्ति पर
सवाल उठाते हुए कहा कि न्यायपालिका स्वतंत्र और निष्पक्ष होनी चाहिए। उन्होंने
एक्स पर एक स्क्रीनशॉट भी पोस्ट किया जिसमें उन्होंने बताया गया कि साठे बीजेपी से
जुडी हैं और पार्टी की प्रवक्ता हैं। पवार ने कहा कि सार्वजनिक मंच से सत्तारूढ़
दल की वकालत करने वाले व्यक्ति की जज के रूप में नियुक्ति लोकतंत्र के लिए सबसे
बड़ा आघात है। उन्होंने कहा कि एक जज का का पद अत्यंत जिम्मेदारी वाला होता है और
निष्पक्ष होना चाहिए। पवार ने कहा कि जब सत्तारूढ़ दल से किसी को न्यायाधीश के रूप
में नियुक्त किया जाता है, तो यह निष्पक्षता और लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर
गंभीर प्रश्नचिह्न लगाता है। उन्होंने कहा कि आरती साठे बीजेपी की प्रवक्ता रही
हैं, वे हमेशा पार्टी की
बात करती हैं, सरकार
का बचाव करती हैं। ऐसे
में यदि किसान, सामाजिक या सरकार विरोधी याचिकाएं उनके सामने आती
हैं, तो क्या आम जनता को
निष्पक्ष न्याय की उम्मीद होगी? उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अपील की कि आरती साठे
की नियुक्ति पर रोक लगाई जाए। रोहित पवार का आरोप था कि आज का चुनाव आयोग सरकार की
कठपुतली बन गया है, और अब न्यायपालिका में भी राजनीतिक घुसपैठ हो रही है। पवार ने कहा कि
वह साठे की योग्यता पर आपत्ति नहीं कर रहे हैं,लेकिन उन्होंने साठे के नाम की
सिफारिश पर पुनर्विचार करने की करते हुए कहा कि चीफ जस्टिस को इस मामले पर
मार्गदर्शन भी प्रदान करना चाहिए।
गौरतलब है की अधिवक्ता साठे फरवरी 2023 में महाराष्ट्र बीजेपी की प्रवक्ता नियुक्त की गईं थी। हालांकि जनवरी 2024 ने साठे ने व्यक्तिगत और व्यावसायिक कारणों का हवाला देते हुए इस पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने पिछले साल 6 जनवरी को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता और मुंबई बीजेपी विधि प्रकोष्ठ के प्रमुख पद से भी इस्तीफा दे दिया था। साठे के पास एक वकील के रूप में 20 साल से भी अधिक सालों का अनुभव है। उन्होंने टैक्स मामलों, भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI), प्रतिभूति अपीलीय न्यायाधिकरण (SAT), सेवा कर अपीलीय न्यायाधिकरण (CESTAT) के समक्ष मामलों के साथ-साथ बॉम्बे हाईकोर्ट में वैवाहिक विवादों को भी निपटाया है।
बता दें कि 28
जुलाई को सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने
अधिवक्ता साठे, अजीत
भगवानराव कडेथांकर और सुशील मनोहर घोडेस्वर को बॉम्बे हाईकोर्ट के जज के रूप में
नियुक्त करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। जिसके बाद अधिवक्ता आरती साठे के नाम
को लेकर विपक्ष ने विवाद खड़ा कर दिया है।
कबूतरों को दाना डालने पर FIR,जैन समुदाय जता रहा विरोध जाने क्यू...?
बीते दिनों हाई कोर्ट ने कहा था कि कबूतरों को दाना देना सार्वजनिक उपद्रव पैदा
करने वाला कृत्य है। इससे लोगों के
स्वास्थ्य को भी खतरा है। अदालत ने बीएमसी को निर्देश दिया कि कबूतरों को दाना
डालने वालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाए। हाई कोर्ट ने पिछले महीने बीएमसी को
पुरानी विरासत वाले किसी भी कबूतरखाने को ध्वस्त करने से रोका था और कहा था कि इन
स्थानों पर दाना डालने की अनुमति ना दी जाए। मुंबई भी उन तमाम शहरों में शुमार है,जहां कई स्थानों पर कबूतरों को दाना डाला
जाता है। इसे पुण्य का काम माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं की बात करें तो ऐसा
कहा जाता है कि इससे पूर्वजों की आत्मा को तृप्ति मिलती है और
आशीर्वाद मिलता है। अमावस्या जैसे मौकों पर दाना डालना खासा शुभ माना जाता है। जैन धर्म में कबूतरों को दाना डालना जीव दया के तौर पर देखा जाता है। जीवों के प्रति करुणा जैन परंपरा का सिद्धांत भी है। जैन मंदिर कबूतरखाने भी चलाते हैं। जैन धर्म मानने वाले लोग नियमित दाना डालते हैं। जिस दादर कबूतरखाना को ढका गया है, इसे भी जैन मंदिर द्वारा बनाया गया है। यही वजह है कि समुदाय में गुस्सा भी है। समुदाय सड़क पर उतरकर इसका विरोध कर रहा है। कबूतर की बीट से फेफड़ों का रोग हो सकता है। इसका शिकार वो लोग हो सकते हैं जो लंबे समय तक संपर्क में रहते हैं।
इसीलिए कई बार जानकार और डॉक्टर सलाह देते हैं कि जिन इलाकों में कबूतर अधिक हों, वहां रहने वाले लोग लगातार ये चेक करते रहें कि कहीं कबूतरों ने खिड़की या घर के आसपास घोंसला तो नहीं बना रखा है। बीएमसी के एक्शन के बाद महाराष्ट्र के मंत्री मंगल प्रभात लोढ़ा ने निगम आयुक्त से भी हस्तक्षेप की मांग की है। उन्होंने एक पत्र लिखा है। इसमें उन्होंने कहा है कि मुंबई उपनगरीय जिला प्रभारी मंत्री संतों और पशु प्रेमियों की भावनाओं का ध्यान रखें और अदालत के निर्देशों का सम्मान करते हुए सौहार्दपूर्ण समाधान निकालें। ये पत्र उन्होंने कबूतरखाने को तिरपाल से ढकने और कबूतरों को दाना ना देने की चेतावनी वाले बोर्ड के बाद लिखा है। निगम आयुक्त को लिखे लेटर में महाराष्ट्र के मंत्री मंगल प्रभात लोढ़ा ने दावा किया, दाना ना मिलने से सड़कों पर मरे हुए कबूतर पाए जाते हैं। बीएमसी को कबूतरों को दाना डालने के लिए वैकल्पिक स्थान उपलब्ध कराने चाहिए। बीकेसी, संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान और आरे कॉलोनी में खुले स्थान हैं। यहां कबूतरों को दाना डालने के लिए वैकल्पिक स्थान बनाए जा सकते हैं। आयुक्त इस पर विचार करें समाधान करें।
तेज प्रताप यादव ने VVIP (विकास वंचित इंसान पार्टी) से किया गठबंधन....
तेज प्रताप पिछले मई महीने में अनुष्का प्रकरण मामले
में राजद सुप्रीमो लालू यादव ने तेज प्रताप को पार्टी और परिवार दोनों से बेदखल कर
दिया था। इसके बाद तेज प्रताप यादव ने टीम तेज प्रताप के
नाम से दल बनाया और चुनाव की तैयारी शुरू की। कभी वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी के
सहयोगी रहे प्रदीप निषाद ने जून महीने में VVIP (विकास वंचित इंसान पार्टी) का गठन
किया। इसका चुनाव चिन्ह नाव छाप है जो पहले मुकेश सहनी की पार्टी की थी। तेज
प्रताप यादव की पार्टी टीम तेज प्रताप के साथ गठबंधन हो गया है। टीम तेज प्रताप यादव और
मुस्लिम वोटर और वीवीआईपी निषाद समाज के वोटरर्स को टार्गेट करेंगे। ये दोनों वर्ग
के वोटर बिहार में सरकार
बनाने में अहम भूमिका निभाते हैं। तेज प्रताप ने कहा कि हमने महुआ विधानसभा से चुनाव
लड़ने की घोषणा की है। उन्होंने पूर्व में महुआ के लोगों के लिए काम किया है।
विकास वंचित इंसान पार्टी और अन्य दल टीम तेज प्रताप के साथ मिलकर काम करेंगे। आगे
की लड़ाई हमलोगों को साथ में लड़ना है। इस दौरान उन्होंने यह भी कहा कि इसकी
जानकारी मिलेगी तो विरोधी को झटका लगेगा। महुआ से राजद विधायक मुकेश रौशन को लेकर
कहा कि उनके रोने से कुछ नहीं होने वाला है। मेडिकल कॉलेज मैंने खोला, इंजीनियरिंग कॉलेज हम देंगे। तेजस्वी यादव का बचाव
करते हुए तेजप्रताप यादव ने कहा कि वह किसी पद के लिए लालची नहीं है,यदि विधायक
बनेंगे तो कभी भी जदयू और बीजेपी को समर्थन नहीं करेंगे।
धर्म की आड़ में महिला तस्करी कर रहा है धीरेन्द्र शास्त्री प्रोफेसर रविकांत ने लगाए आरोप
बाबा धीरेंद्र शास्त्री ने अपने ऊपर लगे
आरोपों को खारिज करते हुए एक वीडियो एक्स पर शेयर किया, जिसमें
उन्होंने कहा कि साजिशकर्ता लगे हुए हैं। ये उपद्रव कुछ न कुछ करते
रहते हैं। हमने इस देश में सबसे बड़ी जात-पात की
बीमारी के खिलाफ जो अभियान छेड़ा हुआ है,सनातनियों
को एक करने के लिए,उसके बाद कुछ न कुछ आता रहता है,लेकिन हम
पीछे हटने वाले नहीं हैं। हिन्द हिंदुत्व और हिन्दुस्थान के प्रति
संकल्पित-पूज्य बागेश्वर धाम सरकार इसके साथ ही उन्होंने ये भी कहा,जब तक हमारे शरीर में प्राण हैं। चाहे कोई कितना भी हम पर आरोप लगाते रहें। हम तब तक हिंदू, हिंदुत्व और
हिंदुस्तान की सेवा करते रहेंगे। हमारा
जन्म ही
सनातन धर्म की रक्षा के लिए हुआ है। हम मरते दम तक सनातन परंपरा के लिए ही जिएंगे
और उसी परंपरा के लिए मरेंगे। ये तो अभी
शुरुआत है आगे लोग अभी पता नहीं क्या-क्या
कहेंगे। 7 नवंबर से 16 नवंबर तक
होने वाली आगामी पदयात्रा की खबर से ही कुछ लोगों की बेचैनी बढ़ गई है। दरअसल,उत्तर प्रदेश के लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रोफेसर रविकांत के खिलाफ
छतरपुर के बमीठा थाने में मामला दर्ज किया
गया है। यह FIR बागेश्वर
धाम समिति के सदस्य धीरेंद्र कुमार गौर की शिकायत पर दर्ज
हुई है।
प्रोफेसर पर आरोप है कि उन्होंने सोशल
मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ पर एक
पोस्ट के जरिए बागेश्वर धाम वाले बाबा धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री को महिला तस्कर’ बताया था, जिससे
हिंदू धर्म के अनुयायियों की धार्मिक भावनाएं आहत हुईं। छतरपुर पुलिस ने एक एम्बुलेंस को रोका था, जिसमें कुछ महिलाएं थीं। पूछताछ में पता चला कि ये महिलाएं अपनी पहचान छुपाकर बागेश्वर धाम
में रह रही थीं और कुछ अनैतिक गतिविधियों में
शामिल थीं। इस घटना का एक वीडियो
सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। इसी वीडियो
को शेयर करते हुए प्रोफेसर रविकांत ने अपनी पोस्ट में लिखा,नॉन
बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से घोषित छोटा भाई धीरेन्द्र शास्त्री
धर्म की आड़ में महिला तस्करी कर रहा है।
नॉन बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
द्वारा घोषित छोटा भाई धीरेन्द्र शास्त्री धर्म की आड़ में महिला तस्करी कर रहा
है! इसकी गहन जांच करवाकर दोषी पाए जाने पर धीरेन्द्र को फांसी होनी चाहिए।
प्रोफेसर रविकांत की इस पोस्ट के बाद विवाद शुरू
हो गया। बागेश्वर धाम समिति के सदस्य धीरेंद्र
कुमार गौर ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। उन्होंने आरोप लगाया है कि प्रोफेसर रविकांत की टिप्पणी ने न सिर्फ
धीरेंद्र शास्त्री की छवि को नुकसान पहुंचाया है,बल्कि हिंदू धर्म के अनुयायियों
की धार्मिक भावनाओं को भी ठेस पहुंचाई है। पुलिस ने इस शिकायत के आधार पर प्रोफेसर रविकांत के खिलाफ भारतीय
न्याय संहिता (BNS) की धारा 353(2) के तहत केस
दर्ज किया।
राहुल गांधी आप संसद सदस्य (एमपी) बन जाते हैं और सभी को बदनाम करते हैं,लेकिन...सुप्रीम कोर्ट ने क्यू कही यह बात...?
सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी की चीन द्वारा भारत की
जमीन पर कब्जा करने संबंधी बयान पर कड़ी टिप्पणी की और उनसे पूछा कि उन्हें संसद
में ये मुद्दे उठाने से किसने रोका है। कोर्ट ने पूछा,क्या
आपके पास कोई विश्वसनीय सामग्री है? बिना किसी विश्वसनीय सामग्री के आप
ये बयान क्यों दे रहे हैं,अगर आप सच्चे भारतीय होते, तो ये सब बातें नहीं कहते। कांग्रेस
नेता राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के
दौरान भारतीय सेना के बारे में कथित
अपमानजनक टिप्पणी को लेकर उनकी आलोचना करते हुए कहा कि यदि आप सच्चे भारतीय हैं तो
आप ऐसा कुछ नहीं कहते। मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति
ए जी मसीह की पीठ ने की,वरिष्ठ अधिवक्ता ए एम सिंघवी ने पीठ के समक्ष राहुल गांधी का
प्रतिनिधित्व किया। सुनवाई की शुरुआत में सिंघवी ने गांधी के बयान का हवाला देते
हुए कहा कि अगर वह ये सब नहीं कह सकते तो विपक्ष के नेता भी नहीं हो सकते। उन्होंने
पीठ से अपने मुवक्किल के बयान की जाँच करने का आग्रह किया।
न्यायमूर्ति दत्ता ने
कहा, डॉ.
सिंघवी, आपको
जो भी कहना है, कहिए,आप
संसद में क्यों नहीं कहते? आपको सोशल मीडिया पोस्ट में यह सब क्यों कहना है। सिंघवी
ने तर्क दिया, एक
तकनीक है, आप
संसद सदस्य (एमपी) बन जाते हैं और सभी को बदनाम करते हैं,लेकिन जनहित में एक
पार्टी के नेता, बस
देखें कि उन्होंने क्या कहा। न्यायमूर्ति दत्ता ने कहा,डॉ.सिंघवी, हमें
बताइए कि आपको कैसे पता चला कि 2000 वर्ग किलोमीटर भारतीय क्षेत्र पर चीनियों ने कब्जा कर
लिया है। आपको कैसे पता चला कि आप वहाँ थे? क्या आपके पास कोई विश्वसनीय
सामग्री है? बिना
किसी विश्वसनीय सामग्री के आप ये बयान क्यों दे रहे हैं।
न्यायमूर्ति दत्ता ने आगे
कहा,अगर
आप एक सच्चे भारतीय होते, तो आप ये सब बातें नहीं कहते। सिंघवी ने कहा कि यह भी संभव है कि एक सच्चा
भारतीय कहे कि हमारे 20 भारतीय सैनिकों को पीटा गया और मार दिया गया और
उन्होंने जोर देकर कहा कि यह चिंता का विषय है। न्यायमूर्ति दत्ता ने कहा,जब
सीमा पार संघर्ष होता है,अगर आप खुलासा कर रहे हैं, आप विपक्ष के नेता (एलओपी) हैं। तो
आप (संसद में) सवाल क्यों नहीं पूछते, आप एलओपी हैं। यह क्या है, आप
कहे जा रहे हैं? आपके
पास अनुच्छेद 19(1)(ए)
का अधिकार (अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता) है, एक जिम्मेदार एलओपी होने के नाते, आप
ऐसा करते हैं। सिंघवी ने कहा कि मानहानि का मुकदमा दायर करके किसी व्यक्ति को
परेशान करने का यह कोई तरीका नहीं है और उन्होंने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता के
प्रावधान 1 की
धारा 223 का
हवाला देते हुए कहा कि अब संज्ञान लेने से पहले प्राकृतिक न्याय की आवश्यकता होती
है। सिंघवी ने तर्क दिया, यह एक सर्वमान्य आधार है कि जब वर्तमान मामले में यानी 11 फरवरी 2025 को
संज्ञान लिया गया था, तब कोई प्राकृतिक न्याय नहीं था और न ही 223 (1) प्रावधान का कोई अनुपालन हुआ था।